हिंदू महिलाओं के संविधान प्रदत अधिकारों को खत्म करना चाहती है भाजपाः ऐपवा

ऐपवा ने कहा है कि ‘लव जिहाद’ जैसे किसी भी कानून का वह विरोध करेगी। कई भाजपा शासित राज्यों ने घोषणा की है कि वे ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाएंगे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी बिहार में ऐसे कानून की मांग की है। ऐपवा ने कहा है कि ऐसा कानून हिंदू महिलाओं की आज़ादी पर, जीवन के फैसले खुद लेने के उनके संवैधानिक अधिकार पर करारा हमला है। ऐसे कानून की अंबडकर के संविधान को मानने वाले भारत में कोई जगह नहीं है।

अभी तक देश और कई राज्यों के पुलिस तंत्र, जांच एजेंसी, और अदालतों ने कहा है कि ‘लव जिहाद’ नाम का कोई प्रकरण है ही नहीं। इसका कोई सबूत नहीं है कि मुस्लिम नौजवान हिंदू महिलाओं का प्रेम के बहाने धर्म परिवर्तन की साजिश रच रहे हैं। सच तो यह है कि भारत का युवा वर्ग, जाति और धर्म के बंधन को तोड़ कर प्रेम कर रहे हैं और यह स्वागत योग्य है, देश हित में है। भाजपा के अनुसार, हिंदू महिला किसी मुस्लिम पुरुष से प्रेम करे, तो इसे ‘लव जिहाद’ माना जाएगा और इस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कुल मिलाकर प्रेम के खिलाफ पितृसत्तात्मक हिंसा यानी ‘ऑनर क्राइम’ को कानूनी हथियार सौंपा जा रहा है।

डॉ. अंबेडकर ने मनुवादी पितृसत्ता की ताकतों का मुकाबला करते हुए, हिंदू कोड बिल पारित किया था, जिसमें हिंदू महिलाओं की बराबरी और आजादी के कई पहलू थे। दहेज और सती प्रथा के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद कानून बने। इन कानूनों को कमजोर करने और हिंदू महिलाओं के संविधान प्रदत अधिकारों को छीन लेने की भाजपाई साजिश ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून है, इसलिए आज हिंदू लड़कियों और महिलाओं को मुस्लिम युवकों से नहीं बल्कि हिंदुओं के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा से खतरा है।

ऐपवा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि किसी भी धर्म के नाम पर देश चलाने वाली ताकतें महिलाओं के अधिकारों की दुश्मन होती हैं। लव कभी जिहाद या युद्ध नहीं हो सकता। निकिता तोमर को मुस्लिम नौजवान ने स्टॉक किया और उसकी हत्या की, पर यह ‘लव जिहाद’ नहीं था क्योंकि निकिता को उस नौजवान से प्रेम यानी लव नहीं था। स्टॉकिंग और हत्या तो प्रियदर्शिनी मट्टू की संतोष सिंह ने भी की। उसी तरह बिहार की गुलनाज़ की हत्या कुछ हिंदू नौजवानों ने की। यह भी पितृसत्तात्मक हिंसा है, ‘प्रेम युद्ध’ नहीं।

किसी भी वयस्क नागरिक को अधिकार है कि वह किसी भी धर्म को अपने निजी विवेक के अनुसार अपनाए और प्यार और शादी के मामले में निर्णय खुद ले। वैसे शादी के लिए धर्म परिवर्तन अक्सर इसलिए होता है कि स्पेशल मैरेज ऐक्ट में विवाह के लिए एक महीने की नोटिस देनी पड़ती है जिसके चलते ऐसी शादियों के खिलाफ हिंसा का डर रहता है। इसी हिंसा से बचने के लिए लोग धर्म परिवर्तन करते हैं। ऐपवा की मांग है कि स्पेशल मैरेज ऐक्ट के प्रावधान को बदला जाये और एक महीने के वेटिंग पीरियड को खत्म किया जाए।

देश की महिलाओं से और युवा लोगों से ऐपवा की अपील है कि अपनी आज़ादी और स्वायत्तता बचाने के लिए उठ खड़े हों। जहां “हेट” यानी नफ़रत के खिलाफ बेहतर कानून और कार्यवाही चाहिए वहां भाजपा लव यानी प्यार के खिलाफ कानून बनाना चाहती है!भाजपा की इस साजिश को नाकाम करें।

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