Friday, April 19, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई चुनाव आयोग के फैसले पर रोक, शिंदे के पास रहेगा शिवसेना का नाम और निशान

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारत के चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसने एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

पीठ ने हालांकि उद्धव ग्रुप को मामले के लंबित रहने के दौरान ईसीआई के आदेश के पैराग्राफ 133 (IV) के संदर्भ में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और प्रतीक “ज्वलंत मशाल” को बनाए रखने की अनुमति दी। ईसीआई ने 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर अंतरिम व्यवस्था की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट और शिंदे खेमे को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है।

पीठ ने कहा कि शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया है। इस स्थिति में अभी हम चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है।

पीठ ने यह आदेश 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए दिया है। इस दौरान कोर्ट ने शिंदे गुट से कहा कि आप भी अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेंगे जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं। इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने सहमति जताई।

उद्धव गुट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने पीठ से कहा कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह द्वारा लिया जा रहा है। ऐसे में कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे। हालांकि पीठ ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

शिंदे गुट ने भी उद्धव की याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले उसका पक्ष जरूर सुने। उद्धव ठाकरे ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन हमसे ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता।

शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाईकोर्ट में होनी चाहिए। इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। कौल ने कहा कि इन्होंने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग की थी, जो नहीं मिली थी। अब फिर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद के बाकी मामले लंबित हैं, इसलिए इसे भी सुनिए। लेकिन यह कोई आधार नहीं।

वहीं उद्धव ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है। इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे। यह गलत है। अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है। उसकी उपेक्षा की गई।

इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे। इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से अलग नहीं करता।

चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया। दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया। आयोग ने विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है।

उद्धव गुट की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव निशान के विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया, जबकि इसे 2018 में बदला जा चुका था। संशोधन में कहा गया था कि शिवसेना में अध्यक्ष ही सबसे ऊपर होगा। किसी को पार्टी में शामिल करने, निकालने या बैठक करने पर आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।

उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।

उद्धव ठाकरे की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। पहले पार्टी का नाम और निशान गया, फिर विधानभवन में पार्टी का ऑफिस भी चला गया। अब बीएमसी मुख्यालय पर शिंदे गुट की नजर है। वहीं, शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असेंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है।

शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया। मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान को खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। राउत ने रविवार काे सोशल मीडिया में लिखा था कि 2000 करोड़ रुपये एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है।

राउत ने कहा कि सत्तारुढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी साझा की है। इसका खुलासा वे जल्द करेंगे। वहीं, राउत के इस बयान पर सीएम एकनाथ शिंदे के विधायक सदा सर्वंकर ने पूछा कि क्या उस डील के कैशियर संजय राउत हैं? इस मामले में नासिक में संजय राउत के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

(जे.पी.सिंह सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

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