विनोद दुआ की गिरफ़्तारी पर रोक, घर में ही पुलिस कर सकती है ऑनलाइन पूछताछ

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उच्चतम न्यायालय के जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एमएम शांतानागौडर और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने प्रख्यात पत्रकार विनोद दुआ की गिरफ्तारी पर 6 जुलाई तक रोक लगा दी है और कहा है कि 24 घंटे की पूर्व सूचना के साथ पुलिस उनके घर जाकर पूछताछ कर सकती है, लेकिन गिरफ्तार नहीं कर सकती। यह आदेश विनोद दुआ की स्वयं की पेशकश पर किया गया है जिसमें उन्होंने ईमेल या किसी अन्य ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से जांच में शामिल होने की स्वीकृति दी है।  

पीठ ने रिकॉर्ड में दर्ज परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्देश दिया है  

– अगले आदेश तक याचिकाकर्ता विनोद दुआ को वर्तमान अपराध के संबंध में गिरफ्तार  नहीं किया जाएगा

– हालांकि याचिकाकर्ता द्वारा दिनांक 12 जून 2020 को हिमाचल पुलिस को भेजे गये संदेश के अनुरूप, याचिकाकर्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या ऑनलाइन मोड के माध्यम से जाँच में पूरा सहयोग करेगा और

– हिमाचल प्रदेश पुलिस जांच की हकदार होगी, जिसमें उसके द्वारा याचिकाकर्ता के  घर पर 24 घंटे की नोटिस याचिकाकर्ता को देकर  और कोविड-19 के दौरान निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों का अनुपालन करके उससे  से पूछताछ कर सकती है ।

पीठ ने आदेश में कहा है कि एफआईआर 6 मई 2020 के सन्दर्भ में शिमला पुलिस ने नोटिस भेजकर 13 जून, 2020 को पूछताछ के लिए विनोद दुआ को पुलिस थाने में उपस्थित होने को कहा था। इस नोटिस का जवाब याचिकाकर्ता विनोद दुआ ने 12 जून,  2020 भेजा था कि मुझे आपका नोटिस दिनांक 11 जून को प्राप्त हुआ है और हिमाचल प्रदेश के पुलिस थाना में मैं प्रदेश कोविड के दिशानिर्देशों के अनुसार आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं, लाल क्षेत्र (रेड ज़ोन) से आने वाले किसी भी व्यक्ति को संस्थागत संगरोध में 14 दिनों की अवधि के लिए एकांतित किया जाता है। चूंकि मैं नई दिल्ली में रहता हूं, वर्तमान में एक लाल क्षेत्र है, इसलिए मुझे 14 दिनों की अवधि के लिए पनाह एकांतित किया जाएगा। फिर भी मैं आपकी नोटिस में लाना चाहता हूं कि मैं 66 साल का हूं।

इसलिए, गृह मंत्रालय दिशानिर्देशों के अनुसार, 65 से अधिक उम्र के सभी नागरिकों  को स्वास्थ्य  सुरक्षा जोखिमों के कारण यात्रा नहीं करने के लिए कहा गया है। फिर भी मैं थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित हूं जो आयरन डेफ़िशिएंसी एनीमिया, पैन्टीटोपेनिया (कम लाल और सफेद रक्तवाहिका और कम प्लेटलेट काउंट), पुरानी यकृत की बीमारी के साथ उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हूँ। इसके अलावा  स्प्लेनोमेगाली, डायबिटीज और हाइपोथायरायडिज्म की भी मुझे शिकायत है। मुझे रक्तस्राव के जोखिम के साथ ओसोफेजियल की भी समस्या हैं। इसलिए डॉक्टरों ने कहा है कि मेरे घर से बाहर रहना जीवन को खतरे में डालने वाला होगा। मैं अपने मेडिकल प्रमाणपत्र को साथ भेज रहा हूँ । इस बीच, मैं ईमेल या किसी अन्य ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से जांच में शामिल हो जाऊँगा।

