Saturday, April 27, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: योगी के ‘रामराज’ में रेंजर ने तोड़ी महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा, आदिवासी करते थे पूजा

मिर्जापुर। रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा तोड़े जाने के बाद मिर्जापुर में राजनीति तेज हो गई है। मामला मिर्जापुर के हलिया विकास खंड के सोनगढ़ा गांव के जमुनहिया बस्ती का है। जमुनहिया बस्ती में कोल आदिवासी समाज के लोग पिछले करीब एक दशक से भी अधिक समय से अपने आराध्य महर्षि वाल्मीकि को पत्थर पर प्रतिमा का रूप देकर पूजते आए हैं। आदिवासी समाज के लोग महर्षि वाल्मीकि को अपना आदर्श और पूर्वज मानते हैं।

रोज की भांति 22 अगस्त 2023 को भी आश्रम के पुजारी कन्हैया लाल कोल ने विधिपूर्वक पूजन किया। इसके बाद वो मदन सिंह लोढ़ी और ग्रामीणों को लेकर आश्रम की साफ-सफाई और पेड़ पौधों को लगाने में जुट हुए थे। तकरीबन 1 बज चुके थे, तभी अचानक वहां ड्रमंडगंज वन रेंज के रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी अपने लाव लश्कर के साथ आ धमकते हैं। बिना किसी नोटिस और सूचना के वो वाल्मीकि आश्रम की कुटिया को उजाड़ने में जुट जाते हैं। हद तो तब हो जाती है, जब वो महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा को लात से मारते हैं और उसे तोड़ने का आदेश देते हैं।

इस दौरान गांव के रहने वाले संतोष बताते हैं कि उन्होंने रेंजर से कहा कि “साहब ऐसा मत कीजिए यह हमारे आराध्य देव हैं, हम इनको पूजते हैं। आप जूते पहन के लात तो मत ही चलाइए, यह हमारे देव का अपमान है। आपके भी आराध्य देव हैं। जिस भगवान राम को आप पूजते हैं उसी रामायण के ये रचयिता भी हैं।” यह बताते हुए संतोष फफक पड़ते हैं। फ़िर थोड़ा रुकते हैं और कहने लगते हैं, “मेरे इन शब्दों का रेंजर साहब पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, वह अनाप-शनाप बके जा रहे थे।”

पुजारी कन्हैया लाल कोल अन्य ग्रामीणों के साथ।

गांव की रहने वाली शिव कुमारी ‘जनचौक’ को बताती हैं कि “पुजारी बाबा उनके सामने हाथ जोड़ कर विनती कर रहे थे कि साहब हमारे वाल्मीकि जी की यह दशा मत कीजिए, लेकिन वो नहीं रुके। आश्रम के पुजारी बुजुर्ग हैं उनकी उम्र का भी उन्हें (रेंजर) ख्याल नहीं रहा। रेंजर ने पुजारी को जोर से धक्का दिया जिससे वो दूर जा गिरे। इसके बाद रेंजर ने पूरे आश्रम को तहस नहस कर दिया।”

इस घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जुट जाती है। ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देख रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी अपने पूरे लाव लश्कर के साथ मौके से खिसक जाते हैं।

मूर्ति तोड़े जाने से ग्रामीणों में आक्रोश

महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति तोड़े जाने से आक्रोशित ग्रामीणों ने रेंजर के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हलिया थाने के सामने प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शन में शामिल आदिवासी समाज के विनोद, राम कैलाश, संतलाल, बंगाली, कमलेश, गीता देवी, शिव कुमारी, मुन्नी देवी, संगीता, शंभू, कृपा आदि ने बताया कि “पलाश के पेड़ के नीचे रखी गई महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति को रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी और राजपुर गांव के बेलगवां गांव निवासी युवक ने लात और लाठी डंडों से मारकर तोड़ दिया है। हद तो तब हो गई जब उन्होंने 62 वर्ष के पुजारी तथा एक अन्य व्यक्ति के साथ लाठी डंडों से मारपीट की।

तोड़ी गई प्रतिमा।

कमलेश कोल कहते हैं कि “आदिवासी समाज की भावना को ठेस पहुंचाने का कार्य किया गया है। प्रतिमा नहीं बल्कि हम लोगों का दिल तोड़ा गया है। हमारी आस्था को आहत किया गया है।” ग्रामीणों ने रेंजर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हलिया थाने पहुंचकर प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने किसी प्रकार मान मनौव्वल कर ग्रामीणों को घर वापस भेज दिया, लेकिन ग्रामीणों में आज भी कार्रवाई ना होने को लेकर आक्रोश बना हुआ है।

वहीं दूसरी ओर इस घटना की सूचना मिलने पर बुधवार की शाम छानबे से अपना दल एस की विधायक रिंकी कोल जमुनहिया बस्ती पहुंचकर ग्रामीणों से बातचीत कीं और मूर्ति तोड़ने के आरोपी रेंजर और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के लिए डीएफओ तथा उच्चाधिकारियों से बातचीत करने का आश्वासन दिया।

थानाध्यक्ष हलिया विष्णु प्रभा सिंह ने बताया कि घटना की जांच की गई है। तहरीर मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी। जबकि विधायक रिंकी कोल ने बताया कि “रेंजर द्वारा लात मारकर मूर्ति तोड़ने का मामला सामने आया है। मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की गई है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों से बात करूंगी।” इस संबंध में जब ‘जनचौक’ ने रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी से बात करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

