Friday, April 26, 2024

बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए आपदा को आंदोलन में तब्दील कर दें: दीपंकर भट्टाचार्य

पटना। आज डॉक्टर्स डे पर भाकपा-माले द्वारा आयोजित ‘स्वस्थ बिहार, हमारा अधिकार’ डिजिटल जनसम्मेलन में कई प्रख्यात चिकित्सकों, आशाकर्मियों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों ने हिस्सा लिया और कोविड काल की चुनौतयों व अपने दुख को बयां करते हुए बिहार में एक व्यापक स्वास्थ्य आंदोलन खड़ा करने का संकल्प लिया।

जनसम्मेलन में मुख्य रूप से माले महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य, स्वास्थ्य जन अभियान के संयोजक डॉ. शकील, बिहार आईएमए के कार्यकारी अध्यक्ष ड अजय कुमार, जोधपुर एम्स के नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरूण सिंह, प्रख्यात शिशु चिकित्सक डॉ. कफील खान, आशा कार्यकर्ता संघ की तरन्नुम फैजी, आंगनबाड़ी सेविका खुशनुमा परवीन, आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य सचिव अनीता शर्मा, राज्य अध्यक्ष शशि यादव, एएनएम सुलेखा कुमारी, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल ने इस संदर्भ में अपने वक्तव्य रखे। कार्यक्रम में माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार में भाकपा-माले द्वारा कोविड काल में हुई मौतों का आंकड़ा रखा और सरकार के झूठ का पर्दाफाश किया। संचालन माले के पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. धीरेन्द्र झा ने किया।

जनसम्मेलन की शुरूआत कोविड काल में उन सभी डॉक्टरों को श्रद्धांजलि के साथ हुई, जिन्होंने अपनी जिंदगी गंवा दी है। जनसंस्कृति मंच की ओर से ‘अपनों की याद’ कार्यक्रम और बिहार में चल रहे स्वास्थ्य आंदोलन पर तैयार एक वीडियो भी दिखलाया गया।

माले महासचिव ने इस मौके पर आपदा को आंदोलन में बदल देने का आह्वान किया। कहा कि आज के जनसम्मेलन के तीन महत्वपूर्ण आयाम हैं। कोविड काल में जो मौतें हुई हैं, चाहे वे कोविड से हुई हों या सरकार की लापरवाही से, उन मौतों को याद रखना है। अपनों की याद मुहिम को जारी रखना है। जून महीने में हर संडे को हमने उन्हें याद किया। इस अभियान को तेज करना है। बिहार में सबसे ज्यादा डॉक्टर्स गुजर गए, स्वास्थ्यकर्मी गुजर गए, जिन लोगों ने जान की बाजी लगाकर लोगों को बचाने की कोशिश की और खुद गुजर गए, उन्हें याद रखेंगे। चूंकि सरकार आंकड़े छिपा रही है, इसलिए इन मौतों की गिनती करना हमारा काम है।

सरकार इसलिए आंकड़े छुपा रही है क्योंकि उसे मुआवजा देना होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की राय अच्छी बात है, जिसमें उसने सरकार पर मुआवजा देने का दबाव बनाया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सिस्टम की बेहतरी के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा। हमारे साथी जिन निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं, उसे साकार करना होगा। रोजगार की तरह स्वास्थ्य को भी एक बड़ा सवाल बना देना है। पंचायत का चुनाव हो या अगला विधानसभा या लोकसभा का चुनाव हो, स्वास्थ्य को एक बड़ा मुद्दा बनाना है। निजीकरण की नीति के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी और इस नीति को पलट देना होगा। हमें बीमा नहीं चाहिए, हमें स्वास्थ्य व्यवस्था चाहिए।

डॉ. शकील ने कहा कि स्वास्थ्य के सवाल को एक वर्गीय दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। बिहार में इस महामारी से उबरने की जो सरकार की तैयारी थी, वह चौंकाने वाली नहीं थी। सरकारी नरेटिव के खिलाफ एक काउंटर नरेटिव खड़ा किया जाए। डॉ. अजय कुमार ने कहा कि सबको स्वास्थ्य सेवा मिल सके, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। लोगों की जिंदगी की रक्षा करना सरकार की जिम्मेवारी है। वह मार्केट के ऊपर छोड़कर अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत हो। जब तक वह मजबूत नहीं होगी, तब तक गरीबों की जिंदगी नहीं बच सकती है। डॉ. अरुण सिंह ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य को आजादी के समय एक मूल अधिकार के रूप में सोचा गया था।

