आंध्रा और तेलंगाना में 25 से अधिक मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर एनआईए की छापेमारी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 25 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं, नारीवादी कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील लेखकों और वकीलों के घरों पर छापा मारा है। 31 मार्च की दोपहर से शुरू हुई छापेमारी अधिकांश कार्यकर्ताओं के यहाँ 1 अप्रैल को भी जारी है। एनआईए ने छापेमारी में अधिकांश लोगों के फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप और कुछ किताबें और कागजात जब्त कर लिए हैं।

कल, 31 मार्च की दोपहर और आज एनआईए ने जिन 25 से अधिक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा है उनमें से ज्यादातर मानवाधिकार, नागरिक स्वतंत्रता, महिला और लेखक संगठनों से जुड़े शिक्षाविद, लेखक, नारीवादी और वकील हैं। जिनके घरों में छापेमारी की गयी है उनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं-

क्रांतिकारी लेखक संघ के पाणि, (कुरनूल जिला), वरलक्ष्मी (कड़प्पा जिला), अरुण (कुरनूल जिला)। चैतन्य महिला संगम की देवेंद्र, शिल्पा, स्वप्ना , राजेश्वरी (गुंटूर), पद्मा (विशाखापत्तनम)। आंध्र प्रदेश सिविल लिबर्टीज कमेटी (APCLC) के रघुनाथ ( हैदराबाद) चिलिका चंद्रशेखर (गुंटूर जिला) चिट्टी बाबू (पूर्वी गोदावरी)। मानव अधिकार मंच (HRF) के कृष्णा (विशाखापट्टनम)। प्रजाकला मंडली के दप्पू रमेश, (हैदराबाद)। अमरुला बंधु मित्रुला संघम फ्रैंड्स एंड रिलेटिव्स ऑफ मार्क्सिस्ट (एबीएमएस) की अंजम्मा (प्रकाशम जिला), सिरिशा, (प्रकाशम जिला) और वकील के केएस चेलम (विशाखापट्टनम)।

80 लोगों के खिलाफ़ एफआईआर

आप सभी को उन दो एफआईआर के बारे में पता है, जो आंध्र प्रदेश पुलिस ने दर्ज की थीं, मुंचिंगपुट (Munchingput) पुलिस स्टेशन में पहला, विशाखापट्टनम (47/2020) दिनांक 23 नवंबर 2020 को और दूसरा गुंटूर जिले की एफआईआर संख्या 606-202, पीदुगुरला शहर पुलिस स्टेशन में दिनांक 24 नवंबर, 2020 को दर्ज़ की गई थी। एफआईआर नंबर 47/2020 में कुल 80 लोग आरोपी थे, जिनमें से 27 लोग गुंटूर एफआईआर में भी नामजद थे। मुंचिंगपूत थाने में आईपीसी की धारा 120 (बी), 121, 121 (ए), 143, 144, 124 (ए) आर/डब्ल्यू 149, यूएपीए धारा 10, 13 और 18 तथा आंध्र प्रदेश पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट, 8 (1) और 8 (@) और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एनआईए हैदराबाद ने 7 मार्च, 2021 को मुंचिंगपूत पुलिस थाने की एफआईआर की जांच की और उनके द्वारा प्राथमिकी संख्या RC-1/2021 / NIA / HYD दर्ज की गई।

पीयूसीएल ने जारी किया बयान

पीयूसीएल ने इस संदर्भ में बयान जारी करके कहा है कि ये सब विच-हंटिंग है, हमारे कार्यकर्ताओं को चुप कराने का प्रयास है, जो अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े हुए हैं और सभी सरकारों पर सवाल उठाए हैं। ये सभी लोग भारतीय लोकतांत्रिक कानूनों, अवैध गिरफ्तारी और भारतीय राज्य के अन्य अलोकतांत्रिक कार्यों और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की उनकी संबंधित सरकारों के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ जाति और पितृ सत्तात्मक हिंसा, मुसलमानों के खिलाफ हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा किए गए, विनाशकारी विकास को चुनौती दे रहे थे। विकास के नाम पर विनाश के लिए छीनी जा रही लोगों की भूमि और वन अधिकारों की रक्षा करना आदि। इनमें से अधिकांश कार्यकर्ताओं ने टूल के रूप में फैक्ट फाइंडिंग कमेटियों, प्रेस विज्ञप्ति जारी करना, पंफलेट छपवाकर बांटना आदि का सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की सभाओं का आयोजन, रैलियों और धरनों आदि का इस्तेमाल किया, जो वाईएस जगनमोहन रेड्डी सरकार को स्वीकार्य नहीं था, जिन्होंने इन अवैध मामलों को दायर किया। इसलिए उन्होंने यूएपीए की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की। जो एक भयावह कदम था।

वहीं तेलंगाना सरकार भी ऐसे संगठनों के नेताओं और सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दायर करती रही है। अब एनआईए ने पदभार संभाल लिया है, जैसा कि हम देखते आ रहे हैं माओवाद, आतंकवाद के नाम पर देश भर के कार्यकर्ताओं को जेल के पीछे भेजने के लिए भारत सरकार को अस्थिर करने से संबंधित षड्यंत्र के झूठे मामलों का मसौदा तैयार करके कार्यकर्ताओं को सलाखों के पीछे पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

हमें यूएपीए के तहत एफआईआर के माध्यम से कार्यकर्ताओं और लेखकों पर हमला करने और असंतोष को खामोश करने के लिए एनआईए द्वारा इस आक्रामक छापेमारी के कदम की निंदा करने की ज़रूरत है।

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