झारखंड: कोयला प्रोजेक्ट के पास गोफ में समा गईं तीन महिलाएं, BCCL के खिलाफ लोगों में गुस्सा

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धनबाद, झारखंड। धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड अंतर्गत गोंदुडीह कोलियरी में 17 सितंबर को कुसुंडा क्षेत्र में संचालित एक आउटसोर्सिंग परियोजना के पास बने गोफ में गिरने से तीन महिलाओं की जान चली गई। रेस्क्यू टीम ने किसी तरह उनके क्षत-विक्षत शवों को निकाला। घटना के बाद क्षेत्र के लोगों में बीसीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ गुस्सा देखा जा रहा है।

तीनों महिलाएं शौच कर वापस लौट रही थीं कि अचानक जमीन धंस गई और वे अंदर समा गईं। धंसी जमीन एक बड़ा गोफ का रूप धारण कर लिया। महिलाओं को गोफ में समाते देख कुछ लोगों ने शोर मचाया और हादसे की सूचना पुलिस और सीआईएसएफ को दी। तीनों महिलाएं परला देवी 55 वर्ष, ठंड़ीया देवी 55 वर्ष और मंदवा देवी 60 वर्ष छोटकी बौआ कला पंचायत के धोबी कुल्ही बस्ती की रहने वाली थीं।

सूचना पर पुलिस और सीआईएसएफ की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य में जुट गई। उन्हें शाम को एक महिला के क्षत विक्षत शव निकालने में सफलता मिली, देर रात हो जाने के कारण बचाव कार्य में जुटी टीम ने काम बंद कर दिया। दूसरे दिन 18 सितंबर को रेस्क्यू टीम ने बाकी दो महिलाओं के क्षत विक्षत शवों को बाहर निकाला। इस घटना से धोबी कुल्ही बस्ती के लोग सहमे हुए हैं।

146 घर और करीब 700 की आबादी वाला बौआ कला पंचायत का धोबी कुल्ही एक छोटा सा गांव है। गांव से सट कर ही बीसीसीएल के गोंदूडीह खास कुसुंडा कोलियरी की एक खुली खदान में आउटसोर्सिंग कंपनी ‘हिल टॉप’ कोयला उत्खनन का कार्य करती है।

गोंदूडीह कोलियरी के जिस ट्रांसपोर्टिंग रोड पर गोफ बनने की घटना हुई है। उसका दायरा धोबी कुल्ही बस्ती के बीच तक है। जहां घटना स्थल के पास इसकी चौड़ाई 10 से 12 फीट की है, वहीं बस्ती के बीच में यह 30 फीट तक चौड़ी हो गई है। इसके कारण अबतक बस्ती के लगभग 40 घर गिर चुके हैं।

इस गांव के महेश रजक बताते हैं कि “पहली बार जब मैदान में तीन-चार इंज की दरार पड़ी थी, तभी हम लोगों ने बीसीसीएल और जिला प्रशासन से इस बावत सुरक्षा की गुहार लगाई थी। तब से लेकर अब तक सैकड़ों बार फैलती दरारों को लेकर सुरक्षा की गुहार लगाते हुए पत्र दिए जा चुके हैं। लेकिन आजतक बीसीसीएल और जिला प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। अगर हमारी बातों पर ध्यान दिया गया होता तो आज ऐसी घटनाएं नहीं होती और हमलोग सुरक्षित रहते।”

रजक बताते हैं कि जिन लोगों के मकान जमींदोज हुए, उनमें से 30 परिवार किराए के कमरे में रह रहे हैं, जबकि 110 परिवार आज भी भय के साए में अपना जीवन गुजार रहे हैं। गांव के संतोष कुमार रजक कहते हैं कि ‘बीसीसीएल और जिला प्रशासन तत्काल हमें सुरक्षित जगह दे। हमें कंपनी के खाली पड़े क्वाटरों में बसाया जाए’।

