नई दिल्ली। हर किसी के लिये सुबह एक नयी शुरुआत की तरह होती है, लेकिन वसंत विहार के ‘प्रियंका गांधी कैंप’ में रहे गरीबों के लिए आज की सुबह अंत की तरह आई। अचानक 1500-2000 पुलिस बल के साथ एनडीआरएफ की टीम आयी और ‘प्रियंका गांधी कैंप’ में रह रहे लोगों को उनके घर से खदेड़ने लगी, और देखते-ही-देखते लोगों के घर पर बुलडोजर चलने लगा। हर तरफ अफरा-तफरी मच गयी, हर कोई अपनी जान और सामान को लेकर वहां से निकलने लगा। गनीमत है कि इस अफरा-तफरी में किसी की जान नहीं गयी। लेकिन कुछ ही घंटों के बाद वहां प्रियंका गांधी कैंप में बने घर मलवे के ढेर में बदल गए, वहां रह रहे लोगों के लिये ये बुरे सपने की तरह था, जिसे कई परिवार अपनी आंखों से देख रहे थे।
कई महीनों से चले आ रहे सरकार और गरीबों की लड़ाई में, अंतत: सरकार की जीत हुई और गरीबों को बेघर होना पड़ा। प्रियंका गांधी कैंप को शुक्रवार सुबह पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है, सरकार ने ध्वस्त करने से पहले ये भी नहीं सोचा कि वहां रहने वाले 75 परिवारों का क्या होगा, जिसमें कुछ बच्चे, और बुजुर्ग हैं जो पिछले दो दशकों से वहां रह रहे थे और अपना जीवन-यापन कर रहे थे।
प्रियंका गांधी कैंप के निवासियों के अनुसार, सुबह करीब 7 बजे पुलिस और एनडीआरएफ भारी बल के साथ आये और गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाने लगे। आलम ये था कि गरीबों को अपने घर से सामान निकालने तक की मोहलत नहीं दी गई। कई लोगों का सामान घर के मलबे के नीचे दब गया, उन परिवारों का कहना है कि लाख मिन्नतें करने के बावजूद उन्हें अपना सामान निकालने नहीं दिया गया।
पहले इन परिवारों को सरकार ने उजाड़ा। और फिर जब ये खुले आसामान के नीचे सडकों पर अपने बचे-खुचे सामान के साथ जाने की तैयारी कर रहे थे, उसी वक्त उपर से मूसलाधार बारिश ने इन जिंदगियों को और भी मुश्किलों में डाल दिया। बारिश का आलम ये था कि, जो भी सामान अफरा-तफरी में परिवार वाले निकाल पाये थे, वो सामान भी बारिश की भेंट चढ़ गई और किसी काम की नहीं रही।
जनचौक से बात करते हुए कैंप में रहने वाले लक्ष्मी प्रसाद जी बताते है की, “जब हम यहां कच्चे मकान और टेंट में रहते थे तो विधायक प्रमिला टोकस आयी यहां और कहा की अपना पक्का मकान बनाए तभी दिलवा पायेंगे तुम्हें सुविधा।” विधायिका की बात मान कर लोगों ने पक्का मकान भी बनाया, लेकिन तब उन्हें क्या पता कि एक दिन उनका मकान इस तरह से मलबे के ढेर में बदल जायेगा।
प्रियंका गांधी कैंप में रहे परिवारों ने बताया कि, वसंत विहार की विधायिका प्रमिला टोकस ने उन्हें पक्का घर बनाने की सहमति दी थी और उन्हें राशन कार्ड जैसी सुविधा भी उपलब्ध कराई गई थी। लेकिन वहां रहे है गरीबों को कहां पता था कि वो भाजपा और आप की राजनीति में पिसने वाले हैं, आज जब वो बेघर हो रहे थे तो उन्हें देखने या सांत्वना देने तक के लिये कोई नहीं आया और ना ही उनके लिये कोई दूसरे घर की व्यवस्था करने वाला था।
कैंप में रह रहे लोगों ने बताया कि, “जब उन्होंने विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, कुछ लोगों को घसीटा गया और वहां के कुछ निवासियों को जेल लेकर चली गयी है। पुलिस और एनडीआरएफ जिस तैयारी से साथ उस जगह को खाली करवाने पहुंचे थे, उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो उस जगह पर आतंकवादी रहते हों”
जिस जमीन पर ‘प्रियंका गांधी कैंप’ बनाया गया था, वो दरअसल एनडीआरएफ कि जमीन थी और ये गरीब वहां पर अवैध रुप से रह रहे थे।
आज से पहले एनडीआरएफ को अपनी जमीन लेने कि क्यों नहीं सूझी, जब वहां पर 20-25 साल से कई परिवार बस गए और मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह से पक्का घर बना, तो एनडीआरएफ को अपनी जमीन की याद आ गई। हाल के महीने में दिल्ली में ध्वस्तीकरण का या फिर गरीबों को बेघर करने का दूसरा मौका है, इससे पहले भी कस्तूरबा नगर में गरीबों की बस्ती पर बुलडोजर चलाया गया था।
आज जब इनके घर पर बुलडोजर चला है, कैंप में रहने वालों को ऐसा लग रहा है मानो उनके साथ तो ठगी हो गई है। कैंप निवासी राम लोचन बताते है की, आज जब उन्हें विधायक प्रमिला टोकस की सबसे ज्यादा जरूरत थी तो वो हमसे मिलने के लिये तैयार ही नहीं थी। हम उनके घर गए, दफ्तर गये मिलने के लिये लेकिन उन्होंने अपने गार्ड को भी बोल रखा था उसके अंदर आने देने की जरुरत नहीं है। जब चुनाव और वोट को था तब तो, उन्होंने हमें घर बनाने का सहमति दे दिया और आज जब हमारा घर टूटने वाला है तो वो हमसे मिलना भी नहीं चाहती है।
कैंप पर बुलडोजर चलना, लोकतंत्र कि हत्या करने जैसी बात है क्योंकि ऐसा लगता है मानो सरकार गरीबों को देखना ही नहीं चाहती है। सरकार ने वहां पल रहे बच्चों का भी नहीं सोचा जिनका भविष्य अधर में लटक गया है। बाद में इन्हीं गरीबों को ढाल बनाकर हर कोई अपनी राजनीतिक रोटी सेकेगा, लेकिन कोई भी इन गरीबों के लिये कुछ नहीं करेगा। मेहनत- मजदूरी करके घर चलाने वाले इन गरीबों के सामने अब दोहरी चुनौती है।
(जनचौक के लिए राहुल की रिपोर्ट।)
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