नई दिल्ली। महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्राएं आक्रोशित हैं। वह सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रही है। उनकी मांग है कि परिसर के अंदर उनके साथ हो रहे छेड़छाड़ और उत्पीड़न पर प्रशासन अंकुश लगाए। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। परिसर में छात्राओं के साथ अक्सर ऐसी घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन द्वारा कोई समाधान पेश नहीं करने पर वे सड़कों पर उतर गयीं।
गुरुवार, 2 नवंबर को संस्थान के हजारों छात्र-छात्राओं ने सुरक्षा इंतजामों की मांग को लेकर 11 घंटे विरोध- प्रदर्शन किया। ग्यारह घंटे बाद छात्र-छात्राओं और प्रशासन के बीच 7 मुद्दों पर सहमति बनने के बाद छात्रों का प्रदर्शन खत्म हुआ। आईआईटी-बीएचयू ने बीएचयू के बीच चारदीवारी बनाने को लेकर क्लोज कैंपस की मांग की। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि विरोध प्रदर्शन में कम से कम 2,000 छात्रों ने भाग लिया।
आईआईटी-बीएचयू में छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद शुक्रवार 3 नवंबर को संस्थान में पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के आला अफसरों संग एक बैठक हुई, जिसमें कैम्पस में छात्राओं की सुरक्षा के लिए कई अहम फैसले लिए गए है। अफसरों के मुताबिक, आईआईटी-बीएचयू में जल्द ही पिंक बूथ की स्थापना की जाएगी, जहां हर समय महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी।
इसके अलावा पूरे कैम्पस में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ संस्थान के महत्वपूर्ण पॉइंट्स पर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और पेट्रोलिंग भी की जाएगी।
आईआईटी बीएचयू की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, नाइट शिफ्ट में तैनात सुरक्षाकर्मियों का चेकिंग रजिस्टर भी तैयार होगा और हर दो घंटे में इसकी निगरानी भी की जाएगी। इसके अलावा बीएचयू और आईआईटी बीएचयू परिसर के आस-पास के इलाके में पुलिस की क्यूआरटी टीम और पीआरवी कि तैनाती भी 1 से डेढ़ किलोमीटर के डायरे में होगी। जिससे आपात स्थिति में पुलिस चंद मिनटों में वहां पहुंच सके।
गुरुवार, 2 नवंबर को संस्थान के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने सुरक्षा इंतजामों की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में कम से कम 2,000 छात्रों ने भाग लिया।
दरअसल, वाराणसी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बीएचयू में गुरुवार सुबह उस समय विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया जब एक छात्रा ने शिकायत की कि मोटरसाइकिल पर घात लगाकर बैठे तीन अज्ञात लोगों ने परिसर में उसके साथ छेड़छाड़ की। छात्रा का आरोप है कि लोगों ने उसे जबरन चूमा और उसके कपड़े उतारकर उसका वीडियो रिकॉर्ड किया।
घटना बुधवार 1 नवंबर देर रात की है। जिसके बाद गुरुवार 2 नवंबर की सुबह सैकड़ों छात्र परिसर में बेहतर सुरक्षा की मांग को लेकर संस्थान निदेशक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए। गुरुवार रात को संस्थान की ओर से छात्रों को सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया गया जिसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया गया।
लंका पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-बी (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का उपयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
छात्रा ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा, “मैं आईआईटी-बीएचयू के एक छात्रावास की निवासी हूं। 2 नवंबर की रात करीब 1.30 बजे मैं अपने हॉस्टल से टहलने के लिए निकली। मेरी मुलाक़ात एक पुरुष मित्र से हुई, हम साथ-साथ चल रहे थे। पीछे से एक मोटरसाइकिल जिस पर तीन आदमी सवार थे, हमारे पास आये। उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी कर दी और मुझे और मेरे दोस्त को अलग कर दिया। उन्होंने मेरा मुंह कसकर बंद कर दिया और मुझे एक कोने में ले गए, मुझे जबरन चूमा, मेरे कपड़े उतार दिए और तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए। जब मैं मदद के लिए चिल्लाई तो उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी। 10-15 मिनट बाद उन्होंने मुझे जाने दिया। जब मैं अपने हॉस्टल की ओर भागी तो मुझे मोटरसाइकिल की आवाज सुनाई दी। फिर, मैं एक प्रोफेसर के आवास पर छिप गई, जो मुझे सुरक्षा अधिकारियों के पास ले गए।”