मौके पर ग्रामीण एवं नेता।

आक्रोशित ग्रामीणों को मिला सपा का साथ

महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा तोड़े जाने और आश्रम को तहस नहस किये जाने को लेकर भाजपा, बसपा और कांग्रेस ने जहां पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है, तो वहीं समाजवादी पार्टी ने मुखर होकर इसके विरोध में आदिवासी समाज के साथ में खड़े होने और चुप ना बैठने का ऐलान किया है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी के निर्देश पर समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमण्डल तीसरे दिन यानी 24 अगस्त को जमुनहिया बस्ती पहुंचा।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल समाजवादी पार्टी के जिला सचिव गायत्री पटेल ‘जनचौक’ को बताते हैं कि “भगवान राम को पूजने वाले और उनको अपना आदर्श मानने वाले पूरी तरह से सत्ता के मद में चूर हो गए हैं। अधिकारी पूरी तरह से बेलगाम और निरंकुश चुके हैं। धर्म की बात करने वाली पार्टी के नेता आखिरकार इस मुद्दे पर अभी तक खामोश क्यों हैं?”

मिर्ज़ापुर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी ने महर्षि वाल्मिकी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वाले रेंजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। सपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि मुकदमा दर्ज न होने पर सपा चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने लगे हाथ भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “इस सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। महिलाओं, बालिकाओं की इज्जत के साथ ही संत महात्माओं की मूर्तियां भी सुरक्षित नहीं है।”

तहस-नहस किया गया आश्रम।

‘जनचौक’ को आपबीती सुनाते हुए पुजारी कन्हैया लाल कहते हैं कि “रेंजर साहब ने हमें मां-बहन की गाली दी, कोल गंवार कहा कोई बात नहीं, लेकिन वाल्मीकि ऋषि की प्रतिमा को लात मारी, तोड़ दिया। वाल्मीकि आश्रम को तहस-नहस कर दिया, क्या यह दहशतगर्दी नहीं है?” पूछे जाने पर कि क्या आपको कोई नोटिस वन विभाग ने दिया है, के सवाल पर कन्हैया लाल कोल ने ना में सिर हिलाते हुए कहा कि “ना तो पहले कोई नोटिस मिला है, ना ही आज। दशकों से हम आश्रम में रहते आ रहे हैं। यह रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी की मनमानी और दबंगई है।”

मदन सिंह लोढ़ी अपने पैरों पर रेंजर के लाठियों से पिटाई के निशान दिखाते हुए बोलते हैं कि “रेंजर का व्यवहार पूरी तरह से जानवरों जैसा था, वह कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। कभी लाठी से मार रहे थे तो कभी अपने असलहे को तान दे रहे थे। मानों ऐसा लग रहा था कि हम कोई जंगली तस्कर हैं।”

कारवाई की मांग पर अड़े पुजारी

महर्षि वाल्मिकी की प्रतिमा को तोड़े जाने को लेकर ग्रामीण आक्रोशित हैं। ग्रामीणों के आक्रोश को भांपते हुए उपजिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी लालगंज मंजरी राव ने मौके का मुआयना कर भले ही पीड़ित पुजारी का बयान लेकर स्थिति को सामान्य बताया है, लेकिन पीड़ित पुजारी सहित ग्रामीण आज भी कारवाई की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। पीड़ित पुजारी कन्हैयालाल कोल अपने अनुयायियों के साथ नष्ट हुए आश्रम के समीप ही जमे हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हमें किसी आश्वासन की आवश्यकता नहीं है। जब तक आरोपी वन रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी और उनके साथ आए लोगों पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी तब तक हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।”

पांच नामजद, तीन अज्ञात के खिलाफ दी गई है तहरीर

वाल्मीकि आश्रम के पुजारी कन्हैया लाल कोल ने पांच नामजद सहित तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ हलिया थाने में तहरीर दी है, जिनमें ड्रमंडगंज वन क्षेत्र के रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी, असफाक पुत्र फरीद निवासी राजपुर, वाचर शेषपाल सिंह पुत्र रामराज सोनगढ़ा, वाचर रामधनी पाल पुत्र जग्गी सोनगढ़ा सहित वन दरोगा और तीन अज्ञात लोगों को नामजद किया गया है। लेकिन तहरीर देने के 6 दिन बीतने को हैं अभी तक किसी पर कारवाई की बात तो दूर, पुलिस किसी की परछाई तक भी छू नहीं पाई है।

रेंजर का विवादों से रहा है पुराना नाता

लंबे समय से मिर्ज़ापुर के ड्रमंडगंज वन क्षेत्र में जमे रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित ड्रमंडगंज वन एरिया जनपद प्रयागराज से लेकर मध्य प्रदेश से लगा हुआ है। यह इलाका अवैध खनन, लकड़ी माफिया से लेकर वन्य जीवों के शिकार के लिए कुख्यात रहा है। ऐसे में कमाऊ इलाकों में शुमार यह इलाका रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी को काफी भाता है। यही कारण है कि वो यहां लंबे समय से कुंडली मार कर यहां जमे हुए हैं। ऐसा भी नहीं है कि इनकी शिकायत नहीं होती है। शिकायतों की लंबी कतार लगी है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है।

ग्रामीणों की माने तो आरोपी रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी का जुल्म गरीब, दलित, आदिवासी समाज के लोगों पर बढ़ा है। वो फर्जी मुकदमे में फंसाने की धौंस दिया करते हैं। इनकी प्रताड़ना से तंग ग्रामीणों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। वाल्मीकि आश्रम के पुजारी कन्हैया लाल कोल ने बताया है कि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह आदिवासी समाज के लोगों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ और गोरखपुर में मिलकर अपनी व्यथा को सुनायेंगे। और तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब-तक आरोपी रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी और उनके साथ आए लोगों पर कार्रवाई न होती है।

(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।)

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