पीठ ने देशद्रोह के मामले को रद्द करने की मांग वाली दुआ की याचिका पर केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है तथा दो सप्ताह में जवाब देने को कहा। दुआ की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने न केवल प्राथमिकी पर स्थगन की, बल्कि इसे रद्द करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि देशद्रोह का मामला दर्ज करके पत्रकार के बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है। सिंह ने कहा कि अगर लोगों के खिलाफ इस तरह के आरोप दर्ज होने लगे तो कई लोग देशद्रोह के आरोपों के दायरे में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत को अपने शो की वीडियो क्लिप दिखाना चाहते हैं।

पीठ ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि वह मामले के विवरण में नहीं जा रही और जांच पर रोक भी नहीं लगाएगी। केंद्र तथा राज्य सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने नोटिस को स्वीकार किया और कहा कि वह दो सप्ताह में जवाब दाखिल करेंगे।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले दुआ के खिलाफ एक अन्य प्रकरण में जांच पर रोक लगा दी थी। वह मामला भी यूट्यूब पर उनके शो से जुड़ा था। शिमला में पुलिस ने एक स्थानीय भाजपा नेता की देशद्रोह की शिकायत पर पूछताछ के लिए दुआ को उपस्थित होने को कहा था। राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज कराई गयी शिकायत की तरह ही शिमला में वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी भी इस साल दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े उनके यूट्यूब शो से संबंधित है। शिकायत के अनुसार दुआ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोट हासिल करने के लिए ‘मौतों और आतंकी हमलों’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।    

भाजपा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष अजय श्याम द्वारा पिछले महीने दाखिल शिकायत के आधार पर दुआ के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 124ए (देशद्रोह), 268 (सार्वजनिक अव्यवस्था से संबंधित), 501 (अपमानजनक समझे जाने वाली सामग्री का मुद्रण) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव को भड़काने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया है। दुआ को बृहस्पतिवार को नोटिस भेजकर शिमला पुलिस के समक्ष पेश होने को कहा गया था। हिमाचल प्रदेश पुलिस के अधिकारी शुक्रवार सुबह नोटिस थमाने उनके दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे। नोटिस के जवाब में दुआ ने कहा कि वह सेहत, उम्र और यात्रा संबंधी कोविड-19 के प्रोटोकॉल की वजह से कुमारसाईं थाने नहीं जा सकते।

दरअसल पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस ने दुआ के खिलाफ फरवरी में हुए दिल्ली दंगों में उनके यूट्यूब चैनल पर मिस रिपोर्टिंग का आरोप लगाया था। इसमें दुआ ने प्रधानमंत्री को ‘दांत रहित ‘कहा था और यह भी कहा था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में हुए दंगे को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।

विनोद दुआ ने याचिका में पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले दिशानिर्देशों को तैयार करने की भी मांग की थी। शिकायतकर्ता अजय श्याम के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए करने के आरोप लगाए गए। श्याम ने दावा किया कि दुआ ने फे़क न्यूज़ फैलाकर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा भड़काई। दुआ ने इन दिशानिर्देशों के पालन करने की मांग की है जो पूर्वोक्त उद्देश्यों के लिए एक बोर्ड स्थापित करते हैं और पूर्व अनुमोदन / अनुमति को आवश्यक बनाते हैं।

भाजपा नेता अजय श्याम ने शिकायत की थी कि दुआ ने 30 मार्च को अपने 15 मिनट के यूट्यूब शो में अजीबोगरीब आरोप लगाये थे। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दुआ ने झूठी और दुर्भावनापूर्ण खबरें प्रसारित करके सरकार तथा प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा को उकसाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा प्रवक्ता नवीन कुमार द्वारा दर्ज ऐसी ही एक शिकायत के मामले में जांच पर बुधवार को 23 जून तक रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि शिकायत दाखिल करने में करीब तीन महीने की देरी हुई जिसकी कोई वजह नहीं बताई गयी।

विनोद दुआ पर की गई एफआईआर की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी निंदा की थी। सोमवार 8 जून को जारी अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा था कि पत्रकारों के खिलाफ विभिन्न राज्यों की पुलिस, बचकाने आरोप लगाकर उसे एफआईआर में बदल रही है और पुलिस से यह कहना चाहता है कि संवैधानिक रूप से दी गई आज़ादी की गारंटी का सम्मान करें न कि ऐसा व्यवहार करें जिससे कि उसकी स्वतंत्रता पर ही सवाल उठे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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