नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 160 गांवों के किसानों के दिल्ली कूच से बॉर्डर पर अफरा-तफरी का आलम

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नई दिल्ली। गुरुवार सुबह 11 बजे से ही बड़ी संख्या में किसानों का जमावड़ा नोयडा-दिल्ली बॉर्डर के पास महामाया फ्लाईओवर और चिल्ला बॉर्डर के आसपास लगना शुरू हो चुका था। ये सभी किसान दिल्ली में प्रवेश की जिद पर अड़े हुए थे। ऐसी जानकारी मिल रही है कि इसमें इस इलाके के 160 गांवों के किसानों की ओर से प्रमुख मांग के रूप में अपनी जमीनों के लिए ज्यादा मुआवजे की मांग है। हजारों की तादाद में आये इन किसानों के दिल्ली में प्रवेश को अवरुद्ध करने के लिए यूपी प्रशासन की ओर से भी तमाम तैयारियां की गई थीं।

प्रशासन की ओर से किसानों के जत्थे को महामाया फ्लाईओवर के समीप दलित प्रेरणा स्थल पर रोकने की तैयारी थी। लेकिन विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिल रही है कि यूपी पुलिस के जवानों एवं अधिकारियों के साथ-साथ पीएसी और कमांडो की तैनाती के बावजूद किसान बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग को धता बताने के लिए पुलिस के साथ जूझ रहे हैं।

इसके साथ ही यह भी खबर है कि किसान नेता, सुखबीर खलीफा को पुलिस बल की ओर से गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। आन्दोलनकारियों को हिरासत में लेने के लिए प्रशासन की ओर से 4-5 बसों का इंतजाम किया गया है। 11 बजे से नोएडा और ग्रेटर नोएडा का सड़क मार्ग पूरी तरह से ठप पड़ा है, और दिल्ली-नोएडा आने-जाने वाले यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन की ओर से नोएडा में धारा 144 लगा दी गई थी, और रूट डायवर्जन के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई थी। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर पुलिस बैरिकेडिंग का भी बंदोबस्त किया गया था, लेकिन इस सबके बावजूद किसानों के संख्या बल के आगे प्रशासन का इंतजाम अधूरा नजर आ रहा है।

बता दें कि किसान अपनी लंबित मांगों को लेकर लंबे समय से नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के कार्यालय के समक्ष आंदोलनरत थे। इस आंदोलन के नेता एवं भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा के अनुसार, “जब कोई नहीं सुनता, जब लिखित में समझौते के बावजूद भी प्रशासन हमारी नहीं सुनता, सारे बोर्ड में पारित हो जाने के बाद भी कोई नहीं सुनता तो हम क्या करें? 10% बोर्ड में पारित हो चुका है, आबादी निस्तारण के लिए 4,500 से 1,000 पास हो गया है। हमारा उद्योग चला गया, उसमें हमें 5% प्लाट में कमर्शियल छूट भी पारित हो चुकी है। रही एनटीपीसी की बात तो उसमें भी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जा चुकी है। हम किसान अपनी तरफ से कुछ नहीं कहेंगे, जो बातें आपने ने मान ली है, उसे आप लागू करें। चाहे नोएडा, ग्रेटर यमुना प्राधिकरण हो।”

किसानों का कहना है कि पिछले 5 वर्षों से हम यह मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से जब कोई सुनवाई नहीं की गई तो आज वे धरने एवं दिल्ली कूच के लिए मजबूर हुए। ये किसान समान मुआवज़े और रोज़गार की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। ये किसान स्थानीय विकास प्राधिकरण के द्वारा अधिग्रहीत अपनी जमीन के बदले में बढ़े हुए मुआवजे एवं विकसित भूखंडों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे एनटीपीसी दादरी से प्रभावित हैं।

नॉएडा-दिल्ली पर लगा भारी जाम बीते कई दिनों से किसान अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। इन किसानों ने आज दिल्ली कूच की तैयारी की है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में संसद घेरने की योजना बनाई है, साथ ही वे जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन करेंगे। किसान आंदोलन के चलते कई जगह भारी जाम भी देखने को मिला।

बृहस्पतिवार की सुबह कई लोग इस जाम का शिकार हुए। अधिकारियों ने कई मार्गों पर यात्रा करने से बचने का सुझाव दिया है। समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, “दिल्ली यातायात पुलिस के अनुसार, बृहस्पतिवार को सोनिया विहार, डीएनडी, चिल्ला, गाजीपुर, सभापुर, अप्सरा और लोनी बॉर्डर से जुड़े मार्गों पर भारी यातायात होने की आशंका है। पुलिस ने यातायात संबंधित एक दिशा निर्देश भी जारी किया जिसमें ट्रैक्टरों पर किसानों के आंदोलन के मद्देनजर यात्रियों को दोनों शहरों में कुछ मार्गों पर मार्ग परिवर्तन के प्रति आगाह किया गया।”

13 फरवरी को बड़े किसान आंदोलन की तैयारी

बता दें कि आज का किसान आंदोलन 13 फरवरी को प्रस्तावित हरियाणा-पंजाब के किसान संगठनों से अलग है। 13 फरवरी के ट्रैक्टर मार्च के लिए तो हरियाणा के विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर कई सप्ताह से तैयारियां चल रही हैं। इन दोनों आंदोलनों की मांगों में भी अंतर है। 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने वाले किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग प्रमुख है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के दावे के मुताबिक 13 फरवरी को देशभर से 200 से अधिक किसान संगठन ‘दिल्ली चलो’ मार्च में हिस्सा लेंगे। डल्लेवाल ने चंडीगढ़ में एक प्रेस वार्ता में आरोप लगाया था कि, “किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने का वादा किया था, लेकिन आज मोदी सरकार, कॉरपोरेट क्षेत्र के दबाव के चलते अपने वादे को पूरा नहीं कर रही है।”

हरियाणा में किसानों की ओर से 13 फरवरी को “MSP गारंटी” की मांग को लेकर “दिल्ली कूच” की गांव-गांव में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं !! इस बारे में सोशल मीडिया पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की ओर से प्रतिदिन अलग-अलग शहरों में ट्रैक्टर मार्च आयोजित किया जा रहा है।

16 फरवरी को किसानों-मजदूरों का ऐतिहासिक भारत बंद

राष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख किसानों एवं मजदूरों के संगठन संयुक्त रूप से 16 फरवरी को भारत बंद करने जा रहे हैं। इसमें किसानों के साथ-साथ तमाम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों सहित गैर-मान्यता प्राप्त श्रमिक संघों की भी व्यापक भागीदारी देखने को मिल सकती है। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक यह बंदी शहरों ही नहीं बल्कि गाँवों में भी खेती-बाड़ी तक में लागू करने की योजना है। इतने वृहद स्तर पर भारत बंद को शायद ही आजाद भारत में अंजाम दिया गया हो। इसमें विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी का कानून, मनरेगा में विस्तार सहित तमाम लंबित मांगों को एक बार फिर से पेश किया जाना है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों और ट्रेड यूनियनों का संयुक्त रूप से पहल कहीं न कहीं चुनावों को प्रभावित करने के साथ-साथ आने वाले वर्षों में तूफानी संघर्षों की सुगबुगाहट से रूबरू करा रहा है।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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