चारों शंकराचार्यों और सीपीआई (एम) के बाद अब कांग्रेस ने भी किया मंदिर उद्घाटन से किनारा  

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नई दिल्ली। देश के चारों शंकराचार्यों के द्वारा एक स्वर में 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से साफ़ इंकार करने के बाद अब खबर आ रही है कि कांग्रेस ने भी इस समारोह में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है। 

यह खबर गोदी मीडिया के लिए आज की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर सामने आई है। जल्द ही सभी न्यूज़ चैनलों पर दंगल, बड़ी बहस और प्राइम टाइम के लिए आवश्यक बाईट लेने के लिए कांग्रेस सहित भाजपा सूत्रों को खंगालने का क्रम शुरू हो गया है। बता दें कि चंपत राय के नेतृत्व में अयोध्या मंदिर के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के नेता के रूप में अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रित किया गया था। लेकिन अब कांग्रेस की ओर से इसे आरएसएस और बीजेपी का इवेंट करार देकर, देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर प्रेस को एक लिखित बयान जारी कर इस बारे में जानकारी साझा की है, “पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी एवं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता श्री अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में आने का निमंत्रण मिला था। कांग्रेस का मत है कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म इंसान का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने पिछले कई वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना रखा है। भाजपा और आरएसएस के नेताओं के द्वारा आधे-अधूरे मंदिर के उद्घाटन का उद्येश्य सिर्फ चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हुए तथा लोगों की आस्था के सम्मान में श्री मल्लिकार्जुन खरगे, श्रीमती सोनिया गांधी एवं श्री अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।”

पिछले कुछ दिनों से पुरी शन्कराचार्य सहित चारों पीठ के शंकराचार्यों ने जिस प्रकार से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कुछ बुनियादी विसंगतियों पर सीधा प्रश्न खड़ा किया है, उससे भाजपा के लिए कांग्रेस को घेरने में काफी अड़चन आने लगी थी। वैसे भी यदि हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित धर्माचार्य ही अधूरे मंदिर को असंगत बताते हुए 22 जनवरी के मुहूर्त पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, तो कांग्रेस जिसे भाजपा-आरएसएस ने लगभग पूरी तरह से मुश्किल में डाल दिया था, की राह काफी हद तक आसान कर दी है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को ऐन आम चुनाव से पहले हड़बड़ी में करने को लकर विभिन्न हलकों में भी अब सवाल उठने लगे हैं। देश में करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक राम की प्रतिमा को प्रतिष्ठापित करने के बहाने इसे असल में भाजपा को 2024 में जीत सुनिश्चित करने के राजनीतिक एजेंडे के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, घर-घर जाकर आरएसएस के कार्यकर्ताओं के द्वारा अक्षत वितरण के माध्यम से इस काम को पहले ही अंजाम दिया जा रहा है, लेकिन सीपीआई(एम) के बाद कांग्रेस की ओर से भी धर्म और राजनीति के घालमेल पर पहली बार हिम्मत दिखाने की पहल को कई दशक बाद वास्तविक धर्मनिरपेक्षता का दामन थामने की कोशिश कहा जा सकता है।   

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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