मामले में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन ने बताया कि घटना के बाद लंका पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्वनी पांडे को “पुलिस लाइन से अटैच” कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि “हमने अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। पुलिस की कई टीमें मामले पर काम कर रही हैं।”
यूपी के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, “जांच जारी है, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संस्थान परिसर में पुलिस बल तैनात किया गया है।”
गुरुवार रात, बीएचयू प्रशासन ने छात्रों को एक बयान जारी कर कहा, “आपको यह सूचित करना है कि (मंडल) आयुक्त, वाराणसी ने सूचित किया है कि उन्होंने संस्थान के लिए एक चारदीवारी के निर्माण के बारे में शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा की है।”
सीपीडब्ल्यूडी और आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसरों की एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा और उसे चारदीवारी के निर्माण के लिए संस्थान परिसर का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा जाएगा। समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद आयुक्त वाराणसी को इसे अग्रेषित करेगी। उचित मंजूरी और फंडिंग के लिए आयुक्त ने यह भी बताया है कि गर्ल्स हॉस्टल सहित संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे जल्द से जल्द लगाए जाएंगे।
बयान के बाद, एक छात्र, जो गुरुवार शाम संस्थान के अधिकारियों के साथ प्रदर्शनकारियों की बैठक का हिस्सा था, ने कहा, “हमारी मांगों को अधिकारियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। हमें आश्वासन दिया गया है कि मामले में जल्द ही गिरफ्तारी होगी। हमने विरोध को रोक दिया है। उन्होंने एक सप्ताह का समय मांगा है, और फिर प्रगति का आकलन करेंगे और देखेंगे।”
इससे पहले दिन में, आईआईटी-बीएचयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था, “संस्थान में सभी बैरिकेड्स अब से रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक बंद रहेंगे। पोस्ट पर मौजूद गार्ड उन गाड़ियों को अनुमति दे सकते हैं जिनके पास बीएचयू स्टिकर/आईआईटी (बीएचयू) आईडी कार्ड हैं।”
छात्र संगठनों एबीवीपी, एनएसयूआई और आइसा की बीएचयू शाखा ने बयान जारी कर घटना की निंदा की है।
गुरुवार को विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहीं, बीएचयू के कला संकाय में पोस्ट ग्रेजुएट की छात्रा अनुरति ने कहा, “महिलाओं की सुरक्षा यहां एक बड़ा मुद्दा है। वही चीज़ बार-बार होती रहती है।” एक बयान में, एबीवीपी की बीएचयू इकाई के परिसर सचिव पुनित मिश्रा ने कहा कि “विश्वविद्यालय परिसर में कमजोर सुरक्षा व्यवस्था ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है”।
आईआईटी-बीएचयू के एक अधिकारी ने बताया कि परिसर को बाहरी लोगों के लिए बंद करना क्यों मुश्किल है। उन्होंने कहा कि “एक तो यह है कि सर सुंदर लाल अस्पताल बीएचयू (मुख्य) परिसर में है। इस अस्पताल में पूरे पूर्वी यूपी से लोग इलाज के लिए आते हैं। फिर, नया विश्वनाथ मंदिर है जो परिसर के भीतर पड़ता है। पर्यटक, विशेषकर भारत के दक्षिणी भागों से, आते हैं। फिर, बीएचयू की कई इमारतें हैं जो आईआईटी परिसर के अंतर्गत आती हैं, और इसके विपरीत भी उदाहरण के लिए, आईआईटी-बीएचयू के दो विभाग खनन और धातुकर्म मुख्य बीएचयू परिसर में आते हैं, जबकि बीएचयू का कृषि विज्ञान विभाग आईआईटी-बीएचयू परिसर के अंतर्गत है। लेकिन हमने एक ग्रीन कॉरिडोर बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है जहां आईआईटी छात्र घूमते हैं। यहां बैरिकेडिंग की जाएगी और आईडी कार्ड की जांच की जाएगी।”
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस घटना की निंदा की और राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना की।
समाजवादी पार्टी प्रमुख और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता, अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि “एक छात्रा को निर्वस्त्र करने, उसके साथ दुर्व्यवहार करने और उसका वीडियो बनाने की घटना यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर एक तमाचा है। यह अपराध के प्रति भाजपा की जीरो टॉलरेंस नीति के दावे की पोल खोलता है। यूपी की महिलाओं का भाजपा सरकार से भरोसा उठ गया है। अब, इस सरकार से कोई भी उम्मीद बेमानी है।”
कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एक्स पर लिखा कि “क्या बीएचयू और आईआईटी जैसे प्रमुख परिसर सुरक्षित नहीं हैं? क्या प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में एक छात्रा के लिए अपने ही शैक्षणिक संस्थान में निडर होकर घूमना अब संभव नहीं है? शर्मनाक।”
(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)