मनरेगा के पैसे के लिए दिल्ली पहुंचीं बंगाल की महिलाओं में कोई कैंसर पीड़ित तो कोई बुढ़ापे में बर्तन मांजने को मजबूर

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की ‘दिल्ली चलो’ कॉल के बीच पूरे बंगाल से सैंकड़ों की संख्या में लोग मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे। यहां लोगों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया। जिसमें सबसे मुख्य मांग केंद्र सरकार द्वारा 15 हजार करोड़ रुपये तत्काल रिलीज करने की थी। जिसमें दो साल का मनरेगा फंड भी शामिल है। लोगों की मांग थी कि दो साल से न उन्हें काम मिला है और न ही किए गए काम का पैसा।

जंतर-मंतर में सैंकड़ों लोगों को बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जो अपना जॉब कार्ड साथ लेकर आए थे। इन सभी लोगों को दो साल से पैसा नहीं मिला है। इसमें ज्यादातर महिलाएं थी। जो अलग-अलग हिस्सों से आकर हाथ में प्लेकार्ड लेकर अपने पैसों की मांग कर रही थीं। साथ ही अपनी स्थिति को भी बयां कर रही थीं।

कैंसर मरीज को दोबारा काम मिलने की आस

‘जनचौक’ की टीम जंतर-मंतर पहुंची इन महिलाओं से बात की। मनरेगा सुपरवाइजर प्रियंका सूत्रधार इनमें से एक थीं जो कोलकाता के बाहरी इलाके नेहाटी से आई थीं। उनके दो बच्चे हैं। फिलहाल पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। दोनों बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रही हैं। उन्हें दो साल से पैसे नहीं मिले हैं। उन्हें पैसों से ज्यादा चिंता दोबारा काम न मिलने की है।

जंतर-मंतर पर प्रियंका सूत्रधार।

वह कहती हैं कि “मैं कैंसर की मरीज हूं। सरकारी अस्पताल से इलाज करा रही हूं। पति की इतनी कमाई नहीं हैं कि शऱीर को ताकत देने वाली चीजें खा सकूं, ऐसे में सिर्फ दवाईयों के सहारे कितने दिन जी पाउंगी। इसलिए मैं चाहती हूं कि दोबारा से काम शुरू हो जाए ताकि हमें कुछ पैसे मिल पाएं। मैं ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं हूं कि कहीं और नौकरी कर पाऊं। न ही मेरा शरीर इतना साथ दे पा रहा है।”

दूसरों को घरों में बर्तन मांज कर गुजारा

सुनीता वर्मन कोलकाता नेहाटी से आई थीं। हाथ में एक तख्ती लेकर बैठी थीं। मुझसे बात करते हुए उनका गला रूंध जाता है। उनकी उम्र 60 के आसपास की होगी। वह भारी आवाज में कहती हैं कि “हमलोगों ने इतनी मेहतन से धूप बारिश न देखते हुए गड्ढे खोदे थे। अब जब पैसों की बारी आई है तो सरकार पैसे नहीं दे रही है। पिछले दो साल से हम लोग अपने पैसों के लिए भटक रहे हैं। न ही पैसे मिले न ही रोजगार। हमें यह भी पता है कि मनरेगा से मिलने वाला पैसा बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन हम जैसे गरीब लोगों के लिए वह भी बहुत है।”

सुनीता कहती हैं कि “घर में छह लोग हैं। पति का देहांत हो गया है। बेटा दिहाड़ी मजदूरी करता है। लंबे समय तक जब पैसा नहीं मिला तो मैंने दूसरों के घर में बर्तन धोने का काम शुरू कर दिया है। फिलहाल उससे ही मेरा खर्च चल रहा है।”

जंतर-मंतर पर सुनीता वर्मन।

सुनीता के साथ कई और महिलाएं आई थीं, जिसमें कई विधवा थीं। अब उन्होंने दूसरा काम करना शुरू कर दिया है। इसमें से कुछ ऐसी भी थीं जिनकी शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है। वह कहती हैं कि अगर उन्हें मनरेगा में काम मिला जाता है तो वह इसके साथ बाकी के समय में दूसरा काम कर लेती हैं। जिससे उनकी अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है।

