Friday, April 26, 2024

यूपी चुनाव से पहले दुर्गा शंकर मिश्रा क्यों बनाए गए मुख्य सचिव?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सूबे को नया मुख्य सचिव मिला है। 1984 बैच के आईएएस और आवास व शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा यूपी के नए मुख्य सचिव बनाए गए हैं। रिटायरमेंट से दो दिन पहले डीएस मिश्रा को एक्सटेंशन देकर चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है। दुर्गाशंकर मिश्रा को लेकर माना जा रहा है कि वो पीएम मोदी की पसंद हैं। साथ ही विपक्षी पार्टियां ये बताने में जुटी हैं कि केंद्र और यूपी सरकार में सब ठीक नहीं है।ऐसे में विपक्ष के साथ भाजपा के फायरब्रांड नेता स्वामी चिन्मयानंद ने सवाल उठाया कि ऐसी क्या जरूरत थी कि डीएस मिश्रा को एक्सटेंशन दिया गया? 

क्यों चुनाव से ठीक पहले ये बदलाव हुए? यह जान लेना दिलचस्प होगा अखिलेश यादव के सीएम बनने से पहले यूपी के नये मुख्य सचिव बने दुर्गाशंकर मिश्रा मायावती के सबसे करीबी अफसरों में से थे।उन्हें मायावती ने मुख्यमंत्री कार्यालय का प्रमुख सचिव बना रखा था। वे इस पद पर साल 2010 से अखिलेश सरकार बनने तक रहे। 2012 के चुनाव में मायावती सरकार चली गयी और सपा की सरकार बन गयी। 15 मार्च 2012 को अखिलेश यादव ने सीएम पद की शपथ ली और इसी दिन दुर्गाशंकर मिश्रा को वेटिंग में डाल दिया गया।

अखिलेश सरकार में पद से हटने के बाद दुर्गाशंकर मिश्रा कुछ दिनों की छुट्टी पर चले गए थे। लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें केंद्र में डेप्यूटेशन पर बुला लिया गया। और अब एक बार फिर उन्हें यूपी का रास्ता दिखाया गया है।इसी पोस्टिंग पर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ पर तंज कसा है। कन्नौज में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा कि जिनका दो दिन बाद रिटायरमेंट होना था, उन्हें विस्तार देकर यूपी भेज दिया गया और मुख्यमंत्री को पता ही नहीं चला। अखिलेश ने कहा कि डबल इंजन सरकार के दोनों इंजन आपस में टकरा रहे हैं।. अखिलेश ने कहा कि यूपी में छापे इसलिए पड़ रहे हैं क्योंकि दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई है।

इस नियुक्ति को लेकर सवाल ये भी है कि मुख्य सचिव के पद पर तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार तिवारी को अचानक क्यों हटाया गया? और डीएस मिश्रा को क्यों लाया गया? फिलहाल आरके तिवारी को सरकार ने नई जिम्मेदारी देकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का अध्यक्ष बनाया है।आरके तिवारी फरवरी 2023 में रिटायर होने वाले हैं। साथ ही ये भी माना जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के नेता आरके तिवारी से खुश नहीं थे।यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने चहेते अवनीश अवस्थी को मुख्य सचिव बनाने जा रहे थे जिसे रोकने के लिए केंद्र से दुर्गा शंकर मिश्रा को मुख्य सचिव बना दिया गया।अब ये तीनों अधिकारी ब्राह्मण हैं इनमें योगी आदित्यनाथ कि व्यक्तिगत पसंद का कोई ठाकुर नहीं है।

माना जाता है कि किसी भी राज्य में मुख्य सचिव सबसे पावरफुल नौकरशाह होते हैं, लेकिन फिलहाल यूपी में ऐसा नहीं दिख रहा था। योगी आदित्यनाथ के करीबी, 1987 बैच के आईएएस अफसर और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर आईएएस अफसरों में शुमार किए जाते हैं।उन्हें क्यों काटा गया इसपर सत्ता के गलियारों में शोध चल रहा है।

दरअसल एक साल पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लम्बे समय तक सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस अफसर एके शर्मा को वीआरएस दिलाकर यूपी भेजा गया था। पहले अटकलें लगाई गईं कि एके शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी आलाकमान योगी सरकार पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। योगी आदित्यनाथ को कई बार दिल्ली का दौरा करना पड़ा,.जिसके बाद बीच का रास्ता निकालते हुए एके शर्मा को एमएलसी बनाकर प्रदेश बीजेपी में उपाध्यक्ष पद दे दिया गया। अब माना जा रहा है कि डीएस मिश्रा को मुख्य सचिव बनाकर मोदी सरकार योगी सरकार के कामकाज पर नजर बनाए रखना चाहती है।

चुनाव से ऐन पहले दुर्गा शंकर मिश्रा को यूपी का सबसे बड़ा नौकरशाह बनाया गया है। इन्हीं के नेतृत्व में चुनाव होंगे। दुर्गाशंकर मिश्रा के बारे में फिजा यही रही है कि उनका सभी सरकारों में ठीक ठाक रहा है। वे टकराहट मोल नहीं लेने वाले अफसरों में से रहे हैं। वे मायावती के प्रमुख सचिव रहे। भाजपा और कांग्रेस की सरकारों में भी उनकी पौ बारह रही। अब एकाएक उन्हें देश के सबसे बड़े प्रदेश का सबसे बड़ा नौकरशाह बना दिया गया है। इससे पहले वे अटल बिहारी बाजपेयी की केन्द्र सरकार में गृह विभाग में निदेशक थे। साल 2004 में जब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी तब भी वे इसी पद पर कायम रहे। गृह विभाग के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें नागरिक उड्डयन विभाग में तैनाती दी। साल 2009 में वे दिल्ली से वापस लखनऊ लौट गये।दो महीने बाद ही मायावती ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बना लिया।बस अखिलेश सरकार में वे किनारे किनारे रहे।

ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि आईएएस बनने के बाद दुर्गाशंकर मिश्रा की पहली तैनाती वाराणसी में हुई थी।1984 बैच के मिश्रा असिस्टेण्ट मैजिस्ट्रैट के पद पर 3 जुलाई 1985 को वाराणसी में पहली बार तैनात हुए थे।अपने पूरे करियर में वे सिर्फ दो बार ही जिलाधिकारी रहे। वे 13 जुलाई 1993 से 11 जनवरी 1994 तक सोनभद्र के डीएम रहे। 17 नवंबर 1996 से 24 अप्रैल 1998 तक आगरा के डीएम रहे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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