कर्नाटक में कांग्रेस के पास पुराने दिग्गज नेताओं की एक लंबी सूची मौजूद है। लेकिन नया नेतृत्व भी बखूबी तेजी से उभरकर सामने आया है। इसमें से एक हैं प्रियांक खड़गे, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे होने के साथ राज्य में 7 वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं। लेकिन अपने नवीनतम बयान से आज राष्ट्रीय सुर्ख़ियां बन गए हैं।
पत्रकारों के साथ अपनी बातचीत में प्रियांक खड़गे ने कहा है कि यदि राज्य में शांति व्यवस्था में व्यवधान पैदा किया जाता है तो उनकी सरकार बजरंग दल जैसे संगठनों को प्रतिबंधित करने से नहीं हिचकेगी। उन्होंने कहा, “यदि शांति भंग होती है तो हम यह नहीं देखेंगे कि यह बजरंग दल है या संघ परिवार का कोई अन्य घटक दल।”
जब पत्रकारों की ओर से खासतौर पर आरएसएस के संदर्भ में प्रियांक से प्रश्न किया गया तो उनका जवाब था, “यदि किसी ने भी कानून तोड़ा तो देश के कानून के मुताबिक उनके साथ व्यवहार किया जायेगा, चाहे इसके लिए उन्हें प्रतिबंधित ही क्यों न करना पड़े।”
उन्होंने आगे कहा, “कुछ तत्व पिछले 4 वर्षों से कानून या पुलिस की परवाह किये बगैर बेख़ौफ़ घूम रहे हैं, जिस पर अब लगाम लगाई जायेगी। यदि भाजपा नेतृत्व को यह स्वीकार नहीं है तो वे पाकिस्तान जा सकते हैं।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार हिजाब पर दिए गये आदेश और पाठ्यक्रम में किये गये बदलाव पर पुनर्विचार करेगी। इसके साथ ही पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा पारित गौ-हत्या विरोधी कानून एवं धर्मांतरण विरोधी कानूनों सहित सभी कानूनों पर पुनर्विचार किया जायेगा। यदि इनमें से कोई कानून विवादास्पद, सांप्रदायिक या सामाजिक सौहार्द के विरुद्ध जाता है या राज्य की छवि पर असर डालने वाला है तो हम उन्हें निरस्त करने पर विचार करेंगे।
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय उनके इस बयान पर आग-बबूला हैं। और हों भी क्यों न। आखिरकार यह कोई छोटी बात नहीं है। बजरंग दल को एक बार छोड़ भी दें लेकिन आरएसएस पर हाथ डालने की बात कह प्रियांक खड़गे ने असल में उस विशाल छत्ते पर सीधे हमला बोला है, जिसकी असंख्य बेल आज विभिन्न स्वरूपों में देश के सभी वर्गों, भौगोलिक क्षेत्रों और समुदायों में अपने स्तर पर सक्रिय हैं, और खुद को हर कृत्य से मुक्त दिखाने में अभी तक कामयाब रही हैं। अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट को टैग कर कहा है:
“क्या प्रियांक खड़गे कर्नाटक के सुपर सीएम हैं? या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बेटा होने के चलते उन्हें मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को परे हटाकर बयानबाजी करने का अधिकार मिल गया है? कांग्रेस को बिना मंत्रालय के इन मंत्रियों को इस प्रकार की ओछी बयानबाजी के लिए छुट्टा छोड़ने के बजाय अपनी 5 गारंटी कैसे दी जाये, इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
साफ़ नजर आ रहा है कि आने वाले दिनों में कर्नाटक सरकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के संविधान, लोकतंत्र और जनविरोधी कार्यों के खिलाफ कदम उठायेगी, और राज्य में सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ मुहिम चलायेगी,अल्पसंख्यक समुदाय के तेजी से सिमटते जाने हाशिए की कोशिशों के खिलाफ एक उम्मीद जगाने का काम करेगी। यह मुहिम पिछले 9 वर्ष से भारत में हिन्दुत्ववादी पताका फहराने वाली भाजपा-आरएसएस शक्तियों को एक बार फिर नए सिरे से अपनी रणनीति के पुनर्संयोजन के लिए बाध्य करेगी।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)