केरल में निपाह वायरस से 6 संक्रमित, कई जिलों में स्कूल और कार्यालय बंद

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नई दिल्ली। दुनिया भर में विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान रोज नई-नई खोजों से मानव जीवन को आसान करने के साथ स्वस्थ जीवन की दिशा में आगे बढ़ रही है। लेकिन विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान को धता बताते हुए हमारे सामने ऐसी चुनौतियां आ जाती हैं जिससे निपटना विज्ञान के लिए मुश्किल हो जाता है। 3 साल पहले कोरोना वायरस ने दुनियाभर को घर में कैद कर दिया। आज भी कोरोना वायरस का सटीक इलाज नहीं आ पाया है।

कोरोना से पहले निपाह वायरस देश और दुनिया को डराता रहा है। निपाह एक बार फिर भारत के दक्षिणी राज्य केरल में अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है। 5 साल बाद केरल से एक बार फिर निपाह वायस से संक्रमण की खबरें सुनने के लिए मिल रही है। राज्य के कोझिकोड जिले से निपाह से एक व्यक्ति के संक्रमित होने की खबर सामने आई है। शुक्रवार को राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के कार्यालय ने खुलासा किया है कि 39 वर्षीय एक व्यक्ति के सैंपल से निपाह वायरस की पुष्टि के बाद कोझिकोड में निपाह के कुल संक्रमितों की संख्या 6 हो गई है।

फिलहाल अभी तक पूरे केरल में कितने लोग निपाह वायरस से संक्रमित हैं, इसका पता नहीं चल सका है। लेकिन निपाह वायरस ने पूरे राज्य को डरा दिया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को लोगों से एकांतवास नियम को सख्ती से अनुपालन करने का आदेश जारी किया है।

बुधवार तक केरल में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हो जाने के बाद से, वायरस का संक्रमण राज्य में रोकने के लिए स्कूलों और कार्यालयों को बंद कर दिया गया है। 2018 से अबतक निपाह वायरस से राज्य में 130 लोग जान गंवा चुके हैं। 2018 में इस वायरस से मरने वालो की संख्या 21 थी।

निपाह वायरस क्या है?

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों और इंसानो में फैले महामारी के बाद, निपाह वायरस (एनआईवी) की पहली बार की खोज हुई थी। जिसके परिणामस्वरूप लगभग 300 इंसानों को और करीब 100 से अधिक सूअरों की मौत हुई थी।

उस दौरान इस महामारी को फैलने से रोकने के प्रयास में काफी आर्थिक प्रभाव पड़ा। क्योंकि लोगों के बीच बीमारी को फैलने से रोकने के लिए दस लाख से अधिक सूअरों को मार दिया गया था। 

हालांकि, 1999 के बाद से मलेशिया और सिंगापुर में निपाह वायरस का कोई केस देखने को नहीं मिला है। लेकिन ये बीमारी एशिया के कुछ देश जैसे-भारत और बांग्लादेश में मुख्य रुप से फैल गया। और उसके बाद से लगभग हर साल इस सक्रंमण के मामले दर्ज किए जाते हैं।

2020 में सीडीसी ने एक बयान में कहा था कि सीडीसी ने एनआईवी एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह शुरू में जानवरों और लोगों के बीच फैलता है। एनआईवी जैसे वायरस मुख्यत: पशु मेजबान के तौर पर चमगादड़ में पाया जाता है। जिसे फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है।

यह वायरस चमगादड़ों, सूअरों और मानव-से-मानव संपर्क में आने (जैसे लार या मूत्र) फैलता है। किसी जानवर से किसी व्यक्ति में प्रारंभिक संदूषण को स्पिलओवर घटना के रूप में जाना जाता है। और एक बार जब कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो एनआईवी का मानव-से-मानव में प्रसार होने से संक्रमण फैलता जाता है।

इस बीमारी से मानव में संक्रमण के कोई लक्षण न होने से लेकर तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का गंभीर), और एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) जैसे लक्षणों के साथ, 24-48 घंटों के भीतर कोमा हो सकता है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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