Saturday, April 27, 2024

चुनावी बॉन्ड, पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों से हिल गयी है वकीलों की राष्ट्रवादी लॉबी

इलेक्टोरल बॉन्ड, पीएमएलए पर सुप्रीमकोर्ट के हालिया फैसलों से लाइक माइंडेड हरीश साल्वे -मनन मिश्र लॉबी, वकीलों का एक समूह भन्ना गया है और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सहित देशभर के 600 वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर सवाल उठाने को लेकर चिंता जाहिर की है। अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विवाद में कूद पड़े है और उन्होंने आरोप लगा दिया कि न्यायपालिका को डराने और धमकाने की कोशिश की जा रही है।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी और भारत भर के लगभग 600 से अधिक वकील शामिल हैं, जिन्होंने पत्र लिखा है। न्यायपालिका की अखंडता को कमजोर करने के उद्देश्य से एक विशिष्ट हित समूह के कार्यों के खिलाफ गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए यह पत्र लिखा गया है।

लेकिन यह समूह अयोध्या विवाद, राफेल डील, सीबीआई चीफ विवाद, अडानी के पक्ष में जस्टिस मिश्र द्वारा गर्मी के अवकाश के दौरान सुनवाई करके फैसला, पीएमएलए को जायज ठहराने का फैसला, धारा 370 पर विवादित फैसला और महाराष्ट्र सरकार विवाद पर सुप्रीम फैसलों को भूल गया जब संविधान के मानकों की धज्जियां उड़ गयीं।

600 वकीलों द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गये ख़त को पीएम मोदी ने साझा करते हुए आरोप लगा दिया कि ‘डराना, धमकाना कांग्रेस पार्टी की पुरानी संस्कृति है’। इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि न्यायपालिका को बचाने के नाम पर वह खुद न्यायपालिका पर हमले की साज़िश कर रहे हैं।

सीजेआई को वकीलों द्वारा ख़त लिखे जाने की ख़बर को साझा करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, “दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। 5 दशक पहले ही उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था – वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं।”

पीएम मोदी ने जिस ख़त को लेकर यह ट्वीट किया है उसे देश के 600 से ज़्यादा वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखा है। पत्र लिखने वालों में पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे समेत कई वरिष्ठ वकील शामिल हैं। ये हरीश साल्वे वही हैं जिन्हें सरकार का पसंदीदा माना जाता है और जिनका नाम पनामा पेपर्स और पैंडोरा पेपर्स में भी आया था। 26 मार्च को ही लिखे इस पत्र में वकीलों ने सीजेआई से कहा है कि ‘न्यायपालिका ख़तरे में है और एक समूह न्यायपालिका पर दबाव बना रहा है। न्यायपालिका को राजनैतिक और व्यवसायिक दबाव से बचाना होगा।’

इस पत्र में वकीलों ने सीजेआई को संबोधित करते हुए लिखा है कि, ‘हम आपको पत्र लिखकर उस तरीके पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं जिस तरह से एक निहित स्वार्थ समूह अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और तुच्छ और अनर्गल तर्क के आधार पर हमारी अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।’

चिट्ठी लिखने वालों में एससीबीए के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल भी हैं जो इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतना आहत हुए थे कि राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर प्रेसिडेंशियल रेफरेंस की मांग कर दी थी। सीजेआई ने तब भरी कोर्ट में कहा था ‘मुझे मुंह खोलने के लिए बाध्य न करें!’

इस ख़त को लेकर पीएम मोदी की टिप्पणी पर कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने बयान जारी किया। उन्होंने पीएम मोदी पर ही न्यायपालिका पर हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा है, ‘न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने में प्रधानमंत्री की निर्लज्ज पाखंड की पराकाष्ठा!’

उन्होंने कहा, ‘हाल के सप्ताहों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉन्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें असंवैधानिक घोषित कर दिया – और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि वे कंपनियों को भाजपा को चंदा देने के लिए मजबूर करने के लिए भय, ब्लैकमेल और धमकी का एक ज़बरदस्त साधन थे। प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है।’

उन्होंने कहा, ‘पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी किया है वह विभाजन करना, विकृत करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना है। 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं।’

वकीलों के पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि वे दिन में नेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के जरिए जजों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

इस पत्र में वकीलों ने सीजेआई को संबोधित करते हुए लिखा है कि, हम, आपको पत्र लिखकर उस तरीके पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं जिस तरह से एक निहित स्वार्थ समूह अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और तुच्छ तर्क और बासी तर्क के आधार पर हमारी अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।

उनकी हरकतें विश्वास और सद्भाव के उस माहौल को खराब कर रही हैं, जो न्यायपालिका की कार्यप्रणाली की विशेषता है। उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में सबसे अधिक होती है, विशेषकर उन मामलों में जिनमें भ्रष्टाचार के आरोपी राजनीतिक हस्तियां शामिल होती हैं।

ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।यह समूह विभिन्न तरीकों से कार्य करता है। वे कथित ‘बेहतर अतीत’ और ‘अदालतों के स्वर्णिम काल’ की झूठी कहानियां गढ़ते हैं और इसकी तुलना वर्तमान में हो रही घटनाओं से करते हैं।

ये और कुछ नहीं बल्कि जानबूझकर दिए गए बयान हैं, जो अदालती फैसलों को प्रभावित करने और कुछ राजनीतिक लाभ के लिए अदालतों को प्रभावित करने के लिए दिए गए हैं।

यह देखना परेशान करने वाला है कि कुछ वकील दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने ‘बेंच फिक्सिंग’ का एक पूरा सिद्धांत भी गढ़ लिया है जो न केवल अपमानजनक और तिरस्कारपूर्ण है बल्कि यह हमारी अदालतों के सम्मान और प्रतिष्ठा पर हमला है।

सम्मानित न्यायाधीशों पर निंदनीय हमले भी किए जा रहे हैं। पत्र में इस समूह के बारे में कहा गया है कि वे हमारी अदालतों की तुलना उन देशों से करने के स्तर तक भी नीचे गिर गए हैं जहां कानून का कोई शासन नहीं है।वे हमारी न्यायिक संस्थाओं पर अनुचित प्रथाओं का आरोप लगा रहे हैं। ये सिर्फ आलोचनाएं नहीं हैं, वे सीधे हमले हैं जिनका उद्देश्य हमारी न्यायपालिका में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाना और हमारे कानूनों के निष्पक्ष कार्यान्वयन को खतरे में डालना है।

जिस भी निर्णय से वे सहमत होते हैं उसकी सराहना की जाती है, लेकिन जिस भी निर्णय से वे असहमत होते हैं उसे खारिज कर दिया जाता है, बदनाम किया जाता है और उसकी उपेक्षा की जाती है।

पत्र में लिखा है कि यह देखना अजीब है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं। यदि अदालत का फैसला उनके अनुकूल नहीं होता है तो वे तुरंत अदालत के अंदर और मीडिया के माध्यम से अदालत की आलोचना करते हैं। यह दोहरा व्यवहार हमारी कानूनी व्यवस्था के प्रति एक आम आदमी के मन में जो सम्मान होना चाहिए, उसके लिए हानिकारक है।

कुछ तत्व अपने मामलों में न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और न्यायाधीशों पर एक विशेष तरीके से निर्णय लेने का दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया पर झूठ फैला रहे हैं।

इससे हमारी अदालतों की निष्पक्षता को खतरा है और हमारे कानूनी सिद्धांतों के मूल पर आघात होता है।उनके तौर-तरीकों के समय की भी बारीकी से जांच की जानी चाहिए। वे ऐसा बहुत ही रणनीतिक समय पर करते हैं, जब देश चुनाव के लिए तैयार होता है।

हमें 2018-2019 में इसी तरह की हरकतों की याद आती है जब उन्होंने गलत कहानियां गढ़ने सहित अपनी ‘हिट एंड रन’ गतिविधियां शुरू की थीं।

व्यक्तिगत और राजनीतिक कारणों से अदालतों को कमजोर करने और हेरफेर करने के इन प्रयासों को किसी भी परिस्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती है।

हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह मजबूत बने और हमारी अदालतों को इन हमलों से बचाने के लिए कदम उठाए। चुप रहना या कुछ न करना गलती से उन लोगों को अधिक शक्ति दे सकता है जो नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। यह सम्मानजनक चुप्पी बनाए रखने का समय नहीं है क्योंकि ऐसे प्रयास कुछ वर्षों से और अक्सर हो रहे हैं।

कानून को बनाए रखने के लिए काम करने वाले लोगों के रूप में, हम सोचते हैं कि अब हमारी अदालतों के लिए खड़े होने का समय आ गया है। हमें एक साथ आने और इन गुप्त हमलों के खिलाफ बोलने की जरूरत है, यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारी अदालतें हमारे लोकतंत्र के स्तंभों के रूप में मजबूत रहें, इन सुविचारित हमलों से अछूती रहें।

इस पत्र में सीजेआई से कहा गया है कि, सर, इस कठिन समय में आपका नेतृत्व महत्वपूर्ण है। हमें आप पर और सभी माननीय न्यायाधीशों पर भरोसा है कि आप इन मुद्दों पर हमारा मार्गदर्शन करेंगे और हमारी अदालतों को मजबूत रखेंगे।हम सभी न्यायपालिका के समर्थन में हैं, हमारी कानूनी प्रणाली में सम्मान और ईमानदारी बनाए रखने के लिए जो भी आवश्यक है वह करने के लिए तैयार हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles