BJP-RSS की बी टीम की तरह काम कर रही NIA, हम डरने वाले नहीं: भगत सिंह छात्र मोर्चा

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार सुबह छापेमारी की। एनआईए ने आजमगढ़, देवरिया, वाराणसी, प्रयागराज और चंदौली में 8 जगहों पर सर्च ऑपरेशन किया। इसमें से सबसे बड़ा एक्शन वाराणसी में हुआ। यहां बीएचयू के छात्र संगठन भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) की कार्यालय में छापा मारा गया।

बीएचयू के हैदराबाद गेट से लगे महामनापुरी कॉलोनी स्थित गोपाल-विद्या कुंज की मालकिन विद्यावती ने ‘जनचौक’ को बताया कि “मंगलवार की सुबह पांच-साढ़े पांच बजे के करीब मैं रोजाना की तरह घर का गेट खोलने आई। मैंने सोचा कि गेट खोलकर पूजा-पाठ के लिए फूल-पत्ती जुटाऊंगी। लेकिन गेट खोलकर देखा तो 15 से 20 की तादात में कुछ लोग घर के आसपास गलियों में खड़े हैं। अधिकतर सादे कपड़ों में थे। आसपास काफी तादात में वाहन भी खड़े थे”।

विद्यावती बताती हैं कि “जैसे ही मैं गेट खोलकर बाहर निकलने वाली थी कि आसपास खड़े लोगों में से एक व्यक्ति आया और खुद को एनआईए की जांच टीम का सदस्य बताया और सहयोग करने की बता कही। फिर देखते-ही देखते वे लोग एक के बाद एक धड़ाधड़ घर में घुसते चले गए। मेरे मकान में विगत कई सालों से बीएचयू में पढ़ने वाली दस से बारह छात्राएं रहती हैं। ये छात्राएं भी कई महीनों से यहां परिवार की तरह रहती हैं। इन लोगों की कभी किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है। ये रोजाना क्लास जाती हैं और मकान में अपने-अपने कमरों में शांति से रहती हैं।”

एनआईए की छापेमारी और पुलिस की घेराबंदी से परेशान मकान मालकिन वृद्ध विद्यावती देवी।

विद्यावती आगे कहती हैं कि “इन लड़कियों ने ऐसा क्या कर दिया कि सरकार इनकी जांच करवा रही हैं। जांच टीम की महिला सदस्य कई लड़कियों को कमरे में कई घंटों तक रखकर पूछताछ करती रहीं। छात्राओं के कॉपी-किताब, लैपटॉप-मोबाइल को जब्त कर लिया है। इस क्रम में दोपहर हो गयी और कई लड़कियों ने खाना तक नहीं खाया। सुबह मैंने चाय बनाकर सभी को पिलाई, जिसमें पुलिस वाले भी शामिल रहे। इस कार्रवाई से हम बजुर्गों, महिलाओं और बच्चों काफी दिक्कतें हुई हैं। घर और पास गलियों में बड़ी संख्या में पुलिस और लोगों की भीड़ देखकर सब सहमे हुए हैं।”

बताया जा रहा है कि नक्सल गतिविधियों से जुड़े एक मामले में आगे की तफ्तीश के लिए जांच एजेंसी द्वारा यह कार्रवाई की जा रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, आज़मगढ़ और देवरिया जिलों में आठ स्थानों पर छापेमारी कर रही है। वाराणसी में बीएचयू की छात्राओं के रूम पर छापामारी में टीम को कॉपी, पत्रिका, पंपलेट, नोटबुक के सिवाय कुछ नहीं मिला।

इनके साथ ही टीम छात्राओं के मोबाइल फोन और लैपटॉप को जब्त कर अपने साथ ले गई। एक छात्रा आकांक्षा को 12 सितम्बर को लखनऊ कार्यालय में उपस्थित होने का नोटिस भी थमाया है। इस कार्रवाई को लेकर बीएचयू और विद्यापीठ के छात्र-छात्रों में आक्रोश है।

बीएचयू की छात्रा आकांक्षा को थमाई गई एनआईए की नोटिस।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा व भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) की अध्यक्ष आकांक्षा आजाद और सचिव सिद्धि बिस्मिल से एनआईए ने कई घंटों तक पूछताछ की। इन छात्राओं के मोबाइल, लैपटॉप, नोटबुक और संगठन से जुड़ी पत्रिका आदि को जब्त कर लिया गया है। बीएसएम की अध्यक्ष आकांक्षा आजाद ने जनचौक से कहा कि “आज टीचर्स डे है। हम लोगों को यूनिवर्सिटी में टीचर्स डे मानना था। इससे पहले ही जांच टीम सुबह तकरीबन साढ़े पांच बजे आई और पूछताछ व जांच करने लगी। ग्यारह बजे तक कुछ साफ नहीं बताया गया। ग्यारह बजे के बाद स्थिति साफ़ हुई।”

आकांक्षा ने कहा कि “जांच में हम लोगों ने पूरा सहयोग किया है। एनआईए ने एक-एक नोटबुक, डायरी, कमरा आदि की गहनता से पड़ताल की। मेरा फोन भी सीज कर लिया। छात्र संगठन का अखबार मशाल, संगठन के पंपलेट और दस्तक पत्रिका को सीज कर ले गए। जबकि, मशाल अखबार और दस्तक पत्रिका बाजार में आसानी से उपलब्ध है। इनमें ऐसा क्या है? जिसे जब्त करना पड़ रहा है। हम लोग सामान्य छात्र-छात्राएं हैं, आखिर क्यों 25 से 30 की संख्या में हमारे कार्यालय और आवास को घेरकर जांच-पड़ताल की जा रही है?”

