Tuesday, May 30, 2023

उत्तराखंड: अपने ही दलदल में फंस गया खुले में शौच से मुक्ति का अभियान

देहरादून। सरकारें अपनी वाहवाही लुटवाने और अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिये किस तरह मिथ्या प्रचार करती हैं, इसका जीता जागता उदाहरण स्वच्छता मिशन का खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) कार्यक्रम है। इस दिशा में राज्य सरकारें बढ़ा-चढ़ा कर आंकड़े पेश करती रही हैं। खुले में शौच मुक्ति योजना के एलान के बाद, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वित्तीय छूट उपलब्ध नहीं है, यहां तक कि योग्य परिवारों के लिए भी नहीं और इसीलिए दूसरी योजनाओं के जरिए फंड लाने की जरूरत होती है। इसलिये बजट मांगने पर सच्चाई खुल जाती है।

उत्तराखंड सरकार जून 2017 में ही राज्य को खुले में शौच मुक्त घोषित कर चुकी है। जबकि वास्तविकता यह है कि शत-प्रतिशत तो दूर रहा राज्य में अभी इस दिशा में 50 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ है। जिन गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया भी गया है उनमें से कई गांवों में शौचालयों में पानी की पूरी व्यवस्था नहीं है। जिन लोगों को दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है उनके लिये अपने शौचालय की फ्लशिंग के लिये पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधी जयन्ती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2014 को सम्पूर्ण स्वच्छता के लिये स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। मिशन के तहत, सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गांधी जी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 तक देश में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण कर ’खुले में शौच मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित करने का लक्ष्य रखा गया था।

ODF 6
स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़े

इस साल स्वच्छ भारत मिशन के 9 साल पूरे हो गए हैं और अभी तक केवल खुले में शौच मुक्त गांवों ने 50 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल हो सकी है। इस मिशन के तहत वर्ष 2017 में स्वयं को खुले में शौच मुक्त घोषित करने वाला उत्तराखण्ड चौथा राज्य बना था। उत्तराखंड से पहले केरल, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश स्वयं को ‘ओडीएफ’ घोषित कर चुके थे। उत्तराखंड ने स्वयं को 22 जून 2017 को शत-प्रतिशत खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया था।

खुले में शौच मुक्ति का एक लक्ष्य मार्च 2017 भी था और राज्य सरकारों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर ‘केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय’ के स्वच्छ भारत मिशन ने राज्यों की प्रगति की जो सूची जारी की थी उसमें गुजरात, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश को शत -प्रतिशत और केरल को 99 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था।

इनके अलावा उस अवधि तक उत्तराखंड को 71 प्रतिशत, हरियाणा-67, मणिपुर-60, मिजोरम-58, महाराष्ट्र-55, अरुणाचल प्रदेश-52, छत्तीसगढ़-49, मेघाल- 45, मध्यप्रदेश-39, आन्ध्र-35, तेलंगाना-33 और तमिलनाडु को 32 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन अगर आप जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छता मिशन के आज की तारीख के डैशबोर्ड पर नजर दौड़ायें तो सरकारी दावों की पोल खुद ही खुल जाती है।

ODF ALL 1
स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़े

स्वच्छता मिशन के 12 मई 2023 के डैशबोर्ड के अनुसार जिस उत्तराखंड ने स्वयं को 22 जून 2017 को सम्पूर्ण ‘ओडीएफ’ घोषित किया था उसकी प्रगति 25 से लेकर 50 प्रतिशत के बीच दिखाई गयी है। अपनी कमजोरियों और गलतियों को छिपाने के लिये फर्जी आंकड़ों से वाहवाही लुटवा कर जनता की आखों में धूल झोंकने वाला उत्तराखंड अकेला राज्य नहीं है। डैशबोर्ड के अनुसार आज की तारीख में शत-प्रतिशत ‘ओडीएफ’ कोई राज्य नहीं है।

जिन राज्यों की 75 प्रतिशत से अधिक उपलब्धि दिखाई गयी है, उनमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल है। जबकि 50 से लेकर 75 प्रतिशत उपलब्धि में केवल गुजरात और सिक्किम को शामिल किया गया है। इसी तरह उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, मेघालय और मिजोरम को 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक की उपलब्धि में रखा गया है।

शून्य से लेकर 10 प्रतिशत तक की सबसे कम उपलब्धि वाले राज्यों में अरुणाचल और मणिपुर को रखा गया है। भारत की राजधानी का प्रदेश दिल्ली भी सबसे फिसड्डी राज्यों में शामिल किया गया है, जिसकी प्रगति 10 से लेकर 25 प्रतिशत तक आंकी गयी है। ऐसे ही राज्यों में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखण्ड को भी रखा गया है।

ODF 2 1
स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़े

दूसरी तरफ 10 मई 2023 को जारी ‘जल शक्ति मंत्रालय’ की विज्ञप्ति में कहा गया है कि खुले में शौच मुक्त गांवों के प्रतिशत की दृष्टि से श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं- तेलंगाना (शत-प्रतिशत), कर्नाटक (99.5 प्रतिशत), तमिलनाडु (97.8 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (95.2 प्रतिशत), गोवा (95.3 प्रतिशत) और छोटे राज्यों में सिक्किम (69.2 प्रतिशत) है। केंद्र शासित प्रदेशों में- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन दीव और लक्षद्वीप में शत-प्रतिशत खुले में शौच मुक्त आदर्श गांव हैं।

वर्ष 2014-15 और 2021-22 के बीच, केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को कुल 83,938 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वर्ष 2023-24 के बजट में 52,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इतना घन खर्च होने पर भी अभी तक कुल मिला कर 50 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने को सरकार बड़ी उपलब्धि मान रही है। नवीनतम सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार खुले में शौच मुक्त 2,96,928 गांवों में से 2,08,613 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था के साथ खुले में शौच मुक्त आकांक्षी गांव हैं। इन मामलों में भी केवल शौचालय गिने गये हैं और उनके इस्तेमाल का सरकार के पास आंकड़ा नहीं है।

(जयसिंह रावत वरिष्ठ पत्रकार हैं)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

पहलवानों पर किन धाराओं में केस दर्ज, क्या हो सकती है सजा?

दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर हुई हाथापाई के मामले में प्रदर्शनकारी पहलवानों और अन्य...