Saturday, April 27, 2024

निठारी कांड: सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी, मिली थी फांसी की सजा

प्रयागराज। नोएडा के चर्चित निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। दोनों दोषियों को गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों दोषियों- सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की 14 अर्जियों पर यह फैसला सुनाया है। सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।

निठारी कांड का खुलासा साल 2006 में हुआ था। हाईकोर्ट में इस केस की सुनवाई 134 दिनों तक चली थी। सुरेंद्र कोली की मौजूदा 12 याचिकाओं में से पहली याचिका साल 2010 में दाखिल की गई थी। हालांकि इन याचिकाओं के अलावा भी हाईकोर्ट कोली की कुछ अर्जियों को निस्तारित कर चुका है। इनमें से एक मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है।

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने पिछले महीने ही इस मामलों में अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद पंढेर और कोली द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया था। मोनिंदर पंढेर की ओर से वकील मनीषा भंडारी पेश हुईं वहीं सुरेंद्र कोली की ओर से अधिवक्ता पयोशी रॉय उपस्थित हुए।

निठारी कांड अपने समय का बेहद चर्चित कांड रहा है। कुख्यात निठारी हत्याकांड 2005 और 2006 के बीच हुआ था। यह कांड तब सामने आया था जब दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में एक घर के पास नाले में कई सारे कंकाल पाए गए थे।

इसके बाद हुई जांच में पाया गया था कि मोनिंदर सिंह पंढेर उस घर का मालिक है और कोली उसका घरेलू सहायक था और इसलिए दोनों को घटना का आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

सीबीआई ने इस कांड की जांच में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूतों को नष्ट करने सहित विभिन्न आरोपों में आरोपी बनाया था, जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर को अनैतिक तस्करी से संबंधित एक मामले में आरोपित किया गया था।

इस कांड में सुरिंदर कोली को अंततः विभिन्न लड़कियों के साथ कई बलात्कार और हत्या करने का दोषी ठहराया गया और 10 से अधिक मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी।

जुलाई 2017 में, न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी की अध्यक्षता वाले एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने पंढेर और कोली को 20 वर्षीय महिला पिंकी सरकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।

इससे पहले, 2009 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरिंदर कोली को दोषी ठहराया था। वहीं एक अन्य पीड़िता, 14 वर्षीय रिम्पा हलदर की हत्या और बलात्कार के लिए सबूतों की कमी के कारण पंढेर को बरी कर दिया था।

इस फैसले के खिलाफ सुरिंदर कोली की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में ही खारिज कर दिया था। कोली की समीक्षा याचिका को भी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। बाद में 28 जनवरी 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोली की दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी के कारण सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। 

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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