Tuesday, March 19, 2024

हिसार किसान मोर्चे का चेहरा बन गयी हैं रीमन नैन

रीमन नैन, कृषि से संबंधित 3 कानूनों के खिलाफ पिछले 5 महीनों से हिसार-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बाडोपट्टी टोल प्लाजा पर अपने आस-पास के 58 गांव की जोशीली महिलाओं का नेतृत्व कर रही हैं। 24 वर्षीय युवती रीमन नैन गुरनाम सिंह चढूनी ग्रुप के नेतृत्व वाली भारतीय किसान यूनियन की जिला हिसार शाखा से संबंधित कार्यकर्ता हैं जो इन जुझारू महिलाओं के जोश को अपनी तंज भरी कविताओं और नारों से जुनून में बदल देती हैं। 20 मई की सुबह रीमन नैन को स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से यह पता चला कि गत 16 मई को हिसार में हुए किसान आंदोलन के संदर्भ में आपसी समझौता होने के बावजूद आंदोलनकारियों के खिलाफ हत्या की कोशिश करने (धारा 307) समेत विभिन्न 11 धाराओं के अंतर्गत नामित लोगों में उनका नाम भी शामिल है। इस पर रीमन का कहना था कि हम मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाना चाहते थे। लेकिन हमारे विरोध को रोकने के लिए पुलिस ने पहले से ही बैरिकेडस लगा रखे थे। जबकि पुलिस का पक्ष यह है कि आंदोलनकारियों के लिए अवरोधक इसलिए खड़े किए गए थे ताकि वे कोविड अस्पताल को नुकसान ना पहुंचा सकें।

खेदड़ गांव में जन्मी 3 एकड़ के सीमांत किसान परिवार की बेटी रीमन बताती हैं कि जब उन्हें तीनों कृषि कानूनों के विपरीत प्रभावों की जानकारी मिली तो उन्होंने किसान आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। इसके बाद मैंने किसान महिलाओं को इसकी जानकारी दी कि इन कानूनों के चलते वे किस प्रकार भूमिहीन हो जाने वाले हैं। तभी उन्होंने टोल प्लाजा पर इकट्ठा होना शुरू कर दिया। यह युवा लड़की रीमन, जो फिलहाल कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से हिंदी में एमए कर रही है, ने बताया कि इस किसान आंदोलन के चलते कृषक महिलाओं को पंख से लग गए हैं। क्योंकि उन्हें इस आंदोलन के माध्यम से घर से बाहर निकलकर अपने पुरुष साथियों से विचार-विमर्श करने का मौका मिला है।

अब से पहले ये महिलाएं चूल्हा-चौका से बाहर नहीं निकल पाई थीं। रीमन इस बात के प्रति आश्वस्त हैं कि अब ये महिलाएं इतनी सशक्त हो चुकी हैं कि भविष्य में भी यदि इनके परिवारों के साथ कुछ भी गलत होता है तो ये अपनी आवाज बुलंद रखेंगी। वे किसी भी अन्याय के खिलाफ परचम उठाने को कटिबद्ध हो चुकी हैं। घर पर रीमन की मां दर्शना देवी इनकी सबसे बड़ी प्रशंसक हैं। दर्शना ने हमेशा ही अपनी बेटी को बेखौफ रहने की शिक्षा दी है। सफेद कमीज और पैंट पहने आंदोलन में शामिल रीमन अपने व्यंग्यात्मक लहजे के कारण आंदोलनकारियों में ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं। हिसार-दिल्ली राजमार्ग पर मय्यड़ टोल प्लाजा पर करीब 2 महीने पहले हुई महापंचायत में उन्हें बीकेयू की महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्षा नामित किया गया था। 

रीमन नैन अपने भावावेश का श्रेय कविता के प्रति अपने प्रेम व लगाव को देती हैं। उसका कहना है कि स्कूल के दिनों से ही उन्हें कविताओं से शाश्वत प्रेम हो गया था। जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थीं तो फोन के जरिए आकाशवाणी रोहतक से प्रस्तुत होने वाले ‘‘बालक मंडी’’ कार्यक्रम में अपनी कविताएं प्रस्तुत करती थीं, जो आकाशवाणी रोहतक से प्रसारित होता था। 12वीं कक्षा तक आते-आते वे रोहतक और हिसार दूरदर्शन केंद्र तक जाकर हरियाणा की ग्रामीण और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एवं महिलाओं के मुद्दों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत करने के लिए पहुंचने लगी थीं। आकाशवाणी के वरिष्ठ उदघोषक संपूर्ण सिंह बागड़ी, जो बालक मंडी कार्यक्रम के एंकर भी थे, को भी वे अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं।

इस युवा कवयित्री की एक बड़ी बहन व एक छोटा भाई है। गांव के स्कूल में अपनी उत्कृष्ट निपुणता के चलते वे सर्वोत्तम एथलीट भी रही हैं। ऐसे में इस तरह के लंबे आंदोलन में रीमन की जीवटता का एहसास किया जा सकता है। कुछ समय पहले तक रीमन एक अध्यापक बनने का सपना पाले हुए थीं। वर्ष 2018-20 के दौरान उनके गांव के महाविद्यालय में जूनियर अध्यापकों के एक कोर्स में उन्हें गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। लेकिन अब वह कह नहीं सकती कि भविष्य में क्या होने वाला है ? जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राजनीति में आएंगी ? तो उदासीन भाव से जवाब था कि फिलहाल तो इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करवाना हमारी प्राथमिकता है।

फिलवक्त यह किसानों की यह नायिका पुलिस द्वारा इतने आरोपों (कत्ल की कौशिश समेत) से हैरान अवश्य है लेकिन परेशान नहीं। वे कहती हैं कि ऐसी एफआईआर हमारी आवाज को दबा नहीं सकती बल्कि इससे आंदोलन ओर ज्यादा फैलेगा। लेकिन मुझे पीड़ा इस बात की है कि किसान नेताओं और प्रशासन के बीच हुई सहमति कि ‘‘कोई भी पक्ष एक-दूसरे पर केस नहीं करेगा’’ के बावजूद भी केस दर्ज किया गया है। उनका कहना है कि इससे किसान नेता अपने को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। उधर पुलिस का कहना है कि ऐसा कोई आश्वासन अधिकारियों द्वारा नहीं दिया गया था कि कोई कागजी कार्रवाई नहीं की जाएगी। हमारे जवानों को चोटें आई हैं और वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। ऐसे हालातों का मुकाबला करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने नजदीकी जिलों के किसानों का आह्वान किया है कि वे 24 मई को हिसार डिवीजन कमिश्नर कार्यालय का घेराव करने के लिए पहुंचे। रीमन ने दृढ़ता से कहा था कि उक्त घेराव में महिलाएं भी पूरे जोश-खरोश से शामिल होंगी।

(22 मई के इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इस खबर का अनुवाद गुरबख्श मोंगा ने किया है। मोंगा आजकल सिरसा में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles