ग्राउंड रिपोर्ट: विकसित भारत संकल्प यात्रा के शोर में गुम हो रही समस्याओं से घिरे लोगों की आवाज

Estimated read time 1 min read

वाराणसी। तीन दिनों से भूख से बिलखता हुआ एक बच्चा जिसकी उम्र यही कोई 6/7 साल की रही होगी, अचानक पुलिस चौकी में पहुंचता है और वहां मौजूद पुलिस दरोगा के सामने दहाड़ें मारकर रोने लगता। दरोगा जी बच्चे को रोता देख हैरत में पड़ जाते हैं। वह कुछ पूछ्ते कि वह रोता हुआ बच्चा एक हाथ से अपने बहते आंसुओं को पोंछते हुए बोलता है- “तीन दिन से कुछ खाए के नाही मिला बा.. (पेट दिखाते हुए बिलख पड़ता है), फिर सिसकियां ले कर कहता है “मेरी मां ने भी कुछ नहीं खाया है।”

बच्चे की भूख की पीड़ा देखकर दरोगा जी ने फौरन बच्चे को खिलाने-पिलाने के बाद खुद उस बच्चे के घर पहुंचकर उसके खाने का न केवल इंतजाम कराते हैं बल्कि बच्चे और उसकी मां को हरसंभव मदद का भरोसा भी दिलाते हुए वापस आते हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे जिले मिर्जापुर में दिल को झकझोर देने वाला यह मामला दिसंबर के प्रथम सप्ताह का है। यह मामला जब सामने आया तो सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस भी छिड़ गई थी। उक्त दरोगा के इस मानवीय व्यवहार की सराहना भी होने लगी, होनी भी चाहिए क्योंकि अक्सर पुलिस का नकारात्मक चेहरा ही सभी के सामने आ जाया करता है।

ख़ैर मुद्दे की बात यह है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी उक्त बच्चे की खोज-खबर किसी नेता या जनप्रतिनिधि (खासकर सत्ताधारी दल) ने लेने की जहमत नहीं उठाई। जबकि केन्द्र से लेकर प्रदेश सरकार में मंत्री बन, सरकार की नुमाइंदगी करने वालों की पूरी फौज जिले में काबिज है, बावजूद इसके जनसरोकार के मसले पर सभी चुप्पी साध सरकार की योजनाओं और अपने कोरे आश्वासनों से पेट भरते आ रहे हैं।

मिर्ज़ापुर की यह खबर जानकर, पढ़कर आंखों में जरूर आंसू आ जाएंगे, लेकिन खद्दर धारियों के दिल नहीं पसीजे हैं। यह 7 साल का बच्चा जब भूख बर्दाश्त नहीं कर पाया था तो रोते-रोते आशातीत नज़रों से इमियाचट्टी पुलिस चौकी पर पहुंच गया। वह बच्चा गेट पर पहुंचते ही सामने दिखे दारोगा दिलीप गुप्ता के सामने दहाड़ें मारकर रोने लगा। जब पुलिसकर्मियों ने बच्चे से वजह पूछी तो उसने भूख से जुड़ी पूरी बात बता डाली। जिसे सुनकर पुलिस के जवान भी पसीज उठे।

मिर्ज़ापुर जिले के चुनार तहसील के पटिहटा गांव के रहने वाले इस 7 साल के बच्चे के सिर से पिता का साया उठ गया है। तीन साल पहले पिता की मौत हो जाने से यह अनाथ बच्चा बीमार मां के साथ ही रहता है। मां भी मानसिक रूप से बीमार रहती है। मां और बेटे दोनों के पास रहने के लिए छत (आवास) नहीं है। इस वजह से गांव में काली जी के मंदिर में एक कमरे में किसी प्रकार से दिन काट रहे हैं।

दरअसल, पूरे अन्तर्मन को झकझोर कर रख देने वाली यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के किसी एक जनपद, एक गांव-कस्बे की नहीं है बल्कि ऐसी तस्वीर और समस्याओं से घिरे हुए लोगों की भरमार है। जो व्यवस्था के नाम पर न केवल एक धब्बा है बल्कि आज भी अभावों तले जीवन यापन करते हुए सरकारी योजनाओं की आस लगाए बैठे हुए हैं। जिन तक पहुंचने में सरकारी योजनाओं की या तो बंदरबांट हो जा रही है या वह भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जा रही है। जिसमें पात्र-अपात्र घोषित कर दिए जा रहे हैं तो अपात्र-पात्र।

विधायक निवास के पीछे रहने वाले ग्रामीणों को विकास की आस

आइए देखते हैं “विकसित भारत” की दूसरी तस्वीर जो शाय़द सफेदपोश, काला चश्मा चढ़ाए लोगों नहीं दिखता है..!

