Wednesday, April 24, 2024

क्या उमर खालिद के खिलाफ दाखिल चार्जशीट फ़िल्मी स्क्रिप्ट है!

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व नेता उमर खालिद ने शुक्रवार को अदालत से कहा कि उनके खिलाफ आरोपपत्र किसी वेब सीरीज या टीवी समाचार की पटकथा की तरह हैं। उन्होंने पुलिस पर निशाना साधने के लिए हैरी पॉटर के खलनायक पात्र वोल्डमॉर्ट का भी जिक्र किया। ‘विधिविरुद्ध क्रियाकलाप निवारण कानून’ (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किये गये खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 में भड़के दंगों की साजिश रचने के आरोप हैं। दंगों में 53 लोगों की मृत्यु हो गयी थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गये थे।

खालिद ने मामले में जमानत की मांग की है। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत से कहा कि आरोप पत्र में उनके मुवक्किल के खिलाफ बिना किसी तथ्यात्मक आधार के बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाये गये हैं और आरोप पत्र का मसौदा, उसे तैयार करने वाले पुलिस अधिकारी की कपोल कल्पना का परिणाम हैं। खालिद के वकील ने आरोप पत्र के संदर्भ में हैरी पॉटर श्रृंखला की किताबों या फिल्मों के खलनायक चरित्र वोल्डमॉर्ट का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा दायर अंतिम रिपोर्ट बकवास है।

पाइस ने दलील दी कि आरोप पत्र उस पुलिस अधिकारी की कपोल कल्पना का नतीजा है जिसने इसे तैयार किया। वह कोई फैमिली मैन (एक वेब सीरीज) की पटकथा नहीं लिख रहे, यह आरोपपत्र है। इसमें लिखी एक पंक्ति कि उमर ने दिल्ली से एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखी क्योंकि उसे पता था कि इससे वह खतरे में पड़ जाएगा का जिक्र करते हुए वकील ने कहा कि पुलिस अफसर यह केवल तभी जान सकते हैं जब ‘वह खालिद के दिमाग में घुसे हों।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट में दलील दी कि चार्जशीट में बिना किसी तथ्यात्मक आधार के उमर खालिद के खिलाफ बढ़ा-चढ़ा कर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अतिशयोक्ति वाली इस चार्जशीट को पढ़कर ऐसा लगता है कि “रात 9:00 बजे चिल्लाने वाले समाचार चैनलों की स्क्रिप्ट है” और यह “जांच अधिकारियों की कल्पनाओं” पर आधारित लगता है।

उमर खालिद के वकील ने पुलिस की चार्जशीट को लेकर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि क्या चार्जशीट ऐसे लिखी जाती है, ये किसी न्यूज चैनल की स्क्रिप्ट लग रही है, न्यूज चैनल जो कहना चाहते हैं, कह देते हैं, किसी चीज में कोई एंगल देना चाहते हैं, दे देते हैं। बिल्कुल उनकी कोई जिम्मेदारी नजर नहीं आती। वकील ने कहा कि चार्जशीट निर्णायक रूप से दिखाता है कि शिकायत दर्ज करने की तारीख तक कोई अपराध नहीं था। अभियोजन पक्ष का मामला समाचार एजेंसी की एक क्लिप पर निर्भर करता है, जिसमें कथित रूप से देशद्रोही होने वाले भाषण का पूरा वीडियो भी नहीं था।

उमर खालिद की तरफ से दी गई दलीलों का मुख्य जोर ये था कि चार्जशीट ने उमर के सांप्रदायिक होने का बार-बार आरोप लगाकर जनता के मन में एक साम्प्रदयिक तस्वीर बनाने का काम किया है। उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस एक तस्वीर पेश कर रही थी कि सीएए के विरोध का नेतृत्व केवल एक विशेष समुदाय ने किया था और विरोध सांप्रदायिक था। यदि आप कह रहे हैं कि सीएए खराब है, तो इसका मतलब है कि आप इस देश और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को सांप्रदायिक बताया गया है। यह खतरनाक है और अब आप देखेंगे कि कौन सांप्रदायिक है, जब आप चार्जशीट में चीजें जोड़ते हैं और समाचार चैनल इसे ले जाते हैं, तो देश में सांप्रदायिकता किसने की? पुलिस जैसे-जैसे आगे बढ़ाती है, इस्लाम एक बुरा शब्द है, मस्जिद एक बुरा शब्द है, धीरे-धीरे आप वैसी ही धारण बना लेते हैं।