ग्रामीणों में आक्रोश

घटना स्थल पर जुटी भीड़ को बीसीसीएल प्रबंधन, जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोशित देखा गया। वहीं घटना स्थल पर उपस्थित मीडिया के समक्ष ग्रामीण महिलाएं स्थानीय विधायक मथुरा महतो के खिलाफ आग बबूला नजर आईं। स्थानीय महिलाओं ने हादसे के लिए मथुरा महतो को जिम्मेदार ठहराया है।

महिलाओं ने कहा कि “पिछले 3 सालों से मथुरा महतो के पास पुनर्वास की मांग के लिए हम लोग दौड़ रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा कोई भी सार्थक पहल नहीं की गई। जिस कारण आज यह हादसा हुआ है।” महिलाओं ने कहा कि “विधायक मथुरा महतो की झारखंड में सरकार है। लेकिन उनके द्वारा हमारे बारे में कोई भी कदम नहीं उठाया गया।”

वही टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने कहा कि “घटना बेहद दुखद है। जमींदोज महिलाओं को निकालने के साथ ही बीसीसीएल और जिला प्रशासन प्राथमिकता के तौर पर धोबी कुल्ही के लोगों को बसाने का काम करे। पहले विस्थापन और पुर्नवास हो, ताकि आगे किसी की जान न जाए।”

17 सितंबर को हुई घटना की सूचना पर जब पुलिस और सीआईएसएफ की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया तब आक्रोशित ग्रामीणों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की और परियोजना के अधिकारियों के साथ मारपीट भी की।

परियोजना के प्रमुख बीके झा के अनुसार, हादसे के बाद घटनास्थल पर जायजा लेने पहुंचे मैनेजर दिलीप कुमार और सहायक प्रबंधक राजेश कुमार के साथ स्थानीय लोगों ने मारपीट की, जिसमें एक सहायक प्रबंधक गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।

घटना की सूचना पर पहुंचे सीओ प्रशांत लायक को भी आक्रोशित ग्रामीणों ने घेर लिया। सीओ ने जब आक्रोशित ग्रामीणों को समझाने और शांत कराने का प्रयास किया तो वो भड़क गए। सीओं ने ग्रामीणों से कहा कि उन्हें बसाने का लिए भूली रीजनल अस्पताल परिसर में जमीन चिन्हित कर दी गई है। इस संबंध में बीसीसीएल को भी अवगत करा दिया गया है। ग्रामीणों को वहां चले जाना चाहिए था। इसी बात पर ग्रामीण बुरी तरह भड़क गए।

ग्रामीणों का कहना है कि जिस जमीन को चिन्हित किया गया है उसे लेकर बीसीसीएल प्रबंधन ने कोई आदेश जारी नहीं किया है। उस जमीन पर काफी संख्या में पेड़ हैं, जिन्हें काटने के लिए वन विभाग से अनापत्ति की जरूरत है। ग्रामीणों ने कहा कि बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में हमलोग कहां जाएं? ग्रामीणों के इस सवाल पर सीओ ने कोई जवाब नहीं दिया।

परियोजना प्रमुख ने बताया कि गोफ करीब 7 फीट चौड़ी और प्रारंभ में 15 फीट गहरी नजर आ रही थी। यह ईस्ट बसुरिया क्षेत्र के 2 और 3 सिम का आउटलेट है। यहां आग नहीं है, लेकिन बारिश के कारण नीचे की मिट्टी खिसकने के कारण ऊपर की सतह कमजोर हुई और गोफ बनी।

कोलियरी क्षेत्रों में कोयला खनन की जब शुरूआत हुई तब डीजीएमएस (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ माइंस सेफ्टी धनबाद एंड मिनिस्ट्री ऑफ़ लेबर एंड एम्प्लॉयमेंट) खान सुरक्षा महानिदेशालय और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का गठन किया गया। जिसका ऑल इंडिया का कार्यालय धनबाद में बनाया गया। खान सुरक्षा महानिदेशालय का गठन इसलिए किया गया कि यह जाना जा सके कि जो खनन हो रहा है वह खनन नियम के तहत हो रहा है या नहीं। खनन कार्य में कहीं माइनिंग एक्ट का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। यहीं मुख्य उद्देश्य था डीजीएमएस का।

सबसे अहम बात यह है कि इसी कार्यालय में ऑल इंडिया के डायरेक्टर बैठते हैं। प्रावधान के अनुसार खनन के बाद जहां से कोयला निकला जाता है, वहां तुरंत बालू की भराई करनी होती है। ताकि भविष्य में न तो नीचे से आग लगे, न गैस रिसाव हो और न ही वह क्षेत्र नीचे खाली होने के कारण घंसे, जो गोफ का रूप धारण कर ले।

लेकिन कहना ना होगा कि यहां पिछले 10 सालों से माइनिंग एक्ट का खुल्लम खुल्ला अवहेलना हो रही है। जिसका ही परिणाम है इन क्षेत्रों में गैस रिसाव, भूस्खलन और आग का फैलना। अगर डीजीएमएस अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता तो इस तरह घटनाएं नहीं होती, जो आए दिन हो रही हैं और जिसके चपेट आकर लोग अपनी जान गवां रहे हैं।

बता दें कि बीसीसीएल के इन कोलियरियों में पिछले दस वर्षों में बड़े पैमाने पर बालू घोटाले हुए हैं। जैसे- जहां एक लाख क्यूबिक मीटर बालू की भराई होनी थी, वहां मात्र हजार दो हजार, बहुत हुआ तो दस हजार क्यूबिक मीटर ही बालू भरा गया है। जिसे कागजों पर एक लाख क्यूबिक मीटर दिखा दिया गया है। ऐसे घोटालों के समाचार आए देखने सुनने को मिलते रहे हैं।

इस बावत बियाडा के पूर्व अध्यक्ष और धनबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार झा कहते हैं कि नियमत: बालू भराई का काम पानी के साथ करना होता है, ताकि एक छोटा सा छेद भी नहीं बचे। लेकिन पिछले दस वर्षों में इसकी खुलेआम अवहेलना हुई है। अगर इसकी ईमानदारी से जांच हो जाए कि बीसीसीएल कहां से और कितना बालू लाया? कहां-कहां इसको स्टोरेज करके रखा? इस तरह के सवाल खड़े हों या जांच हो, तो डीजीएमएस के पास कोई जवाब नहीं होगा।

विजय कुमार झा बताते हैं कि पहले डीजीएमएस माइनिंग एक्ट की अवहेलना पर मुकदमा दर्ज करता था और संबंधित लोग जेल जाते थे। अब इसकी अवहेलना सभी की मिलीभगत से हो रही है। पिछले 10 वर्षों में कोई भी ऐसा उदाहरण नहीं है कि डीजीएमएस बालू फिलिंग नहीं करने को लेकर किसी कोलियरी को प्रतिबंधित किया हो या माइनिंग करने से रोक लगा दिया हो।

अधिवक्ता श्री झा कहते हैं कि आए दिन भू-आग, गैस रिसाव और भूस्खलन से जो गोफ बन रहे है जिसमें लोग गिर कर अपनी जान गवां रहे हैं उसका एकमात्र कारण है माइनिंग एक्ट के नियमों का पालन नहीं होना है।

गोफ में गिर कर लोगों की जान जाने की यह पहली घटना नहीं है, आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। इन घटनाओं पर दो-चार दिन खूब हंगामा होता है और कुछ दिन सब शान्त हो जाता है। पुनः जब ऐसी घटना होती है तो वही दोहराया जाता है। इन मामलों पर न तो बीसीसीएल प्रबंधन और न ही जिला प्रशासन गंभीर है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि को कुछ लेना देना होता है। एक बात जरूर होती है कि जब भी ऐसी घटना होती है संबंधित पीड़ित परिवारों और वहां रहने वाले लोगों को आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता और लोग इसे लेकर बजाते रहते हैं। लेकिन झुनझुना थमाने वाले की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

(विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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