क्या पीएम मोदी विश्व नेताओं के साथ-साथ मणिपुर की जनता को भी गले लगाएंगे? 

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नई दिल्ली। जी-20 सम्मेलन में आए मेहमानों के साथ जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी हमजोली रिश्ता निभा रहे थे। अगर इसका एक प्रतिशत भी प्रधानमंत्री ने मणिपुर के लिए सोचा होता तो राज्य में स्थिति आज कुछ और होती। यह कहना है केरल के आर्कबिशप मार जोसेफ पैम्प्लानी का। कल तक वह पीएम मोदी के समर्थक माने जाते थे लेकिन अब विरोध में उतर गए हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने मोदी सरकार से रबर की न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का अनुरोध किया था और बदले में केरल से भाजपा को एक लोकसभा सीट जिताने का वादा करके चर्चा में आए थे। 

लेकिन अब आर्कबिशप प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि “जिस तरह से जी-20 सम्मेलन के दौरान मोदी विश्व नेताओं को गले लगा रहे थे, उसी तरह से मणिपुर के लोगों को भी प्रधानमंत्री को गले लगाना चाहिए।”

आपको बता दें कि इस बार जी-20 सम्मेलन 9-10 सितंबर को भारत में संपन्न हुआ। सम्मेलन में अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्रपति, और ब्रिटिश प्रधानमंत्री जैसे बड़े देश के नेताओं ने शिरकत किया था। जबकि चीन के राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन में आने से इंकार कर दिया था।  

थालास्सेरी आर्चडियोज़ के आर्कबिशप मार जोसेफ पैम्प्लानी, जिन्हें कल तक भाजपा समर्थक माना जाता था। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर को लेकर रवैये पर टिपण्णी करते हुए कहा कि देश के मुखिया को जनता को ये एहसास दिलाना होगा कि वो किसी एक विशेष वर्ग के नहीं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं।

मार जोसेफ ने रविवार को कासरगोड में कहा कि जब भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को गर्मजोशी के साथ गले लगाते हैं तो यह पूरे देश के लिए सम्मान की बात है। जब हमारा नेता विश्व नेताओं के साथ खड़ा होता है तो प्रत्येक भारतीय नागरिक गर्व महसूस करता है।

मार जोसेफ आगे कहते हैं कि मुझे प्रधानमंत्री से कुछ कहना है। जिस तरीके से प्रधानमंत्री जो बाइडेन और अन्य नेताओं को महत्व दे रहे हैं। आपको अपने फोकस को शिफ्ट करने की जरुरत है और मणिपुरी महिलाओं को अपने करीब रखें, जिन्हें नग्न कर दिया गया था और उन्हें यह आश्वासन देना होगा कि आप उनकी रक्षा के लिए इस पद पर हैं। जो ध्यान आप विश्व नेताओं पर केंद्रित किए हुए हैं, मणिपुर और राज्य की जनता उस ध्यान के य़ोग्य है और उनको इसकी जरूरत भी है।

अपनी बात को जारी रखते हुए मार जोसेफ ने कहा कि प्रधानमंत्री आज पूरा देश उस वक्त का इंतजार कर रहा है जब आप जनता से कहेंगे कि आप उनकी रक्षा करेंगे। और मैं भी उस वक्त का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। आप किसी एक वर्ग के लोगों के प्रधानमंत्री नहीं हैं। मणिपुर की बदतर स्थिति के बाद आपको खुद में यह एहसास होना चाहिए कि अब आपको यह साबित करना पड़ेगा कि आप हर भारतीय के प्रधानमंत्री हैं।

मार जोसेफ ये बातें 24 घंटे के धरने के समापन पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा थे, जिसे कांग्रेस के लोकसभा सदस्य राजमोहन उन्नीथन ने भारत की विविधता की सुरक्षा की मांग के लिए आयोजित किया था।

कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी के द्वारा मणिपुर दौरा को लेकर आर्कबिशप ने तारीफ की है। राज्य में 3 मई से शुरु हुई जातीय हिंसा में अब तक 170 लोगों ने जान गंवाई है, हजारों कि संख्या में लोग विस्थापित हो गए और राज्य में दो कुकी महिलाओं को नग्न घुमाना हिंसा के दरिंदगी को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद राहुल गांधी पहले ऐसे बड़े नेता हैं जिन्होंने राज्य का दौरा किया। राहुल की यात्रा उन अल्पसंख्यकों के लिए आश्वासन है जो इस हिंसा में अकेले पड़ गए हैं और राहुल का दौरा यह बताने के लिए काफी है कि वह संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए वहां हैं। राज्य में आज भी अराजकता बरकरार है और रह-रहकर हिंसा की खबरें आती रहती है। 

मणिपुर में हिंसा फैलने से पहले तक ईसाई समुदाय में आर्कबिशप को व्यापक रूप से भाजपा के शुभचिंतक के रूप में देखा जाता था। जो केरल राज्य में भाजपा के पकड़ को हासिल करने में मददगार साबित हो सकता है। मार्च में आर्कबिशप पैम्प्लानी ने रबर के लिए 300 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बदले में भाजपा को लोकसभा सीट की पेशकश करके ईसाई पादरी और आम लोगों को नाराज कर दिया था। पैम्प्लानी की तरह, रबर की खेती करने वालों की एक बड़ी संख्या सिरो-मालाबार चर्च से है।

आर्कबिशप के द्वारा रखे गए पेशकश के बाद भाजपा ने उनके साथ बैठक की और आश्वासन दिया कि उनके मांग को पूरा किया जाएगा। हालांकि ये अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

रविवार को आर्कबिशप ने एनडीए सरकार द्वारा इंडिया के स्थान पर भारत शब्द इस्तेमाल करने के पेशकश पर भी घेरा। उन्होंने कहा कि “आपको ‘भारतम्’ (मलयालम भाषा में भारत) का अर्थ समझने की आवश्यकता है। संस्कृत में ‘भा’ का अर्थ है प्रकाश। इसलिए यह शब्द उन लोगों को संदर्भित करता है जो प्रकाश में खुश हो जाते हैं।” हमें इस बात को समझना होगा, अगर किसी शब्द का अर्थ नहीं जानते हैं तो नाम बदलने का कोई मतलब नहीं बनता है।

पैम्प्लानी ने अल्पसंख्यक समुदायों से अधिकांश हिंदुओं की विशाल सहृदयता की सराहना करने का आग्रह किया। उन्होंने हिंदू समाज के बात को रखते हुए कहा कि ईसाई और मुस्लिम समुदाय को ये समझना होगा कि यह बहुसंख्यक हिंदुओं की उदारता है जो उन्हें इस देश में सुरक्षा और संरक्षण प्रदान कर रहा है। लेकिन यह वह अच्छाई है जिसे कुछ विभाजनकारी ताकतें जलाने की कोशिश कर रही हैं।

उन्होंने आगे कहा कि “लेकिन मुझे इस बात पर भरोसा है कि देश के करोड़ों हिंदू इतने अज्ञानी नहीं हैं कि ऐसी विभाजनकारी ताकतों का समर्थन करेंगे, और वे सच्चाई को समझने में सक्षम हैं। हिंदू समुदाय के बहुसंख्यक लोग हमारी सुरक्षा की सबसे अच्छी गारंटी हैं।”

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