नई दिल्ली। एनसीपी मुखिया शरद पवार ने पार्टी में टूट-फूट को लेकर चल रही अटकलबाजियों के बीच रविवार को साफ कर दिया है कि जिन लोगों ने भाजपा का साथ चुना है वो एनसीपी में नहीं रह सकते हैं। शनिवार को विधायक राणा द्वारा शरद पवार को लेकर दिए गए बयान कि 15-20 दिन में शरद पावर भाजपा का हिस्सा होंगें, के बाद कयास लगाया जा रहा था कि एनसीपी के दो गुट एक साथ आएंगे।
रविवार को जुन्नार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शरद पवार ने कहा कि जिन लोगों ने बीजेपी का हाथ थामा है, वो लोग एनसीपी के साथ नहीं हो सकते हैं। अगर आज कोई बीजेपी के साथ समझौता और गठबंधन करने के लिए तैयार है तो उसके लिए एनसीपी में कोई जगह नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जिन लोगों ने हमें वोट दिया था वो बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते थे।
एनसीपी प्रमुख ने कहा कि हमें लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ”अगर लोगों ने हमारे पक्ष में और भाजपा के खिलाफ वोट किया है तो हमें उनकी भावना का सम्मान करना चाहिए।”
चुनाव आयोग के समक्ष उठे विवाद पर शरद पवार ने कहा कि चुनाव आयोग ने मुझे समन भेजा जिसमें लिखा है कि 6 अक्तूबर को उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित होना होगा। मैं सुनवाई के लिए जाऊंगा, हम वहां अपना पक्ष रखेंगे।
पवार ने कहा कि “ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि पार्टी के स्वामित्व का दावा करने के लिए किसी पार्टी को कुल विधायकों में से दो-तिहाई का समर्थन होना चाहिए।” इस बीच, महा विकास अघाड़ी के घटक दलों ने रविवार को भाजपा के करीबी एक निर्दलीय विधायक के इस दावे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि शरद पवार 15-20 दिनों में भाजपा से हाथ मिला लेंगे।
रविवार को एनसीपी ने एक बार फिर से सुनिश्चित कर दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर शरद पवार और एनसीपी इंडिया गठबंधन के साथ और महाराष्ट्र यानी राजकीय स्तर पर महा विकास अघाड़ी गठबंधन के साथ हैं।
एनसीपी के प्रवक्ता महेश तापसे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जो लोग ये दावा करते हैं कि शरद पवार भाजपा से हाथ मिलायेंगे, उनको जवाब देने की ज़रूरत नहीं है। शरद पवार इंडिया गठबंधन और महा विकास अघाड़ी के साथ जुड़ें रहेंगे। मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को हराने के लिए, विपक्षी दलों को एक साथ लाने में शरद पवार का अहम रोल रहा है, और इंडिया गठबंधन के नेता भाजपा को हराने में उन पर काफी भरोसा भी करते हैं। हमारे पार्टी प्रमुख ऐसी किसी भी विचारधारा का अनुसरण नहीं करेंगे जो देश के लिए खतरा हो। वह 2024 के चुनावों में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
शनिवार को निर्दलीय विधायक राणा ने कहा था कि शरद पवार की भागीदारी के साथ भाजपा एक बार फिर महाराष्ट्र और केंद्र में सरकार बनायेगी। गणेश उत्सव के दौरान मैंने कई मंडलों का दौरा किया और भगवान से प्रार्थना की कि “देश की खातिर शरद पवार पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाएं।” प्रतिक्षा कीजिए अगले 15-20 दिनों में चमत्कार होगा।
महा विकास अघाड़ी दल की साथी पार्टी शिवसेना(यूबीटी) के प्रवक्ता अहेर ने राणा के इस दावे को बेतुका करार दिया है, और कहा कि क्या रवि राणा ने ये बात कहने से पहले देवेन्द्र फड़णवीस से इजाजत ली थी? अगर ऐसा सच में होता है तो एक बार फिर बीजेपी विपक्षी पार्टियों को तोड़ने में लगी है।
कांग्रेस राज्य इकाई ने भी राणा के दावे की आलोचना करते हुए कहा कि ये वो लोग हैं जिन्हें इस तरह के बयान देने के लिए भाजपा भुगतान करती है। इंडिया गठबंधन ने भाजपा को हिलाकर रख दिया है, और अब भाजपा को समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी मजबूत पार्टी को टैकल कैसे करें। इसलिए भाजपा इस तरह की बेबुनियाद बयानबाजियों का सहारा ले रही है, जिससे इंडिया गठबंधन में सेंधमारी की जा सके।
कांग्रेस प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने कहा कि शरद पवार की अपनी विचारधारा है और उन्होंने हमेशा लोगों को विभाजित करने वाली भाजपा के विपरीत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों का समर्थन किया है। एनसीपी प्रमुख महात्मा गांधी की विचारधारा, सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करते हैं और भाजपा की तरह कभी भी गोडसे की राह पर नहीं चलेंगे।
शरद पवार के करीबी और एनसीपी नेता अंकुश काकड़े ने कहा कि राणा का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। उनके मानसिक इलाज का सारा खर्च एनसीपी उठाने के लिए तैयार है।
इसी बीच इंडिया गठबंधन की घटक पार्टी सपा की तरफ से खबर आ रही है कि आने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस एक साथ लड़ने के लिए तैयार हैं। रविवार को लखनऊ में पुस्तक विमोचन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हमारी पार्टी और कांग्रेस भाजपा को हराने के लिए आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ें। सपा नेताओं ने पहले कहा था कि पार्टी ‘राज्य की सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है’ जहां मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होने की उम्मीद है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा आगामी एमपी चुनाव अकेले लड़ेगी, अखिलेश ने कहा कि मैंने एमपी में मौजूद पार्टी कैडरों के साथ चर्चा की है, और उन्होंने मुझे एक सूची दी है। मैं चाहता हूं कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और एसपी साथ मिलकर लड़ें।
(द इंडियन एक्सप्रेस की खबर पर आधारित।)