Sunday, April 28, 2024

स्पेशल रिपोर्ट: पानी की समस्या से जूझते लोग और पानी आपूर्ति में प्रधान का खेल

मिर्जापुर। जिस पानी की गंभीर समस्या से जूझते ग्रामीणों ने पिछले वर्ष ब्लाक मुख्यालय पर प्रदर्शन कर ग्राम प्रधान द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे टैंकर के पानी को “ऊंट के मुंह में जीरा” बताया था, उसी की आपूर्ति में ग्राम प्रधान ने बड़ा खेला कर दिया है। खेला भी कोई ऐसा वैसा नहीं पूरी कानूनी प्रक्रिया को ही ताक पर रख दिया। जिसके तहत पानी की आपूर्ति के एवज में होने वाले भुगतान को अपनी मां के खाते में डाल दिया। और इसका सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि सारे मामले को जानते हुए भी जिम्मेदार मुलाजिम आंखें बंद किए रहे। मामला तब सामने आया जब कुछ लोगों ने आवाज उठाई और जांच पड़ताल कराने की दिशा में लग गए। वैसे मिर्जापुर के राजगढ़ विकास खण्ड क्षेत्र में भ्रष्टाचार घोटाले का यह कोई नया मामला नहीं है। गौर करें तो पहले भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई और शिकायतों की फाइलों को दफ्न कर दिए जाने से मामला दर मामला दबता आया है। 

जाने क्या है पूरा मामला

मिर्जापुर जिले के विकासखंड राजगढ़ में वर्ष 2023-24 के दौरान राजगढ़ ग्राम पंचायत में पेयजल की गंभीर समस्या को देखते हुए पानी उपलब्ध कराने के लिए टैंकर से ग्रामीणों को पानी की व्यवस्था की गई थी। गांव-गांव में टैंकर से पानी की आपूर्ति भी हुई, लेकिन इस पानी के भुगतान को लेकर मनमानी भी सामने आई है। मामला ग्राम पंचायत राजगढ़ का है जहां पर ग्राम प्रधान आशीष जायसवाल ने 2023-24 के गांव में किए गए टैंकर से पानी की आपूर्ति का पैसा पंचम वित्त संख्या- 74773482 के माध्यम से बैंक खाता संख्या- 22169493852 गीता देवी पत्नी ठाकुर प्रसाद के खाते में 23 नवंबर 2023 को 1 लाख रुपए का भुगतान कर दिया।

कमाल यह देखिए उसके बाद 29 नवंबर 2023 को गीता देवी पत्नी ठाकुर प्रसाद के खाते में 50000 रुपए का भुगतान किया गया है। गीता देवी पत्नी ठाकुर प्रसाद कोई और नहीं बल्कि ग्राम प्रधान आशीष जायसवाल के माता-पिता हैं। इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी पंचायत पूर्णेन्दु चंद ने बताया कि शासनादेश के मुताबिक ग्राम प्रधान अपने परिजनों के खाते में पैसे का भुगतान नहीं कर सकते हैं। जबकि ग्राम प्रधान ने इसे कर दिखाया है।

वहीं इस संबंध में राजगढ़ के खंड विकास अधिकारी रमाकांत ने बताया कि उन्हें इस शासनादेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है। खंड विकास अधिकारी का यह हास्यास्पद बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है कि ऐसे जिम्मेदार खंड विकास अधिकारी की मानसिकता शासन के प्रति क्या है? आसानी से समझी जा सकती है। हालांकि आनन-फानन में मामला तूल पकड़ते देख ग्राम विकास अधिकारी राजगढ़ दीपक त्रिपाठी को कार्य मुक्त कर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है, लेकिन अभी तक ग्राम प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से ग्रामीणों के साथ-साथ ब्लॉक से जुड़े कर्मचारियों में भी अंदर ही अंदर आक्रोश देखा जा रहा है कि आखिरकार प्रधान के खिलाफ कब करवाई होगी?