विरोधी प्रदर्शनों में गैर-मुसलमानों की भागीदारी पर, उमर खालिद के वकील ने कहा, “बेशक! सीएए के खिलाफ देशव्यापी विरोध हो रहा है, कौन सा बयान स्थापित करता है कि सब कुछ एक विशेष समुदाय से पहचाना जा सकता था? नहीं! यह एक धर्मनिरपेक्ष विरोध था। यह लगभग ऐसा है जैसे सीएए का धर्मनिरपेक्ष विरोध करना गलत है। यदि सीएए गलत है, तो क्या यह अन्य समुदायों के लोगों के शामिल होने के लिए खुला नहीं है? या महिलाओं को विरोध करने का अधिकार नहीं हो सकता है? क्या महिलाएं गलत विरोध कर रही हैं? या वे विरोध करने में असमर्थ हैं? क्या किसी भी तरह के आंदोलन को केवल पुरुषों द्वारा संचालित किया जाता है?

खालिद के खिलाफ एफआईआर में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 सहित कड़े आरोप हैं। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत विभिन्न अपराधों के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।

उमर खालिद के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने उमर को आरोपी बनाने के लिए जिस न्यूज क्लिप को आधार बनाया है, उस न्यूज चैनल के पास भी पूरा वीडियो मौजूद नहीं है। दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में उमर के खिलाफ जिन आरोपों का जिक्र किया है, उनमें किसी भी सूरत में यूएपीए के तहत मामला बनता नहीं दिख रहा। उमर खालिद के वकील ने दलील देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए के खिलाफ किसी एक समुदाय ने प्रदर्शन नहीं किया था, बल्कि इसको लेकर प्रदर्शन पूरे देश में हुए थे।दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की है, उसमें भी उमर के खिलाफ सीधे तौर पर कोई गवाह और सबूत मौजूद नहीं है।

उमर खालिद के वकील ने दलील देते हुए कहा कि चार्जशीट इस आधार पर बनाई गई है जैसे उन्होंने उमर खालिद के दिमाग में क्या चल रहा था वो पता कर लिया हो। दिल्ली पुलिस के पास कोई भी सबूत नहीं है जो उनके इन दावों को साबित करता हो। इस चार्जशीट में जिस तरह से सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है, यह दिखाता है कि रिपोर्ट बनाने वाले अधिकारियों के दिमाग में‘सांप्रदायिकता’ भरी हुई थी। ख़ालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने यह भी कहा कि चार्जशीट ‘फैमिली मैन’ या किसी टीवी प्रोग्राम की स्क्रिप्ट जैसी है। चार्जशीट पुलिस की कोरी कल्पना है और यह किसी टीवी स्क्रिप्ट की तरह लिखी गई है। खालिद के खिलाफ यूएपीए की धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई है। उमर खालिद की जमानत याचिका पर सोमवार 6 सितम्बर को भी सुनवाई जारी रहेगी। यह सुनवाई ट्रायल कोर्ट में चल रही थी।

आज की सुनवाई के दौरान उमर ख़ालिद के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर बिना किसी तथ्य के इतने सारे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि चार्जशीट को पढ़कर लगता है कि यह रात 9 बजे वाले टीवी शो की स्क्रिप्ट है। यह कोरी कल्पना पर आधारित है।पाइस ने गवाहों पर भी सवाल उठाए और कहा कि उनसे झूठे बयान दिलाए जा रहे हैं। यह खालिद के खिलाफ षड्यंत्र है। चार्जशीट का एक हिस्सा पढ़ते हुए वह बोले कि भारत तेरे टुकड़े होंगे, ये कहां से मिला। ऐसा लग रहा है कि टीवी प्रोग्राम की स्क्रिप्ट लिखी गई है। 2016 में खालिद पर जो केस दर्ज किया गया था उसकी चार्जशीट में कहीं भी भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाने की बात नहीं थी।

 (जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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