आदिवासी, वनवासी जनजाति बाहुल्य सोनभद्र जनपद के ओबरा कस्बे से लगने वाली गरीबों की बस्तियों का हाल तो पूछना ही नहीं है। ओबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक कोई और नहीं संजीव गोंड हैं जो यूपी की योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री भी हैं। लेकिन दुःखद पहलू यह है कि खुद विधायक जी के आवास से चंद कदमों की दूरी पर रहने वाले लोग भी आवास, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

“जनचौक” टीम को अपने बीच पाकर सभी अपनी फरियाद लेकर जुट जाते हैं। चकदेहियां टोला चोपन विकास खंड क्षेत्र के ग्राम सभा बिल्ली मारकुंडी बाड़ी अन्तर्गत एक छोटा सा टोला है, जहां यही कोई 20-22 घर (टूटी-फूटी झोपड़ी) नजर आ जाते हैं, जिनकी दशा को दूर से ही देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह लोग कितने “विकसित हैं”?

और विकसित भारत संकल्प यात्रा के मायने इनके लिए क्या हैं? यह संकल्प यात्रा कब तक इस टोले में पहुंचेगी?, ताकि यहां के लोग भी “विकास की अछूती किरणों” से संतृप्त हो सकें।

कैमरा निकालते ही ग्रामीण इस क़दर जुट जाते हैं कि मानो कोई इमदाद बंटने वाली हों। ग्रामीणों की मनोदशा, लाचारी, बदहाली को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके और उनके टोले का कितना विकास हुआ है और वह कितने विकसित हुए हैं।

इनको भी है विकास की दरकार

भदोही-जौनपुर मार्ग पर गंधौना गांव से थोड़ा आगे रामपुर की ओर बढ़ने पर सड़क किनारे यहीं कोई 8/10 घर मुसहर जाति के लोगों के हैं। जिन्हें खुद मैं (रिपोर्टर) तकरीबन दो दशक से ज्यादा समय से देखते आया हूं। जिनके जीवन में अभी तक कोई बदलाव नहीं आया है। रहने के लिए वही पुराना गिरने के कगार पर पहुंच चुका इंदिरा आवास, जिसे अब हाइवे (फोर लेन) निमार्ण कार्य के चलते सड़क के चौड़ी होते ही ढहाया जा रहा है।

अब वे कहां रहेंगे? कैसे रहेंगे? कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। जौनपुर जिले के मड़ियाहूं तहसील क्षेत्र अन्तर्गत गंधौना गांव के समीप रोड से लगे इंदिरा आवास में रहते आए मुसहर समाज की मुसीबतों से फिलहाल किसी को कोई सरोकार नहीं है, शायद वे वोटबैंक नहीं हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत इन पर किसी की नजर भी नहीं जायेगी?

जौनपुर जिले के ही जौनपुर-गाजीपुर मार्ग पर खड़हर डगरा गांव के समीप लबे रोड़ और जौनपुर-औड़िहार रेलवे लाइन के बीच प्लास्टिक और घासफूस की झोपड़ी बनाकर रह रहे बांसफोड़ जाति के लोगों का कोई पुरसाहाल नहीं है। बिल्कुल समीप से गुजरते वाहनों और ट्रेन की ध्वनि के बीच जान जोखिम में डालकर जीवन जी रहे इन लोगों को अपने विकास से कहीं ज्यादा दो वक्त की रोटी के लाले हैं।

बांस से निर्मित टोकरी इत्यादि बनाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना इनके लिए आज के विकसित भारत में कठिन हो चला है, क्योंकि आधुनिक और ऑनलाइन कारोबार की बढ़ती चमक में इनके हाथों की पुरातन भारतीय कला विलुप्त होने के कगार पर है, दूसरे यह मतदान से लेकर उन सरकारी योजनाओं से भी महरूम हैं जिन्हें इनकी जरूरत है।

