आशा कार्यकर्ताओं का पटना में प्रदर्शन, 10 हजार मासिक मानदेय और रिटायरमेंट पैकेज की मांग

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पटना। दस हजार रुपये न्यूनतम मासिक मानदेय और रिटायरमेंट पैकेज समेत 9 सूत्री मांगों को लेकर ‘आशा संयुक्त संघर्ष मंच’ के बैनर तले विगत 12 जुलाई से आंदोलित आशाकर्मियों-फैसिलिटेटरों ने आज बिहार की राजधानी पटना में विरोध प्रदर्शन किया। सरकार के साथ दो राउंड की हुई वार्ता की असफलता के बाद पटना में हजारों की तादाद में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ आशाकर्मियों का महाजुटान हुआ।

इस महाजुटान को भाकपा-माले और सीपीएम के विधायकों समेत अन्य नेतागण अपना समर्थन देने गर्दनीबाग धरनास्थल पहुंचे। माले विधायक दल नेता महबूब आलम, उपनेता सत्येदव राम, माले विधायक गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव, अमरजीत कुशवाहा और सीपीएम विधायक अजय कुमार व सत्येन्द्र यादव ने आशा कार्यकर्ताओं के महाजुटान को संबोधित किया।

ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, सरोज चौबे, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की नेता शशि यादव, मालती देवी, सुनीता भारती, चंद्रकला, सावित्री देवी, तरन्नुम फैजी, जूही आलम, बिहार राज्य आशा सह आशा फैसिलिटेटर संघ के विश्वनाथ सिंह, मो. लुकमान, मीरा सिन्हा, सुबेश सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

आशा कार्यकर्ताओं की लोकप्रिय नेता शशि यादव ने कहा कि “दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं। जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जातीं, हमारी हड़ताल जारी रहेगी”। महाजुटान में शामिल आशाकर्मियों ने मुठ्ठी बांधकर उनकी बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि “यह ताज्जुब वाली बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती जबकि वह महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था। हम तेजस्वी यादव जी को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय व सम्मानजनक राशि देने की घोषण की थी। उसे वे पूरा करें”।

शशि यादव ने कहा कि “न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से सरकार ने मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1 लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलती है”। उन्होंने यह भी कहा कि “केरल, कर्नाटक, आंध्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आदि राज्यों में आशा-आशा फैसिलिटेटरों को जो सुविधायें मिल रही हैं, बिहार सरकार उसे ही लागू कर दे”।

विश्वनाथ सिंह ने कहा कि “तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशा कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं। परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं। भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं, लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है। हम बिहार सरकार से इस तरह की उम्मीद तो नहीं ही करते, लेकिन दुर्भाग्य यही चल रहा है। 18 महीने के पिछले बकाया में एक महीने की राशि, 10 करोड़ देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगों को दरकिनार करना चाहते हैं। आशाएं सजग हैं, गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा”।

भाकपा माले विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि “मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता कराने पर चर्चा हुई है। तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही वार्ता अविलंब शुरू होगी और आशाओं के पक्ष में फैसला आएगा। वाम दल के सभी विधायक मजबूती से हर प्लेटफॉर्म पर आशाओं के लिए न्यूनतम मानदेय की मांग उठायेंगे। हमारी प्राथमिकता जनता के सवाल हैं। महागठबंधन की सरकार को- आशाकर्मियों की मांगें हों या फिर शिक्षकों के सवाल- को पूरा करना ही होगा। बिहार से भी गरीब राज्य ओडिशा जब आशाकर्मियों को सुविधाएं दे रहा है तो बिहार सरकार क्यों नहीं दे सकती”?

सीपीएम के अजय कुमार ने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाएं भी नहीं दे रही है। हम विधानसभा से लेकर सड़क तक आपके आंदोलन के साथ हैं।

महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है। इस मौके पर ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, प्रेमचंद सिन्हा सहित कई अन्य कर्मी भी उपस्थित थे।

आशा कर्मियों की मांगें :

1: (क) आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रुपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित पारितोषिक शब्द को बदलकर नियत मासिक मानदेय किया जाय और इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाय।             

(ख) उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल 19 से नवंबर 20 तक) का मासिक 1000 रुपये की बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाय।

2: अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने के पूर्व की सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाय।

3: (क) आशा कार्यकर्ताओं-आशा फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता-पारदर्शिता लाई जाय। 

(ख) आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाय।

4: कोरोना काल की ड्यूटी के लिए सभी आशाओं-आशा फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाय।

5: (क) आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाय और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाय।

(ख) फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाय।

(ग) फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता दैनिक 500/रुपये की दर से भुगतान किया जाए।

6: (क) वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित बृद्धि हेतु केन्द्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाय।

(ख) आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय।

7: कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं व आशा फैसिलिटेटर को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख का भुगतान किया जाय।

8: आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना, पेंशन योजना का लाभ दिया जाय। जब तक नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट पैकेज के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय।

9: जनवरी’ 19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य अ-कार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाय।

(आशा संयुक्त संघर्ष मंच की ओर से जारी शशि यादव द्वारा जारी)

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