हैनी बाबू और अरुंधति रॉय।

हैनी बाबू समेत तमाम एक्टिविस्टों की गिरफ्तारियों से मौजूदा सरकार का डर आया सामने: अरुंधति

नई दिल्ली। मशहूर लेखिका अरूंधति रॉय ने एंटी कास्ट मूवमेंट और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू की गिरफ्तारी पर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि भीमा कोरेगांव मामले में एक बाद दूसरे एक्टिविस्टों, अकादमिक जगत से जुड़े लोगों और वकीलों की गिरफ्तारी मौजूदा सरकार के डर को दिखाती है।

अरुंधित ने कहा कि “जाति विरोधी एक्टिविस्ट और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू की गिरफ्तारी भीमा कोरेगांव मामले में एनआईए द्वारा की गयी गिरफ्तारियों की फेहरिस्त में सबसे ताजा है। इस केस में निष्ठुर तरीके से लगातार जारी एक्टिविस्टों, अकादमिक जगत के लोगों और वकीलों की गिरफ्तारियां मौजूदा सरकार की इस समझ को प्रदर्शित करती है कि इस नवजात, उभरते सेकुलर, जाति विरोधी और पूंजीवादी विरोधी राजनीति से जुड़े लोग न केवल हिंदू फासीवाद का एक वैकल्पिक नरेटिव मुहैया करा रहे हैं बल्कि उसका प्रतिनिधित्व भी करते हैं।”

आपको बता दें कि कल हैरी बाबू को मुंबई से एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया है। भीमा-कोरेगांव मामले में पूछताछ के लिए उन्हें दिल्ली से 23 जुलाई को मुंबई बुलाया गया था। और फिर उनको वहीं गिरफ्तार कर लिया गया। हैरी बाबू नोएडा के सेक्टर 78 में रहते हैं। इसके पहले भी 2018 में मुंबई पुलिस के लोग पूछताछ के लिए उनके घर आए थे। जिसमें कंप्यूटर से लेकर तमाम दूसरे सामान अपने साथ लेकर चले गए थे। इस तरह से भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार होेने वाले हैरी बाबू 12वें शख्स हैं। इसके पहले इस मामले में वरवर राव, आनंद तेलतुंबडे, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल की सींखचों के पीछे डाला जा चुका है।

मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए अरुंधति ने कहा कि “इस तरह से उसके खुद की विध्वंसक हिंदू राष्ट्रवादी राजनीति के सामने बिल्कुल साफ तौर पर- सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक- खतरा पेश करते हैं जिसने इस देश को ऐसे संकट में ले जाकर खड़ा कर दिया है जिसमें हजारों-लाखों लोगों की जिंदगियां तबाह हो गयी हैं और विडंबना यह है कि इसमें खुद उनके समर्थक भी शामिल हैं।”

एनआईए की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि हैरी बाबू की गिरफ्तारी पूछताछ में आए तथ्यों के बाद की गयी है। साथ ही उसका आरोप है कि पहले से गिरफ्तार लोगों के साथ मिलकर उन्होंने एलगार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा को अंजाम देने में भूमिका निभायी थी।

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