अब चलते हैं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिसे क्योटो बनाने का सपना दिखाया गया है। अब यह कब तक साकार हो जायेगा यह कह पाना संभव नहीं है। वाराणसी शहर से होते हुए पांडेयपुर से निकलकर लालपुर होते हुए रिंग रोड ओवरब्रिज की ओर बढ़ने पर सड़क के दोनों किनारों पर बने नाले के ऊपर, तो कुछ खाली पड़े कूड़े-कचरे से पटे स्थल पर बांसफोड़ जाति के लोगों को अलग-अलग झोपड़ियों में रहते हुए देखा जा सकता है।

इनके चौके-चूल्हे से लेकर रहने सोने का सबकुछ एक ही झोपड़ी में सिमटा हुआ होता है। विकसित भारत संकल्प यात्रा को लेकर चल रही मोदी की “गारंटी की गाड़ी” कब इनकी झोपड़पट्टी के समीप में आकर रुकेगी और इनके भी उन योजनाओं के फार्म भरे जायेंगे जिससे यह अभी तक वंचित होते आए हैं।

विकास हो रहा है तो विकसित यात्रा की जरूरत क्यों?

जौनपुर, वाराणसी, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र की यह चंद तस्वीरें महज़ बानगी है, नज़र दौड़ाई जाए तो शायद ही उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा जनपद, तहसील, ब्लाक या इलाका होगा जहां समस्याओं से घिरे हुए लोग और योजनाओं से वंचित लोग न हों।

विकसित भारत संकल्प यात्रा पर तंज़ कसते हुए वाराणसी के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि “विकसित भारत संकल्प यात्रा के जरिए भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां जनता को गुमराह करते हुए योजनाओं का लालीपाप दे रही हैं। लोकसभा चुनाव करीब देख इन्हें संकल्प यात्रा की याद आई है।”

वह कहते हैं कि “जब भारत विकसित हो रहा है, आपने (सरकार) विकास किया है तो फिर विकसित भारत संकल्प यात्रा निकालने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी?”

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय राय विकास योजनाओं के नाम पर मची लूट-खसोट के साथ बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी, सरकारी नौकरी के नाम युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़, सरकारी संस्थाओं के निजीकरण पर बोलते हुए कहते हैं यह सरकार पूरी तरह से जनविरोधी और पूंजीवाद को समर्पित है।

यह है विकसित भारत संकल्प यात्रा

दरअसल, शासन द्वारा निर्गत निर्देश के अनुपालन में योजनाओं के संतृप्तीकरण के लिए आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 नवंबर 2023 से 26 जनवरी 2024 तक विकसित भारत संकल्प यात्रा के क्रम में सभी जनपदों में प्रत्येक दिन 7 विकास खण्डों की कुल 14 ग्राम पंचायतों में विकसित भारत संकल्प यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।

ग्राम पंचायतों में विकसित भारत संकल्प यात्रा सम्बन्धित नामित नोडल अधिकारी के पर्यवेक्षण में किए जा रहा है। इन सभी ग्राम पंचायतों में विभिन्न विभागों द्वारा स्टाल लगाकर, उन स्टालों पर प्रदर्शन के साथ ही उपस्थित जन समूह को जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दिए जाने तथा पंजीयन और ऑनलाइन आवेदन की कार्रवाई भी की जा रही है।

विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ प्रत्येक विकसित भारत संकल्प यात्रा में विकास विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों के खण्ड स्तरीय अधिकारी, ग्राम पंचायत स्तरीय अधिकारियों एवं स्थानीय जनता सहित जनप्रतिनिधि एवं जिला स्तरीय अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस दौरान आयोजित चौपाल में विभिन्न लाभार्थियों से उनकी सफलता की कहानी उनकी जुबानी सुनवाई जा रही है।

बाकायदा एलईडी वाहन पर लगी स्क्रीन पर सरकार की योजनाओं को दिखाते हुए उन लाभार्थियों को सामने लाया जा रहा है जो सरकार और उसकी योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं। जबकि जो वंचित होते हुए आए हैं या योजना का लाभ लेने के लिए ना जाने कितने पापड़ बेले हैं।

आयोजन पर आरोपों की बौछार

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित मध्य प्रदेश की सीमा से लगे हुए जनपद मिर्जापुर में यहां की सांसद तथा केन्द्र सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल द्वारा जेम्स संवाद मेला का आयोजन कराया गया था। इसके आयोजन पर सवाल उठाते हुए हिन्दूवादी नेता मनोज श्रीवास्तव ने ही सवाल खड़े करते हुए सांसद को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

मनोज श्रीवास्तव तंज कसते हुए कहते हैं कि “चुनावी आहट मिलते ही जिले में आयोजित जेम्स संवाद मेला आम जनता के लिए पहेली बन गया। जब पेपरलेस व ऑनलाइन का जमाना है तब लाखों रुपये खर्च करके मेला के नाम पर महज सरकारी धन लुटाया गया। जो काम ऑनलाइन हो सकता था उस पर पचास लाख रुपये से अधिक खर्च करना जिले की जनता का अपमान नहीं तो और क्या है?

