अन्ना, प्रशांत भूषण और केजरीवाल।

अन्ना आन्दोलन के पीछे आरएसएस का हाथ कहकर भूषण ने की दिग्विजय के आरोपों की पुष्टि

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह वर्ष 2011 से कहते आ रहे हैं कि अन्ना हजारे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार के विरुद्ध चल रहे इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) आंदोलन को आरएसएस का भरपूर सहयोग प्राप्‍त हो रहा था, लेकिन तब उनकी बात को हवाबाजी कहकर ख़ारिज कर दिया जाता था। पर अब प्रशांत भूषण ने भी एक इंटरव्यू में यह यह कह कर कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन आन्दोलन को पीछे से खड़ा किया था और भाजपा मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार को इसी बहाने गिराना चाहती थी, दिग्विजय सिंह के दावों की पुष्टि कर दी है।

कभी दिग्विजय सिंह के दावों को यह कहकर कांग्रेस अपने को अलग करती रही है कि ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं ,कांग्रेस का इससे कोई लेना देना नहीं है। लेकिन प्रशांत भूषण के इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि जो हमें पता था, उसकी पुष्टि आप के फाउंडिंग मेंबर ने की है। राहुल गांधी ने लिखा है कि लोकतंत्र को दबाने और कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए आईएसी आंदोलन और आप को आरएसएस-बीजेपी ने समर्थन दिया था।

गौरतलब है कि देश में 2011 और 2012 में काफी प्रचलित रहे इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन को 2014 में कांग्रेस की सरकार गिराने का जिम्मेदार माना जाता है। अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण जैसे लोग शामिल रहे थे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ये आरोप लगाते रहे हैं कि इस आंदोलन के पीछे भाजपा और संघ था। अब प्रशांत भूषण ने भी एक इंटरव्यू में ये दावा किया है। भूषण ने कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन को बीजेपी और आरएसएस का समर्थन मिला हुआ था। इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के बाद आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ था। प्रशांत भूषण ‘आप’ और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कोर सदस्य रह चुके हैं। हालांकि, उन्हें 2015 में ‘आप’ से निकाल दिया गया था।

प्रशांत भूषण ने राजदीप सरदेसाई के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि जब वो पीछे देखते हैं, तो दो बातों पर पछतावा करते हैं। पहला ये देखना कि आंदोलन को बड़े स्तर पर बीजेपी-आरएसएस का समर्थन मिला हुआ था और इसे उन्होंने ही आगे बढ़ाया था। ये उनका राजनीतिक एजेंडा था कि कांग्रेस की सरकार गिराई जाए और खुद सत्ता में आ जाए। भूषण ने कहा कि उन्हें आज आरएसएस-बीजेपी की भूमिका पर कोई संदेह नहीं है। प्रशांत भूषण ने कहा कि अन्ना हजारे को भी शायद इस बात का पता नहीं था। अरविंद को पता था। इसके बारे में मुझे बहुत कम संदेह है। दूसरा पछतावा है कि मैं अरविंद के चरित्र को जल्दी नहीं समझ पाया। मैं उसे बड़ी देर में समझा और तब तक हम एक और फ्रैंकेंस्टीन मॉन्स्टर बना चुके थे।

उस वक्त भी इस आंदोलन पर यह आरोप लगा था कि आरएसएस पीछे से इस आंदोलन को हवा दे रहा है। तब हज़ारे की टीम ने इसका ज़ोरदार विरोध किया था।प्रशांत भूषण ने यह कह कर कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने उस आन्दोलन को पीछे से खड़ा किया था और बीजेपी मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार को इसी बहाने गिराना चाहती थी, उस आरोप को नये सिरे से हवा दे दी है।

प्रशांत भूषण ने अफ़सोस व्यक्त करते हुए कहा कि मैं यह नहीं समझ पाया कि यह आन्दोलन बहुत हद तक भाजपा और आरएसएस के समर्थन से चल रहा था। इसके पीछे उनका राजनीतिक मक़सद था, वे कांग्रेस सरकार को गिरा कर ख़ुद सत्ता में आना चाहते थे।