जीडीपी का बजट बढ़ाने से केवल काम नहीं चलेगा। वह बजट कैसे इस्तेमाल हो रहा है, यह महत्वपूर्ण है। यदि स्वास्थ्य का जिम्मा बीमा कंपनियों को दे दिया जाए, तो काम नहीं चलने वाला है। कॉरपोरेट अस्पतालों में विज्ञान कम कॉमर्स ज्यादा होता है। जब एक मरीज मरीज न होकर क्लाइंट बन जाता है, तब वह व्यवसाय बन जाता है। तब उसमें लाभ-हानि के बारे में ही केवल सोचा जाता है। यह कोरोना में देखने को भी मिला। यह बेहद दुख की बात है। जनसम्मेलन को प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान ने भी संबोधित किया।

खुशनुमा परवीन ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में हम लोगों ने जो जमीनी स्तर काम किया, उसका अजीब अनुभव है। हम लोगों ने कंटेनमेंट जोन में जाकर सर्वे किया। देखा कि लोग दहशत में जी रहे थे। हमें अफसोस रहेगा कि हमारे पदाधिकारी द्वारा कोई भी सुरक्षा किट तक नहीं दिया गया। मास्क तक नहीं दिया गया था। हमारी कई बहनों ने बीमार होते हुए सर्वे किया था। अनीता शर्मा ने सरकार से पूछा कि आशा कार्यकर्ता पेशेंट को लेकर कहां जाएं, क्योंकि व्यवस्था तो काफी कमजोर है।

तरन्नुम फैजी ने कहा कि यह सरकार कुछ नहीं करने वाली है। यह बिल्कुल अंधी व बहरी हो गई है। सरकार को सोचना चाहिए कि जब कोविड की तीसरी लहर भी आने वाली है, तो आशा को पोलियो का काम क्यों दिया जा रहा है? आज व्यापक पैमाने पर स्वास्थ्यकर्मी कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं। सरकार सिर्फ अपना फायदा सोच रही है। वह केवल लोगों से काम करवाने में लगी है। स्वास्थ्यकर्मियों को कोई पैसा नहीं दे रही है। हमलोग का बहुत पैसा सरकार के पास है, लेकिन वह सुनती नहीं। यह सरकार केवल धमकी देने वाली सरकार है।

मौत के आंकड़े की जांच

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मौत के आंकड़ों का पार्टी द्वारा जांची गई रिपोर्ट को सामने रखा। नमूने के तौर पर 1अप्रैल से 31 मई तक भोजपुर में 1209 गांवों में 247 गांव का सर्वे किया गया है, इसमें कोविड के लक्षणों से 1424 लोग और अन्य 178 लोग मारे गए। जबकि सरकारी आंकड़े में महज 94 दर्ज हैं। पूरे बिहार की हालत ऐसी ही है।

स्वस्थ बिहार – हमारा अधिकार डिजिटल समम्मेलन से लिए गए प्रस्ताव

1. कोविड महामारी काल के दौर में मारे गए सभी मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और हाई कोर्ट की देखरेख में मौतों की जांच कराई जाए।

2. कोविड की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए योजनाबद्ध तरीके से 3 महीने के अंदर सबके टीकाकरण की गारंटी की जाए।

3. बिहार के अस्पतालों को मरीज फ्रेंडली बनाया जाए और डॉक्टर्स-नर्सेज-मेडिकल स्टाफ्स के सुरक्षा व सम्मान की गारंटी की जाए।

4. राज्य के कुल बजट का 10 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च किया जाए और प्रति रोगी खर्च को कम से कम दुगुना किया जाए।

5. प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र, पीएचसी, सीएचसी, रेफरल और जिला अस्पतालों को सम्पूर्ण मेडिकल सुविधाओं से लैस करते हुए डॉक्टर्स-नर्सेज सहित स्वास्थकर्मियों के तमाम सृजित पदों पर अविलम्ब बहाली की जाए। एम्बुलेंस सुविधा को अनिवार्य और पारदर्शी बनाया जाए।

6. सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाए तथा निजी अस्पताल-नर्सिंग होम के लिए रेगुलेटरी एक्ट बनाई जाए।

7. स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत आशा, ममता, आंगनबाड़ी, कैंटीनकर्मी, ड्राइवर, सफाईकर्मियों सहित अन्य कर्मियों की सेवा का नियमितीकरण हो और उन्हें सम्मानजनक वेतन प्रदान किया जाए।

आज का यह डिजिटल जनसम्मेलन उपर्युक्त मांगों पर आने वाले दिनों में बिहार में स्वास्थ्य के सवाल पर एक व्यापक आंदोलन खड़ा करने का आह्वान करता है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles