सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में नियुक्ति में धांधली, झारखंड उच्च न्यायालय ने कुलपति पर लगाया 5,000 का जुर्माना

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रांची। सहायक व्याख्याता नियुक्ति मामले में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में वर्ष 2019 में आरक्षण रोस्टर को ताख पर रखकर व्यापक रूप से की गई धांधली के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सभी रिक्त पदों पर मनमाने तरीके से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया था। जिसमें तत्कालीन कुलपति डॉ. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा और गौरव गांगुली सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों के मिलीभगत थी।

उल्लेखनीय है कि उक्त मामला धीरे-धीरे उजागर हुआ तो इस धांधली को लेकर प्रभावित लोगों ने राजभवन, यूजीसी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक न्याय की गुहार लगाई। लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला, तब बाध्य होकर माननीय उच्च न्यायालय में वाद दायर किया गया। लेकिन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस धांधली पर पिछले 4 वर्षों में कोई भी जबाब दाखिल नहीं किया। इस बीच 2 कुलपति आये परंतु किसी ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया। इस दरम्यान दिनांक 2/5/24 को मामले का रिट पिटीशन दायरकर्ता डॉ. राजेश कुमार दास ने उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता के माध्यम से इमरजेंसी आवेदन देकर सुनवाई कराई। जिसमें सुनवाई के दौरान मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और कुलपति के ऊपर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाते हुए पुनः 4 सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। जिसका नोटिस यूनिवर्सिटी को रिसीव करा दिया गया है।

विदित हो कि उक्त नियुक्ति घोटाले के पूर्व में भी यूनिवर्सिटी के कुलपति और डीएसडब्ल्यू सहित कई अधिकारियों के ऊपर अनुशासनात्मक कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है और कुछ अधिकारी जेल भी जा चुके हैं। इसके बावजूद वर्तमान में हो रहे नियुक्ति में घोटाले जारी हैं।

विदित हो कि सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय 2019 से चल रहा इस मामले को लेकर देवघर निवासी एवं सहायक व्याख्याता के अभ्यर्थी डा. राजेश कुमार दास ने कई बार राजभवन, मुख्यमंत्री कार्यालय झारखंड, उच्च शिक्षा निदेशक झारखंड सरकार, सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार सहित संबंधित विभाग के कई कार्यालयों को पत्राचार किया। इस पत्राचार के फलस्वरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम पत्र जारी करते हुए एक कमेटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने का निर्देश भेजा। तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डॉ. सोना झरिया मिंज इसकी समीक्षा करते हुए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया, जिसके अध्यक्ष विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रोफेसर डॉ. हनुमान प्रसाद शर्मा, जिन्होंने निष्पक्ष जांच करते हुए सभी बिंदुओं पर एक 20 पन्ने की रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सौंपा। जिसमें आरक्षण रोस्टर के बिंदुवार पहलुओं पर विस्तृत चर्चा एवं समीक्षा की गई।

डॉ. दास बताते हैं कि यदि हनुमान प्रसाद शर्मा की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय में उचित कार्रवाई हुई होती तो न जाने विश्वविद्यालय के कितने चेहरे बेनकाब हो जाते। इतना ही नहीं यदि आज भी इस पूरे मामले की जांच राजभवन या एचआरडी के द्वारा गठित जांच टीम से कराई जाए तो कई फर्जी पदाधिकारियों के भी पोल खुलने की पूरी संभावना है।

विश्वविद्यालय में कई पदाधिकारी एवं प्रोफेसर नियुक्त हैं जिनकी डिग्रियां ही फर्जी है। दास कहते हैं कि किसी भी एजेंसी के द्वारा जांच की जाय तो कई बड़े-बड़े मामले उजागर हो सकते हैं।

2019 के अधिसूचना संख्या एसकेएमयू/डीएसडब्ल्यू/10/2019 के सहायक व्याख्याता नियुक्ति मामले में आवेदनकर्ता द्वारा की गई शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार नई दिल्ली में कमीशन के उपाध्यक्ष अरुण हलधर की अदालत में कई बार द्विपक्षी सुनवाई की गई, जिसमें कई पदाधिकारी के ऊपर विधि सम्मत कानूनी कार्रवाई भी हो चुकी है। नियम के अनुपालन नहीं करने के आरोप में यूनिवर्सिटी के पदाधिकारी (डीएसडब्ल्यू) डॉ. गौरव गांगुली को कारावास भी हो चुका है। इसके बावजूद इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना इसमें किसी बड़ी हस्ती के शामिल होने की संभावना की ओर इंगित करता है।