प्रशांत भूषण का यह आरोप महत्वपूर्ण इसलिए है कि अन्ना आन्दोलन के बाद ही भाजपा सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इस आंदोलन ने देश में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व माहौल बनाने में मदद की थी और भ्रष्टाचार रोकने के लिये लोकपाल बनाने की माँग की थी। इस आंदोलन के बहाने देश में एक नए किस्म की राजनीति की बात चली थी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व माहौल बनने को नरेंद्र मोदी ने चुनाव में खूब भुनाया और लोकपाल के साथ मोदी सरकार ने क्या किया यह पूरे देश को मालूम है।

उस आन्दोलन से जुड़े कई लोग बाद में भाजपा में शामिल हो गए और राजनीतिक सत्ता हासिल कर ली। उस आन्दोलन से जुड़े जनरल वीके सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और मंत्री बने, वह इस समय भी केंद्रीय मंत्री है। इसी तरह पूर्व आईपीएस किरण बेदी इस आन्दोलन में अहम थीं, बाद में वह भाजपा में चली गईं और भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया। वह फिलहाल पुद्दुचेरी की लेफ़्टिनेंट गवर्नर हैं।

इस आंदोलन के ख़त्म होने के बाद अन्ना टीम के कई सदस्यों ने केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमीं पार्टी बनाई और दिल्ली का चुनाव लड़ा, 2013 दिसंबर में 28 सीट जीत कर सरकार बनाई। केजरीवाल ने 49 दिनों के बाद मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। प्रशांत भूषण तब आम आदमीं पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य थे। लेकिन 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय प्रशान्त और केजरीवाल में गहरे मतभेद हो गये और बाद में प्रशांत भूषण को योगेन्द्र यादव के साथ पार्टी से निकाल दिया गया था।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 16 फरवरी,  2015 को एक ट्वीट के जरिए कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कांग्रेस मुक्त भारत मुहिम का हिस्सा हैं। आप नेता पर लगाए गए अपने आरोप के पक्ष में दिग्विजय ने भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जब वह कहते थे कि अन्ना आंदोलन के पीछे संघ का हाथ है तो कोई विश्वास नहीं करता था और उन्हें पागल तक कहा गया। आखिर में उनकी ही बात सही साबित हुई और इस बार भी ऐसा ही होगा।

ट्वीट की सफाई में दिग्विजय ने टाइम्स आफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि राजनीतिक आंदोलन के रूप में आम आदमी पार्टी को ऐसे कार्यकर्ताओं ने खड़ा किया, जिन्हें आरएसएस ने आगे बढ़ाया। आज भी वे भाजपा और उसकी नीतियों की आलोचना नहीं करते। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार की बात करती है। हालांकि भ्रष्टाचार समाज, सरकार और सभी दलों के लिए एक मुद्दा है। सभी पार्टियां भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने-अपने तरीके से लड़ रही हैं। हालांकि आप केजरीवाल से पूछेंगे कि आपकी विचारधारा क्या है तो वे कहेंगे के हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं।। भ्रष्टाचार के खिलाफ कौन नहीं है?

सेक्युलरिज्म के मसले पर आप को अधिक साफगोई से सामने आने की चुनौती देते हुए दिग्विजय ने पूछा कि क्या केजरीवाल ‘हिंदू राष्ट्र’ में विश्वास रखते हैं? वह धर्मांतरण पर क्यों नहीं बोलते? क्या केजरीवाल उन सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रमों में भरोसा करते हैं, जो अल्पसंख्यकों के कल्याण के चलाए जा रहे हैं? दि‌ग्गी ने पूछा कि केजरीवाल ने दिल्‍ली के इन इलाकों का दौरा क्यों नहीं किया, जहां हाल ही में दंगे हुए थे? उन्होंने कभी भाजपा की मानसिकता पर भी सवाल नहीं उठाया। कांग्रेस महासचिव ने कहा था कि एक भी ऐसी लाइन बता ‌दीजिए, जो केजरीवाल ने धर्मांतरण के खिलाफ बोली हो या उन्होंने आरएसएस के खिलाफ वैचारिक स्तर पर कोई ‌दिशा ली हो। आप के जितने भी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ते हैं, वे भाजपा में शामिल होते हैं, कांग्रेस में नहीं आते? ऐसा क्यों? क्योंकि उनकी विचारधारा वही है।

 (जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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