लोकतंत्र बचाओ अभियान-2024: आदिवासियों ने एक स्वर में मोदी सरकार को नकारा

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रांची। झारखंड के खूंटी संसदीय क्षेत्र में 7 मार्च से शुरू “लोकतंत्र बचाओ (अबुआ झारखंड, अबुआ राज)” यात्रा अभियान तीन दिनों तक खूंटी संसदीय क्षेत्र के विभिन्न गावों में जायेगी। स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानी बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु से शुरू हुई यात्रा बिरसा मुंडा के संघर्षों से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ी, जो अड़की और मुरहू प्रखंड के बिरबांकी, कोचांग, मुचिया, कटुई, सर्वदा गांव होते हुए यात्रा मरांगहदा पहुंची।

बता दें कि यह यात्रा 2024 लोकसभा चुनाव में झारखंड, देश, लोकतंत्र और संविधान को बचाने की जनसंपर्क यात्रा है। यात्रा के दौरान हुई जनसभाओं में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के दस सालों में राज्य के आदिवासी-मूलवासियों एवं उनके जल, जंगल, ज़मीन और खनिज संपदाओं पर विशेष हमले हुए हैं।

मोदी सरकार ने वन संरक्षण कानून में संशोधन कर वन अधिकार कानून के तहत मिले और मिलने वाले वनभूमि और संसाधनों पर ग्राम सभा के अधिकारों को छीनकर पूंजीपतियों को सौंपने का फैसला लिया है।

भाजपा की पिछली रघुवर सरकार ने लैंड बैंक बनाकर ग्राम सभा की 22 लाख एकड़ सामुदायिक ज़मीन छीन ली थी। अब उसी प्रकार जंगल बैंक बनाने की तैयारी है। भूमि स्वामित्व कार्ड योजना के जरिये गांवों की सार्वजनिक भूमि को ग्रामीणों के नियंत्रण से छीनने की व पांचवी अनुसूची, CNT-SPT कानून और खूंटकट्टी व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रची गयी है। जिनपर सवाल करने वाले और पत्थलगढ़ी करने वाले आदिवासियों को भाजपा सरकार ने देशद्रोही करार दिया था।

सभाओं में लोगों ने कहा कि भाजपा लगातार खूंटी के आदिवासियों से झूठा वादा करके चुनाव जीत जाती है। इस बार आदिवासी-मूलवासियों ने तय कर लिया है कि किसी भी परिस्थिति में भाजपा को वोट नहीं देंगे। इस बार मुंडा दिशुम से मोदी सरकार को हराना है।

मोदी सरकार द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फर्जी आरोप लगाकर गिरफ्तार कराना और आदिवासी-मूलवासियों द्वारा चुने हुए सरकार को बार-बार गिराने की कोशिश करना भाजपा और मोदी सरकार के आदिवासी विरोधी चेहरा को बेनकाब कर दिया है। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जातिसूचक टिपण्णी करने वाले को सरकार द्वारा संरक्षण देना मोदी सरकार की मनुवादी सोच को दर्शाता है।

मणिपुर में आदिवासियों, खासकर महिलाओं पर हुई हिंसा वहां की भाजपा सरकार और मोदी सरकार के संरक्षण में किया गया। आदिवासियों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है।

वहीं विगत 5 मार्च को उक्त “लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान” के प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन से मुलकात कर आगामी लोकसभा चुनाव और उसके विभिन्न पहलुओं को लेकर चर्चा की एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए साझा ज़मीनी संघर्ष की अपील सहित संबंधित एक मांग पत्र सौंपा।

इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अभियान के विषय में बताया कि “लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान” के अंतर्गत राज्य के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में एक साल से जन जागरण कार्यक्रमों जैसे जनसभा, कार्यशाला, यात्राएं व वॉलंटियर प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है व लोगों को संगठित किया जा रहा है।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मोदी सरकार समाज, राज्य, देश, लोकतंत्र, संविधान और मेहनतकश वर्ग के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अतः 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हटाने के लिए लोकतंत्र पसंद लोगों, संगठनों और इंडिया गठबंधन को मिलकर जन मुद्दों पर साझा ज़मीनी संघर्ष करने की ज़रूरत है।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख हेक्टेयर गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया गया था। अतः लैंड बैंक को तुरंत रद्द किया जाए।

जल्द-से-जल्द वन अधिकार कानून अंतर्गत सामुदायिक पट्टों का वितरण किया जाए। पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों के स्वशासन के अधिकारों को पेसा के अंतर्गत पूर्णतः लागू किया जाय।

फर्जी मामलों में फंसे आदिवासी-मूलवासियों के मामलों को बंद करने के लिए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच का गठन हो।
दलित समुदाय के लिए जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आवेदकों को तुरंत जाति प्रमाण पत्र दिया जाए। साथ ही, भूमिहीन परिवारों, खास कर दलितों, को पर्याप्त भूमि पट्टा का आवंटन हो।

चुनाव से पहले नफरती व सांप्रदायिक भाषण व गतिविधियों का इस्तेमाल कर साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश बढ़ सकती है। इसलिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिया जाए कि नफरती व सांप्रदायिक भाषण व गतिविधियों के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की जाए।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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