Sunday, April 28, 2024

महिला वकीलों ने CJI को लिखा पत्र: कुछ समुदायों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वालों पर हो कार्रवाई!

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट वुमन लॉयर फोरम ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र याचिका भेजी है, जिसमें हरियाणा में नूंह हिंसा के बाद कुछ समुदायों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। कुल 101 महिला वकीलों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह हरियाणा सरकार को नफरत भरे भाषणों की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने, कानून के अनुसार ऐसे भाषण के वीडियो पर प्रतिबंध लगाने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दे।

नफरत भरे भाषण वाले वीडियो के प्रसार और लक्षित हिंसा भड़काने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए महिला वकीलों ने लिखा कि “हम, दिल्ली और गुड़गांव में रहने वाले कानूनी समुदाय और दिल्ली हाईकोर्ट वुमन लॉयर फोरम के सदस्यों के रूप में इस पत्र याचिका के माध्यम से आपके ध्यान में यह तथ्य लाने के लिए यौर लॉर्डशिप से संपर्क किया है कि नफरत भरे भाषण वाले वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जिनके बारे में मीडिया हरियाणा की रैलियों में रिकॉर्ड किए जाने का दावा करता है।

दिल्ली हाईकोर्ट वुमन लॉयर फोरम ने कहा कि हम विनम्रता पूर्वक हरियाणा राज्य को नफरत फैलाने वाले भाषण की घटनाओं को रोकने और भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और तुरंत ट्रैक करने और प्रतिबंध लगाने के लिए तत्काल और शीघ्र दिशा-निर्देश चाहते हैं। ये वीडियो नफरत फैलाने वाले भाषण को बढ़ावा देते हैं और डर का माहौल पैदा करते हैं।

पत्र याचिका में राज्य के अधिकारियों द्वारा अवैध विध्वंस के संबंध में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वार लिए गए स्वत: संज्ञान का भी उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि “तेज और संवेदनशील दृष्टिकोण” ने कानून में नागरिकों का विश्वास बनाने में काफी मदद की है। इस तरह के बार-बार दिशा-निर्देशों और निर्देशों [सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित] के बावजूद नूंह और अन्य जिलों में नफरत भरे भाषण की अभूतपूर्व घटनाएं राज्य प्रशासन और पुलिस की ओर से निवारक उपायों को लागू करने में व्यापक विफलता को उजागर करती हैं।

पत्र याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा की इन घटनाओं के दौरान और बाद में उचित प्रतिक्रियात्मक उपाय करें। इसमें कहा गया है, “रैलियों और भाषणों में अनियंत्रित नफरत फैलाने वाले भाषण से न केवल हिंसा भड़कने का खतरा होता है, बल्कि सांप्रदायिक भय, उत्पीड़न और भेदभाव का माहौल और संस्कृति फैलती है।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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