Monday, March 20, 2023

कारपोरेट मुनाफे के लिए योगी सरकार ने की है बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

सोनभद्र। प्रदेश सरकार द्वारा बिजली दरों में की गयी भारी बढ़ोत्तरी कारपोरेट बिजली कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को अंजाम देने के लिए है। यह महंगाई के बोझ तले कराह रही जनता पर और महंगाई बढ़ायेगी और किसान, मध्य वर्ग, छोटे-मझोले व्यापारी और गरीबों की कमर तोड़ देगी। इसे सरकार को तत्काल वापस लेना चाहिए। यह मांग वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने उठाई।

उन्होंने कहा कि बिजली दरों की वृद्धि के कारणों में सरकार ने खुद माना है कि पावर परचेज एग्रीमेंट के कारण उसे महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। यह पावर परचेज एग्रीमेंट कारपोरेट बिजली कम्पनियों से सरकार करती है, जिसमें रिलायंस, बजाज जैसी कम्पनियों से 6 रूपए से लेकर 19 रूपए तक बिजली खरीदी जाती है। हालत यह है कि पिछले वर्ष में तो बिना बिजली खरीदे ही इन कम्पनियों को बिजली विभाग ने 4800 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के राज्य उत्पादन निगम के बिजली घरों से 5 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन औसतन 2 रू0 प्रति यूनिट की दर से हो सकता है। लेकिन इन सार्वजनिक उत्पादन निगमों में जानबूझ कर थर्मल बैंकिंग, कोयला संकट और अन्य कारणों द्वारा सस्ती बिजली के उत्पादन पर रोक लगाई जाती है।

हालात इतने खराब हैं कि डेढ़ रूपए प्रति यूनिट से कम लागत पर अनपरा परियोजना की पावर कारपोरेशन द्वारा खरीदी गई बिजली का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है और जरूरी मेंटिनेंस के लिए संसाधन नहीं दिए जा रहे हैं, यहां काम करने वाले ठेका मजदूरों को छः-छः माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। कारपोरेट मुनाफे के लिए पूर्ववर्ती और मौजूदा सरकार सस्ती बिजली उत्पादित करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र को बर्बाद करने में लगी है।

उन्होंने कहा कि बिजली दरों की इस मूल्य वृद्धि से सरकार को कुल 6 हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार के खुद के विभागों पर 11 हजार करोड़ रूपया बकाया है। यदि सरकार मात्र इसे ही पावर कारपोरेशन को दे दे तो जनता को इस मूल्य वृद्धि से बचाया जा सकता है और 5000 करोड़ अतिरिक्त राजस्व कारपोरेशन को प्राप्त हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कारपोरेट कंपनियों को पहुंचाये जा रहे लाभ के परिणामस्वरूप बिजली विभाग भारी घाटे में पहुंच गया और अब इस घाटे का बोझ जनता पर लादा जा रहा है। जिस उज्जवला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का प्रचार सरकार करती है उन शहरी क्षेत्र के गरीबों के टैरिफ में 100 यूनिट की किफायती बिजली को घटाकर 50 यूनिट करने से उनके बिजली बिल में करीब 36 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र उसमें भी कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाली बिजली दरों की वृद्धि पहले से घाटे में चल रहे खेती-किसानी को और भी बर्बाद कर देगी। शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को महंगाई की मार झेलनी होगी और मंदी की वजह से तबाह हो रहे छोटे-मझोले उद्योग धंधे की हालत और खराब हो जायेगी।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार कारपोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट पर रोक लगाकर सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों में पर्याप्त निवेश करे और सरकारी विभागों पर पावर कारपोरेशन का बकाया भुगतान कर दे तो इस मूल्य वृद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है और वह किसानों सहित ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं को बेहद सस्ती दर से समुचित बिजली आपूर्ति कर सकती है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

Delhi kisan mahapanchayat- किसानों का ऐलान नहीं मानी तो सरकार तो होगा किसान आंदोलन 2.0, अप्रैल 30 को होगी मोर्चे की बैठक

नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा किसानों के साथ किए गए वायदे पूरे न होते देख सोमवार को एक बार...

सम्बंधित ख़बरें