आपको बता दें कि मनरेगा का काम हमेशा खेती के सीजन के हिसाब से ही 100 दिन तक कराया जाता है। ताकि खेती का काम भी प्रभावित न हो। वहीं बंगाल में तीन सीजन में धान की खेती की जाती है। साथ ही सब्जी का काम भी बड़ी मात्रा में किया जाता है।लेकिन मनरेगा का काम बंद होने के कारण महिलाओं को एक ही काम में बंधना पड़ा है।

कश्मीरा बीबी उनमें से एक हैं जो हिंदी नहीं बोल पाती हैं। उनका कहना है कि ‘इतने दिन काम किया फिर काम के पैसे का इंतजार किया, पैसे नहीं मिले तो दूसरों के घरों में काम करना शुरू कर दिया है’। वो कहती हैं कि “क्या करें पति हैं नहीं, बच्चों पर कितना आश्रित रहूं। महंगाई इतनी है कि एक आदमी के काम से घर नहीं चल सकता है। इसलिए दूसरा विकल्प यही बचता है।”

जंतर मंतर के धरने में महिलाएं।

यहां आई महिलाओं की एक चिंता यह भी थी कि उनका सबसे बड़ा त्योहार इसी महीने आने वाला है। अगर ये पैसे मिल जाएंगे तो वह अपना त्योहार अच्छे से माना पाएंगी। बच्चों को भी कुछ लेकर दे पाएंगी।

जॉब कार्ड साथ लेकर आए लोग

राइमा बीबी भी कोलकाता के बाहरी इलाके से आई थीं। उन्होंने अपने हाथ में जॉब कार्ड ले रखा था। वह ज्वांइट फैमिली में रहती हैं। जहां आठ लोग रहते हैं। सभी काम करते हैं। उनका कहना था कि “दो साल काम किया है और पैसा दो दिन का भी नहीं मिला है। ऐसे में घर कैसे चलेगा। महंगाई इतनी ज्यादा है कि कुछ भी खरीदने से पहले सोचना पड़ता है। ऐसे में पैसे नहीं मिलना बड़ी बात है।”

तृणमूल जन-प्रतिनिधि जॉब कार्ड धारकों को देंगे पैसा

मंगलवार को जंतर-मंतर में धरना-प्रदर्शन में बंगाल के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कार्ड धारकों के लिए बड़ा ऐलान किया। अपने भाषण में अभिषेक बनर्जी ने कहा कि “अगर केंद्र सरकार 2500 कार्ड धारकों का पैसा नहीं देगी तो बंगाल के जन प्रतिनिधि अपने वेतन से इसका भुगतान करेंगे।” उन्होंने कहा कि 70 हजार जनप्रतिनिधि दो महीने के भीतर यह व्यवस्था करेंगे।

जंतर-मंतर के कार्यक्रम में अभिषेक बनर्जी।

इस ऐलान के साथ ही अभिषेक बनर्जी ने यह भी कहा कि मंगलवार को आंदोलन का अंत नहीं हुआ है। बल्कि आज से आंदोलन और तेज हो गया है। हम केंद्र से अपना पैसा ब्याज समेत वापस लेंगे।

इससे पहले 2 अक्टूबर के दिन अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों, विधायकों और समर्थकों ने राजघाट में मौन सत्याग्रह किया। जिसके बाद मीडिया से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हम हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। लेकिन पहले गिरिराज सिंह को गिरफ्तार किया जाए, जो बंगाल का पैसा नहीं दे रहे हैं।

वहीं केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राजमंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगल के आरोपों का खारिज करते हुए कहा कि पिछले नौ सालों में पश्चिम बंगाल को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा विकास के लिए दो लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं। इतना ही नहीं पिछले नौ सालों में मनरेगा जैसी योजना के लिए 54 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं।

(दिल्ली के जंतर-मंतर से पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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