राष्ट्रवादी मंच के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव अपना दल की सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल पर जनता को बरगलाने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि  “चुनाव की आहट मिलते ही उनकी (सांसद) निद्रा भंग हो गई है। अब उन्हें विकास की याद आ रही हैं। खुद तो कुछ किया नहीं, लेकिन प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी बताकर अपने नाम का स्टीकर लगाते हुए घूम रही हैं।

संकल्प समस्याएं हटाने का या चुनाव जीतने तक का

जिस प्रकार से पूरे उत्तर प्रदेश में विकसित भारत संकल्प यात्रा के नाम पर योजनाओं के प्रचार-प्रसार का काम शुरू किया गया है उसे देख विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाना शुरू किया है कि आखिरकार चुनाव करीब देख यह प्रचार क्यों? जब सरकार बेहतरी भरे कार्यों को अंजाम देने में जुटी हुई है तो फिर डर किस बात का और प्रचार किसके लिए?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक भगवती प्रसाद चौधरी कहते हैं दरअसल, यह सरकार पूरी तरह से तानाशाही भरी नीतियों और मनमानी के बल पर अपनी बात को जनता पर जबरन थोपती आई है। विपक्ष की आवाज को कुचलकर अपनी मर्जी पर आमादा सरकार को अब सत्ता हाथ से जाने का भय सताने लगा है तो यह विकसित भारत संकल्प यात्रा निकालकर लोगों को लुभाने और भुनाने में जुटे हुए हैं।

विकसित भारत संकल्प यात्रा में जय श्री राम का गूंजता नारा

विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत गांव-गांव में घूमते एलईडी वाहन यानी मोदी जी की “गारंटी की गाड़ी” से खुलकर जय श्री राम का नारा बुलंद किया जा रहा है। यही नहीं “हम राम को लाये हैं.., घर-घर भगवा लहराएगा.. गाते हुए जमकर एक धर्म विशेष को बढ़ावा देते हुए प्रचार किया जा रहा है। जो दर्शाता है कि योजनाओं के प्रचार-प्रसार और योजनाओं से वंचित लोगों को संतृप्त करने के बजाए सरकारी खजाने के खर्च पर तथाकथित धर्म का प्रचार किया जा रहा है।

एक अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर वीडियो उपलब्ध कराते हुए कहा कि “आखिरकार इससे जनता को हम क्या संदेश देना चाहते हैं? माना कि श्री राम आपके आराध्य हो सकते हैं, लेकिन सभी के नहीं तो फिर विकसित भारत संकल्प यात्रा के बहाने योजनाओं के नाम पर यह प्रचार क्यों?”

संकल्प यात्रा ने सरकारी मुलाजिमों की बढ़ा दी परेशानियां

जिस दिन से विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ किया गया है उसी दिन से विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। इससे गांवों के सरपंच भी अछूते नहीं हैं। एक ही दिन में 7 विकास खण्डों के 14 गांवों में चौपाल लगाऐ जाने से भागदौड़ बढ़ जाने के साथ-साथ उनके दफ्तर के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है।

कुछ सरकारी मुलाजिमों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर “जनचौक” को बताया है कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के अन्तर्गत आयोजित होने वाली चौपाल के कारण वह दफ्तर के कामकाज को कर पाने में पिछड़ जा रहे हैं। दोहरी जिम्मेदारी का भार उन्हें हलकान किए हुए है।

यही दर्द ग्राम प्रधानों का भी रहा है। गांवों में चौपाल लगाऐ जाने से उनकी भी भागदौड़ तेज होने के साथ-साथ उन पर की जिम्मेदारियों का भार आ पड़ा है। हालांकि वह कौन सी जिम्मेदारियों का भार है। इस पर वह कन्नी काट कर चुप्पी साध लेते हैं।

(उत्तर प्रदेश से संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author