Friday, March 29, 2024

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को निर्देशित करने वाला हिमालय का योगी कौन है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी। कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसके वीसैट (V-SAT) टर्मिनल भारत के 320 शहरों तक फैले हुए हैं। एनएसई देश में एक आधुनिक और पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम प्रदान करने वाला पहला एक्सचेंज था। एनएसई की इंडेक्स- निफ्टी 50 (नेशनल इंडेक्स फिफ्टी) का उपयोग भारतीय पूंजी बाजारों के बैरोमीटर के रूप में भारत और दुनिया भर के निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है।

एक रोचक और हैरतअंगेज प्रकरण सामने आया है, शेयर बाजार की इसी महत्वपूर्ण नियामक संस्था, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की एमडी, चित्रा रामकृष्णन के बारे में, जिन्हें हिमालय में रहने वाले एक योगी से स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ी कुछ हिदायतें या टिप्स मिलते थे, जिन पर वे अनुसरण करती थीं। इसकी वजह से स्टॉक एक्सचेंज में कई अनियमितताएं हुईं और शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को भारी नुकसान हुआ। अब ये हिमालय वाले बाबाजी कौन हैं, और वे कैसे हिमालय में रहते हुए, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में हिदायतें देते रहते थे, यह सब तो चित्रा रामकृष्णन ही बता सकती हैं। पर फिलहाल जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार तो, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एमडी की हैसियत से चित्रा जी ने अपने कार्यकाल में उस अज्ञात योगी के कहने पर विभाग में कई बड़ी नियुक्तियां तक की, और अंत मे, ₹44 करोड़ लेकर,  एनएसई से अलग भी हो गईं।

शेयर बाजार की सर्वोच्च नियामक संस्था, सिक्योरिटी एक्सचेंज ब्यूरो ऑफ इंडिया सेबी इस मामले की जांच कर रहा है और जांच में कई अनियमितताएं भी मिल रही हैं। अखबारों में जो खबरें इस संदर्भ में आ रही हैं वह एक प्रकार का घोटाला तो है ही लेकिन साथ में विश्वासभंग भी है। सेबी की रिपोर्ट कई अखबारों में छपी है, के अनुसार “चित्रा रामकृष्णन और ‘योगी’ के बीच कई बार ईमेल का आदान-प्रदान हुआ। जिसे देखने से पता चलता है कि चित्रा उस ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ को ‘शिरोमणी’ के नाम से संबोधित करती थीं और चित्रा एनएसई के कई सीनियर कर्मचारियों के पोर्टफोलियो के बंटवारे मामले में भी उनसे परामर्श लेती थीं।”

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जब से यह खुलासा किया है, तब से भारतीय बाजार से जुड़े सभी उद्योग समूह सकते में हैं। यह सन्दर्भ, लोकमत अखबार से लिया गया है। पर आज लगभग सभी अखबारों में यह खबर आर्थिक पन्नों पर गंभीरता से छपी है।

सेबी ने इस बड़े खुलासे के साथ यह भी बताया है कि “चित्रा उस अज्ञात ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ से एनएसई की सभी गोपनीय जानकारी मसलन बिजनेस प्लान और बोर्ड बैठकों के एजेंडा सहित कई सिक्रेट्स को साझा किया करती थीं और कथित तौर पर ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ के दिये परामर्श के अनुसार, अपने विभाग से जुड़े, बड़े-बड़े फैसले, जिनमें अहम नियुक्तियां तक होती थी, लिया करती थीं।”

चित्रा रामकृष्णन, अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसआई में एमडी के पद पर रहीं और उसके बाद, उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। चित्रा ने जो किया, वह हैरान करने वाला तो है ही, उससे भी अधिक हैरान करने वाली बात यह है कि, सेबी के द्वारा चित्रा रामकृष्णन के संबंध में इतने बड़े खुलासे के बाद भी उन पर कोई सख्त कार्यवाही न करते हुए उनको सुरक्षित रूप से इस्तीफा देकर निकल जाने दिया।

