इधर कई राज्यों की न्यायपालिका कानून से इतर राष्ट्रवादी मोड या उच्चतम न्यायालय की तर्ज़ पर सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती परिलक्षित हो रही हैं। एक राज्य की एक अदालत ने अपने न्यायिक फैसले में आरोपियों की जमानत याचिका पर पीएम केयर्स फंड में एक निश्चित धनराशि जमा करने का क्या आदेश दिया दूसरे राज्यों की न्यायपालिका से भी ऐसे आदेश पारित होने शुरू हो गये।
चूँकि अभी लगभग सभी राज्यों में हाईकोर्ट की कार्रवाई वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से चल रही है इसलिए अभी इस तरह के मनमाने और कानून विरोधी आदेशों की बाढ़ नहीं आई है। इसी बीच केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में सत्र न्यायाधीश द्वारा जमानत देने की कंडीशन में याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25 हज़ार रुपए जमा कराने की शर्त को अनुचित एवं अन्यायपूर्ण कहते हुए निरस्त कर दिया ।
गौरतलब है कि केरल के एक सत्र न्यायाधीश ने ज़मानत की शर्त के रूप में कहा था कि याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25,000/ की राशि जमा करनी चाहिए।
जस्टिस सीएस डायस की एकल पीठ ने हाईकोर्ट के एक फैसले का संदर्भ दिया जिसमें मोती राम बनाम मध्यप्रदेश राज्य में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भरोसा करते हुए यह कहा गया था कि जमानत के लिए नकद सुरक्षा या किसी भी राशि के अनुदान के लिए राशि जमा करना अन्यायपूर्ण, अनियमित और अनुचित है। सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को जमानत देते हुए उसे कोरोना रिलीफ फंड में 25,000 रुपए की राशि जमा करने और उक्त न्यायालय के समक्ष रसीद पेश करने का निर्देश दिया था।
इससे क्षुब्ध याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया कि हालत गंभीर है। उसने उक्त निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें उच्च न्यायालय ने यह माना कि जमानत देते समय अदालत आरोपियों को कोई नकद जमा करने का निर्देश नहीं देगी।
एकल पीठ ने कहा कि यह कानून है कि जमानत देना एक नियम है और जेल केवल एक अपवाद है। निर्विवाद रूप से, याचिकाकर्ता ने आवेदन किया था और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 1967 (2) के तहत उसे जमानत दी गई थी, जो उसका अनिश्चितकालीन अधिकार है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कानून की उपरोक्त स्पष्ट घोषणा (मोती राम) के मद्देनजर, मुझे लगता है कि सत्र न्यायाधीश द्वारा लगाई गई शर्त नंबर 2 में पाया गया है कि याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25,000 रुपए की राशि जमा करनी चाहिए, जो अनुचित और अन्यायपूर्ण है, इसलिए, मैंने उक्त शर्त को खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह पीएम केयर्स फंड में 35-35 हज़ार रुपए जमा कराने की शर्त पर अग्रिम जमानत आवेदन की अनुमति दी थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड में दान देने की शर्त पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले किराना व्यवसायी को ज़मानत दी। इसी प्रकार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी लॉकडाउन उल्लंघन में एक मामले में ज़मानत देते हुए पीएम केयर्स फंड में दस हज़ार रुपए जमा करने की शर्त लगाई थी।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार इंदौर-निवासी व्यक्ति को जमानत देते पीएम केयर्स फंड में 10,000 / रुपये जमा करने और एक सप्ताह के लिए स्वैच्छिक सेवा करने को कहा था ।
इसी तरह झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस अनुभा रावत की अदालत ने झारखंड के पूर्व सांसद सोम मरांडी और पांच अन्य लोगों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने और पीएम केयर्स फंड में 35- 35 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर जमानत देने का निर्देश दिया है। सोम मरांडी, विवेकानंद तिवारी, अमित तिवारी, हिसाबी राय, संजय वर्धन और अनुग्रह प्रसाद साह को रेल रोको आंदोलन के तहत रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मुकदमा साहिबगंज में दर्ज किया गया था।
(जेपी सिंह पत्रकार होने के साथ क़ानूनी मामलों के जानकार भी हैं।)
+ There are no comments
Add yours