आकांक्षा आगे कहती हैं कि “सामान्य छात्र-छात्राओं से सरकार को आखिर डर क्यों लग रहा है? सरकार जन विरोधी नीतियों का विरोध करने के चलते हम लोगों और हमारे संगठन को निशाना बना रही है। यह शर्मनाक है। हम लोग छात्र हैं, पढ़ाई-लिखाई के साथ समाज की बेहतरी के लिए सरकार की जन विरोधी नीतियों का अपने स्तर से विरोध करते हैं। इसमें गलत क्या है? हम लोगों को एनआईए के जरिये डराया जा रहा है। हम लोग डरने वाले नहीं हैं। हालांकि, कई घाटों की पूछताछ के बाद सभी को छोड़ दिया गया है।”

जांच के बाद बिखरे छात्राओं के कॉपी और किताब।

भगत सिंह छात्र मोर्चा ने एक आधिकारिक बयान में इस छापेमारी को छात्रों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर सरकार का फासीवादी हमला करार दिया है। बयान में कहा गया है कि “सरकार 2024 के चुनाव से पहले डरी हुई है और वह अपना विरोध करने वाले सभी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं का दमन कर रही है। एनआईए सरकारी एजेंसी की तरह नहीं बल्कि पूरी तरह से फासीवादी भाजपा-आरएसएस की बी टीम की तरह काम कर रही है। और एक ख़ास विचारधारा की पक्षधर बन अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ़ गुंडागर्दी कर रही है।

भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) की सचिव इप्शिता ने बताया कि “एनआईए व पुलिस वहां किसी को भी जाने नहीं दे रही है। बीएसएम के कुछ लोग जब अपने दफ्तर गए तो उनमें से एक बीएसएम उपाध्यक्ष आदर्श को पुलिस ने थप्पड़ जड़ दिया और एक शख्स को पकड़कर बैठा लिया और उनसे पूछताछ करने लगी। एनआईए उस शख्स के फोन से भेजे गए व्हाट्सएप मैसेज पढ़ रही है और किसी का भी कॉल आने पर स्पीकर पर सुन रही है।”

इप्शिता ने कहा कि “इतना ही नहीं मकान मालिक को भी धमकाया गया है कि इन्हें मकान से भगाओ। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां से सरकार के विरोध में उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। यह कोशिश एक लोकतांत्रिक देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है।”

एनआईए द्वरा बनाई गई सर्च लिस्ट।

इप्शिता ने आगे बताया कि “यह छापेमारी यूपी में एक साथ कई स्थानों पर की गई है। सीमा आजाद, मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के रितेश विद्यार्थी, आजमगढ़ के खिरियाबाग के आंदोलनकारी राजेश आजाद को एनआईए उठा कर ले गयी है। वाराणसी में हम लोगों को निशाना बनाया गया है। अगले साल लोकसभा चुनाव है इसलिए बहुत तेजी से ऐसे लोगों का दमन किया जा रहा है, जो सरकार का विरोध करते हैं।”

इप्शिता ने कहा कि “एनआईए की टीम एक स्वतन्त्र सरकारी एजेंसी की तरह नहीं बल्कि सरकार, बीजेपी और आरएसएस की बी टीम की तरह काम कर रही है। जो लोग बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ काम कर रहे हैं, उनका कड़ाई से दमन किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि एनआईए और लोकल पुलिस भी फासीवादी व्यवस्था का एक अंग बन गयी है।”

इप्शिता कहती हैं कि “बीएचयू, इलाहाबाद, जेएनयू और दिल्ली जैसे विश्वविद्यालयों के छात्रों की आवाज का समाज में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) किसान, मजदूर, छात्र और महिलाओं की आवाज उठता है। हम लगातार सरकारी नीतियों में बेहतरी की मांग करते हैं। यही वजह है कि हम लोगों की आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।”

भोजन का पैकेट लिए बीएचयू की छात्रा सिद्धि और साथ में आकांक्षा।

उन्होंने कहा कि “कुछ समय पहले अमर उजाला के वाराणसी संस्करण में एक खबर छापकर बीएचयू, काशी विद्यापीठ और पूर्वांचल के अन्य शिक्षण संस्थाओं में सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले छात्रों व एक्टिविस्टों को अरबन नक्सली बताया गया था। जो बहुत ही निंदनीय और शर्मनाक है। कई मामलों में देखा गया है कि सरकार का विरोध करने वाले एक्टिविस्टों को गिरफ्तार कर यूएपीए के तहत कार्रवाई कर जेलों में डाल दिया जा रहा है। एनआईए के द्वारा हमारे संगठन और साथियों को निशाना बनाया गया है। जल्द ही इसके विरोध में विरोध-प्रदर्शन करेंगे।”

मंगलवार की भोर से ही एनआईए की टीम छापेमारी में लगी हुई है। इस दौरान एनआईए की टीम ने मीडिया के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। वाराणसी में घर में मौजूद एक महिला ने आरोप लगाया कि सुबह से टीम उन्हें परेशान कर रही है। उनसे कुछ कागजों पर साइन करा लिए हैं। एसपी डा.अनिल कुमार ने एनआईए टीम की छापेमारी की बात मानी है।

(यूपी के वाराणसी से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट।)

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rewatib7@gmail.com
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7 months ago

जन चौक नक्सल ओरिएंटेड है सभी लेख यही प्रूफ करते हैं

राजेश
राजेश
Guest
7 months ago

पहले भी भी आरोप लगाता रहा है कि सत्तासीन पार्टियों या सरकार ने एनआईए, सीबीआई,इडी आदि संस्थाओं का अपने विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करती रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं, किसान मजदूर नेताओं ,कवि, लेखक, छात्र नेताओं के साथ छापेमारी तानाशाहीपूर्ण करवाई पुन: इसे सच साबित किया है!