सेबी ज़रूर इस मामले में सक्रिय नज़र आ रही है। सेबी ने चित्रा की कार्यशौली को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है “यह इतना खतरनाक है कि इससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वित्तीय जिम्मेदारियों पर बहुत बड़ा बट्टा लग सकता था।”

सेबी ने इस मामले में चित्रा रामकृष्णन को इसके लिए किसी भी अन्य एक्सचेंज या सेबी से संबंधित किसी और संगठन में कार्य पर तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ सेबी ने चित्रा सुब्रमण्यम पर तीन करोड़ रूपये की पेनाल्टी भी लगाई है।

हिमालयी योगी द्वारा डिक्टेटेड एनएसई प्रशासन के इस विचित्र किंतु सत्य मामले में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब चित्रा रामकृष्णन के मेल के कुछ हिस्से, जो एफआईआर की कॉपी में दर्ज हैं, पब्लिक फोरम में सार्वजनिक हो गये। उन्हें पढ़ने से यह पता चलता है कि, “चित्रा उस ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ को ‘शिरोमणी’ के नाम से संबोधित करती थीं और उनके साथ नियमित रूप से बातचीत भी करती थीं और चित्रा एनएसई के कई सीनियर कर्मचारियों के पोर्टफोलियो बंटवारे मामले में भी उनसे परामर्श लेती थीं।” वहीं दूसरी ओर चित्रा रामकृष्णन ने उक्त योगी से अपने मुलाकात को लेकर भ्रम उत्पन्न करने वाला बयान भी दिया है। योगी और चित्रा के मेल पत्राचार के सार्वजनिक होने से, यह बात भी स्पष्ट है कि, “दोनों एक दूसरे से मिलते-जुलते भी थे। एक ईमेल में योगी ने चित्रा के साथ सेशेल्स में छुट्टी मनाने का भी जिक्र किया है।”

मीडिया की खबरों के अनुसार, मेल पत्राचार से यह स्पष्ट हो जाता है कि, चित्रा अपने गुरु योगी से अपने दफ्तर संबंधित कार्यों के अलावा अन्य दूसरे मुद्दों पर भी बहुत आत्मीयता से बात करती रही हैं। इस ईमेल आदान-प्रदान के क्रम में 18 फरवरी 2015 का एक मेल सामने आया है। जिसमें ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ के द्वारा चित्रा को मेल में लिखा गया है, “आज तुम बहुत सुंदर दिखाई दे रही हो। तुम अपने बालों को कुछ दूसरे तरीके से संवारो, जो तुम्हें और भी आकर्षक बनाएगा। ये तुम्हारे लिए एक मुफ्त की सलाह है और मुझे पता है कि तुम इसे स्वीकार करोगी। आगामी मार्च में तुम खुद को थोड़ा फ्री रखना।” इस मेल के ठीक 7 दिन बाद 25 फरवरी 2015 के एक अन्य मेल में लिखा है, “मैंने कंचन से सुना कि तुमने कहा है कि सामान पैक करो और निकलो और अभी से दिन गिनने शुरू कर दो। मैं तुम्हें अच्छी जगह पर स्थापित कर दूंगा, जहां तुम आराम से रहोगी।”

वहीं 16 सितंबर 2016 को किये गये मेल में लिखा है, “जो मैंने मकर कुंडन गीत  तुम्हें भेजा था, क्या वो तुमने सुना। इस गीत को तुम्हें बार-बार सुनना चाहिए। तुम्हें दिल से जो खुशी मिलेगी, उसे तुम्हारे चेहरे पर देखकर मुझे खुशी होगी। कल के दिन मैंने तुम्हारे साथ आनंद की अनुभूति की। यह जो तुम छोटी-छोटी चीजें खुद के लिए करती हो, वह तुम्हें और भी नौजवान और ऊर्जावान बनाती हैं।”