ग्रामीण बताते हैं कि इस प्रकार की कार्रवाई का राजगढ़ विकास खंड में यह दूसरा मामला है। कुछ वर्ष पूर्व राजगढ़ विकास खंड के ही रैकरी के ग्राम विकास अधिकारी को भी विकास कार्यों में अनियमितता, ग्राम प्रधान को तवज्जो ना देने के मामले में कार्यमुक्त कर दिया गया था। 

सुर्खियों में रहता है राजगढ़ ब्लाक

मिर्जापुर जनपद का राजगढ़ विकास खंड जिले के सिर्फ 12 विकास खंड क्षेत्रों में ही नहीं उत्तर प्रदेश के भी सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शुमार रहा है। जहां तैनाती मात्र से अधिकारी कर्मचारी कांपा करते थे। कालांतर में नक्सली गतिविधियां थम गई हैं, लेकिन भ्रष्टाचार और घोटाले जैसे मामले ज़रूर बढ़ चले हैं। राजगढ़ विकास खंड मिर्जापुर जिले का अंतिम विकास खण्ड होने के साथ-साथ सोनभद्र जनपद से लगा हुआ है।

जिले का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाका होने के नाते यहां विकास मद में सर्वाधिक सहूलियत मिलने की भी बात कही जाती है, लेकिन यह सहूलियत ग्रामीणों तक पहुंच जाती है या पहुंचने से दूर बनी रहती है? के सवाल पर जिम्मेदार कन्नी काट जाते हैं। ग्रामीणों की मानें तो नक्सलियों का खौफ का दौर ख़त्म होने के बाद विकास के नाम पर लूट-खसोट मची हुई है। सरकारी पिछड़ापन, जमीनों पर कब्जा, योजनाओं में बंदरबांट, बदहाल गांव-गिरांव की सड़क गलियां यही यहां की पहचान बनी हुई है।

इस पर कार्रवाई तो दूर ग्रामीणों की आवाज को भी अनसुना कर दिया जाता है।

पानी को लेकर ग्रामीणों ने किया था प्रदर्शन

मिर्जापुर जिले का राजगढ़ विकास खंड क्षेत्र जंगलों और पथरीले भू-भाग वाला इलाका है। यहां पानी की समस्या एक गंभीर समस्या बनी रहती है। बात चाहे पेयजल की हो या सिंचाई की इसके लिए ग्रामीणों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। जानकर आश्चर्य होगा कि इस इलाके में सिंचाई की सुगम व्यवस्था के लिए भले ही नहरों का जाल बिछाया गया है लेकिन सिंचाई के पानी के लिए किसानों को परेशान हाल देखा जा सकता है। कुछ ऐसी ही स्थिति पेयजल को लेकर भी बताई जाती है। गर्मी प्रारंभ होने के साथ-साथ यहां पेयजल संकट भी गहराने लगता है।

जिसके लिए बाध्य होकर ग्रामीण धरना-प्रदर्शन को भी विवश होते हैं। पिछले वर्ष राजगढ़ विकास खंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत राजगढ़ के दलित बस्ती में ग्राम प्रधान द्वारा उपलब्ध करायें जा रहे टैंकर के पानी को “ऊंट के मुंह में जीरा” करार देते हुए ग्रामीणों ने ब्लाक मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था। ग्रामीणों ने बताया था कि “एक टैंकर पानी से ग्रामीणों को पेयजल की काफी दिक्कत आ रही है।”

ग्रामीणों ने बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाया कि टैंकर का चक्कर (फेरा) बढ़ाकर उन्हें (ग्रामीणों) को पर्याप्त पेयजल मुहैया कराया जाए, ताकि उनकी प्यास बुझने के साथ-साथ घर के घरेलू काम भी आसानी से हो सके। लेकिन आश्वासन के बाद कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी जिससे आक्रोशित होकर सैकड़ों ग्रामीणों ने खंड विकास अधिकारी राजगढ कार्यालय का घेराव कर दिया था। पानी की गंभीर होती समस्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ब्लाक मुख्यालय पर पानी की समस्या सुनाते सुनाते कुछ महिलाएं रोने लगी थीं।

          (मिर्ज़ापुर सतोष देव गिरी की रिपोर्ट )

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