वर्तमान में अधिसूचना संख्या 17/2024 में हो रही नियुक्ति प्रक्रिया

जैसा कि 2019 के सहायक व्याख्याता नियुक्ति मामला अभी तक शांत भी नहीं हुआ है और उक्त मामला अभी उच्च न्यायालय झारखंड में विचाराधीन है, जिसका वाद संख्या 1483/2020 है। इसके बावजूद वर्तमान में अधिसूचना संख्या 17/2024 के तहत विश्वविद्यालय में सहायक व्याख्याता नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। जिसमें विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर मेगा सूची अपलोड किया गया है एवं वर्तमान में अभ्यर्थियों से दावा आपत्ति के लिए आवेदन यूनिवर्सिटी में 6 मई 2024 तक मांगा गया है। लेकिन यह यूनिवर्सिटी द्वारा दावा आपत्ति के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। क्योंकि जितने भी अभ्यर्थी दावा आपत्ति के लिए आवेदन दे रहे हैं संभवतः किसी के भी अंको में संशोधन यूजीसी द्वारा जारी नियुक्ति नियमावली मापदंड के तहत नहीं की जा रही है।

विश्वविद्यालय के पदाधिकारी का स्पष्ट कहना है कि हम यूजीसी के नियमावली को नहीं मानते हैं, झारखंड की अपनी नियमावली है, उसके अनुसार ही बहाली की प्रक्रिया की जा रही है। यदि अभ्यर्थी के द्वारा यूनिवर्सिटी की नियमावली की मांग की जाती है या दिखाने को कहा जाता है, तो विश्वविद्यालय के लेखा पदाधिकारी डॉ विजय बरियार एवं कुलानुशासक राजीव रंजन तथा राजीव केरकेट्टा कहते हैं कि मेरे पास दिखाने लायक कोई भी मापदंड नहीं है। इतना ही नहीं यूजीसी के नियुक्ति मापदंड में स्पष्ट जिक्र किया गया है कि स्नातकोत्तर के बाद आप डिग्री कॉलेज में शिक्षण का कार्य कर सकते हैं, जो मान्य है। परन्तु सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय उस नियम को नहीं मान रही है और कह रहे हैं कि शिक्षण अनुभव नेट, पीएचडी के बाद का होगा तभी मान्य होगा। जबकि पूरी नियुक्ति नियमावली में दूर दूर तक कही ऐसा नहीं है और न ही नियमपूर्वक प्रकाशन का या पुस्तक ऑथरशिप पर कोई अंक दिया जा रहा है। इन सभी पदाधिकारी का स्पष्ट कहना है कि इस संदर्भ में हमारे पास यूजीसी की नियमावली नहीं है।

विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई मौखिक नियमावली है। जिस पर अंकों का निर्धारण किया जा रहा है। कुल मिलाकर यह कह देना अतिशयोक्ति होगा कि सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका न ही यूजीसी के नियमों को और ना ही राजभवन के नियमों का विधिवत पालन कर रहा है और अब इस नियुक्ति नियमावली में भी भ्रष्टाचार की बू नजर आ रही है।

इतना ही नहीं अभी वर्तमान में विश्वविद्यालय में कोई स्थाई कुलपति नहीं हैं यहां राजभवन के द्वारा जारी पत्र मेमो no.-08/2023-1755/GS रांची दिनांक -7/06/2023 की राजभवन के लीगल OSD मुकलेश नारायण के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार प्रभारी कुलपति विमल प्रसाद सिंह को सिर्फ रूटीन कार्य के लिए प्रतिनियुक्ति किया गया है। जिसे ना ही नियुक्ति का अधिकार दिया गया है और न किसी भी तरह का प्रशासनिक पावर, न ही किसी भी प्रकार की वित्तीय निकासी का अधिकार दिया गया है। फिर भी इस भ्रष्ट कुलपति के द्वारा राजभवन के सभी नियमों को ताख पर रखते हुए समस्त कानूनों को अपने हथेली पर लेकर ऐसे कई नियम विरुद्ध कार्य यूनिवर्सिटी के अन्य भ्रष्ट पदाधिकारियों की मिलीभगत से कर रहे हैं।

बताते चलें कि पत्रांक संख्या SKMU/R-G/215 दिनांक 06/4/2024 के आलोक में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका के कुलसचिव डॉ विनय कुमार सिन्हा के हस्ताक्षर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। जिसमें स्पष्ट शब्दों में जिक्र किया गया है कि इस घंटी आधारित सहायक व्याख्याता नियुक्ति प्रक्रिया में ऐसा कोई पदाधिकारी या कर्मी सदस्य नहीं होंगे, जिनकी बेटी, बेटा, बहू, पत्नी या परिवार के अन्य कोई भी सदस्य आवेदन किया हो। लेकिन अब इस नोटिफिकेशन को नया नियम बनाकर उसे खुद तोड़ रहे हैं।

इसका प्रमाण है यूनिवर्सिटी के लेखा पदाधिकारी डॉक्टर विजय बरियार की बेटी वैशाली बरियार, जो राजनीति विज्ञान संकाय में सहायक प्राध्यापक के लिए आवेदन किया है और उनके पिताजी डॉ विजय बरियार इस नियुक्ति कमेटी के सदस्य के रूप में नामित हैं और खुद सभी के अंकों का मूल्यांकन कर रहे हैं। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि विश्वविद्यालय में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाकर धांधली और भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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