इसके अलावा अन्य मेल को देखने पता चलता है कि, ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ को एनएसई के कर्मचारियों के नाम और संस्थान की कार्य प्रणाली की बेहतर समझ थी। आखिर उसे विभागीय गोपन कार्य व्यापार के बारे में इतनी जानकारी कहां से मिली? निःसंदेह, यह जानकारी उक्त हिमालयी योगी की शिष्या चित्रा ने ही दी होगी। एक मेल में योगी ने लिखा है, “लाला को उसके प्रेजेंट पोर्टफोलियो के साथ लाया जाएगा और कसम को सेम ग्रेड के तहत डिप्टी हेड नियामक के रूप में लाया जाएगा। वहीं निशा लाला को रिपोर्ट करते हुए कसम का पोर्टफोलियो संभालेगी। इसके साथ ही कसम को इस स्ट्रक्चर से हटा देना चाहिए और संस्थान छोड़ने तक उसे अनुपस्थित रखा जाना चाहिए। मयूर को उसी ग्रेड के तहत चीफ-ट्रेडिंग ऑपरेशंस का पद दिया जाएगा। वहीं उमेश को मुख्य सूचना प्रौद्योगिकी का पद मिलेगा। हुज़ान को चीफ-ग्रुप प्रोडक्ट्स, रवि वाराणसी को चीफ बीडी-न्यू प्रोडक्ट्स एवं (एसएमई / एजुकेशन / आरओ कोऑर्डिनेशन) का पद दिया जाएगा।” इस मेल पत्राचार से स्पष्ट है कि एमडी के रूप में वह योगी ही कार्य करता था, और चित्रा महज एक रोबोट की तरह उसकी आज्ञापालक थीं।

चित्रा रामकृष्णन ने इस मामले में स्वयं जानकारी देते हुए बताया है कि ‘हिमालय के रहस्यमयी योगी’ से उनकी मुलाक़ात क़रीब दो दशक पहले गंगा के किनारे पर हुई थी, हालांकि चित्रा ने उस जगह का उल्लेख नहीं किया है। सेबी का कहना है कि यह वही आध्यात्मिक शक्ति है, जिसके कहने पर एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण हर फैसला लेती थीं। सेबी की रिपोर्ट की मानें तो एनएसई में आनंद सुब्रमण्यम की समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक के सलाहकार के रूप में नियुक्त उक्त ‘योगी’ के कहने पर हुई थी। जबकि, सुब्रमण्यम को कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव भी नहीं था, इसके बावजूद 15 लाख से बढ़ाकर उनका सालाना पैकेज चार करोड़ के ऊपर कर दिया गया। अब सवाल उठता है यह योगी कौन है ? सेबी ने 190 पेज के आदेश में 238 बार ‘अज्ञात व्यक्ति’ का जिक्र किया है। चित्रा इस व्यक्ति को शिरोमणि कहकर संबोधित करती थीं। वह सीईओ के तौ पर भी ई-मेल से संवाद करती थीं। 2018 में सेबी को दिए बयान में चित्रा ने बताया था कि वे योगी परमहंस नामक व्यक्ति से यह संवाद करती थीं, जो हिमालय में विचरण करते हैं। वह उनसे 20 साल से संपर्क में हैं और इसी आध्यात्मिक शक्ति से मार्गदर्शन लेती हैं।

इस विचित्र प्रकरण को आध्यात्मिक या धार्मिक दृष्टिकोण या गवर्नेंस, शासन के दृष्टिकोण से देखें तो एक बात स्पष्ट है कि, एनएसई के दिन प्रतिदिन गतिविधियों का संचालन तक, वहां की एमडी नहीं बल्कि एक अज्ञात योगी कर रहा था, जो कहीं हिमालय में रहता है। पर वह कोई आध्यात्मिक परा शक्ति भी नहीं है, कि वह केवल खयालों में आता है और कुछ निर्देश, चित्रा को देकर चला जाता था और चित्रा उसका पालन करती रहती थीं। बल्कि यह हिमालयन योगी, बाक़ायदा ईमेल करता है, उनका जवाब देता है, विभाग के अंदरूनी प्रशासन से लेकर, चित्रा रामकृष्णन की जुल्फों से होते हुए सेशेल्स में छुट्टियां मनाने तक की हिदायतें देता है और इंतज़ामात करता है। यह कोई काल्पनिक चरित्र या इलहाम लाने वाली ताक़त भी नहीं है, बल्कि यह कोई हाड़-मांस का हमारी आप की तरह का व्यक्ति है जिसका असर चित्रा जी के मन मस्तिष्क पर इस प्रकार से आच्छादित हो चुका है कि, वह एनएसई की एक प्रबंध निदेशक के बजाय, एक रिमोट नियंत्रित रोबोट बन गयी थीं और उनकी प्रशासनिक शक्तियां एक ऐसे व्यक्ति में समाहित हो चुकी थी, जो बिना किसी जिम्मेदारी और जवाबदेही के वह सब कुछ करता रहा, जिसे करने का न तो उसे कोई अधिकार था और न ही वैधानिक शक्तियां।

इसका परिणाम क्या हुआ ? इसका परिणाम यह हुआ कि, शेयर बाजार में जो भी लोगों का नफा-नुकसान हुआ वह एनएसई के किसी नियमों के अंतर्गत, जारी निर्देश या नीतियों के द्वारा नहीं बल्कि एक मायावी व्यक्ति की सनकपूर्ण हिदायतों से हुआ और इसे एनएसई के एमडी ने स्वीकार भी किया है। आस्था चाहे वह किसी धर्म के प्रति हो, या ईश्वर के प्रति हो, या आध्यात्मिक गुरु कहे जाने वाले लोगों के प्रति हो, पर इस आस्था भाव को अपने सार्वजनिक या सरकारी दायित्व में घुसपैठ करने देना अनुचित ही नही बल्कि शासकीय नैतिकता के भी विरुद्ध है। वह योगी यदि चित्रा रामकृष्णन के निजी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है तो यह केवल उन दो या कुछ उन लोगों के बीच का मामला है, जो चित्रा के निजी जीवन से या तो प्रभावित हैं या जुड़े हुए हैं। पर जब यह दखल, घर की दहलीज लांघ कर, सरकारी जिम्मेदारी में होने लगती है तो यह न केवल आस्था का घातक दुरुपयोग है, बल्कि यह एक प्रकार से सिस्टम का बाहरी और अनधिकृत व्यक्ति द्वारा संचालन है जो न केवल अवैधानिक है बल्कि सिस्टम को किसी अन्य के रहमोकरम पर गिरवी भी रख देना है। एनएसई की एमडी चित्रा रामकृष्णन ने ऐसा ही किया है और उन्हें ऐसा करने के लिये सरकार को जांच कराकर दोषी पाये जाने पर दंडित भी करना चाहिए।

फिलहाल सेबी, इस मामले को देख रही है। शेयर बाजार एक ऐसा बाजार है जो एक हल्के और नगण्य प्रभाव वाले निर्णयों से भी प्रभावित हो जाता है और मिनटों में राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। सेबी को इस मामले में विशेषज्ञों की एक कमेटी बना कर इस बात की पूरी जांच करानी चाहिए कि, उस अनाम योगी की कितनी ईमेल, जो एनएसई के कामों में दखल देती हैं, आई और उनपर एमडी ने क्या कार्यवाही की। उस कार्यवाही का क्या असर पड़ा और उस योगी के कहने पर कितने लोगों की नियुक्तियां की गई या कितने लोगों को लाभ पहुंचाया गया। चित्रा रामकृष्णन का पासपोर्ट भी नियमानुसार जब्त कर लेना चाहिए और उनसे विस्तार से पूछताछ भी की जानी चाहिए। गवर्नेंस, किसी की निजी आस्था, गुरु निर्देश या इलहाम से नही किया जा सकता है, बल्कि यह उस विभाग के नियमो और शासकीय निर्देशों के अनुसार किया जाता है।

(विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)

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