दिल्ली हाईकोर्ट।

अब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-बालिग महिला अपनी मर्जी से किसी के साथ रहने के लिए आजाद

दिल्ली हाईकोर्ट ने उन दम्पतियों के लिए अहम फैसला दिया है जो अपने मनपसंद साथी के साथ और अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं या कर चुके हैं या लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि एक वयस्क महिला अपनी मर्जी से कहीं और किसी के भी साथ रहने के लिए आजाद है। उच्चतम न्यायालय अनेक फैसलों में दोहरा चुका है कि जाति, पंथ या धर्म के बावजूद एक साथी चुनने का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का एक अभिन्न अंग है।

इसी सप्ताह लव जिहाद पर चल रही बहस के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष रूप से कहा है कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, इसके बाद भी कि आपने किस धर्म को स्वीकार किया है, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में अंतर्निहित है। व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप, दो व्यक्तियों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार में एक गंभीर अतिक्रमण होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने एक ऐसे ही मामले में सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है जिसमें उसने पाया कि युवती तकरीबन 20 साल की है, और वयस्क है। ऐसी स्थिति में परिजन उस पर अपना कोई भी फैसला थोपने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं।

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि बालिग होने के कारण युवती को अधिकार है कि वह जहां चाहे और जिसके साथ चाहे, रह सकती है। खंडपीठ ने पुलिस से कहा है कि वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर जाने वाली और अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने वाली 20 साल की युवती के अभिभावकों की काउंसलिंग करें और उन्हें समझाए कि वह बेटी-दामाद को धमकाएं नहीं और ना ही कानून अपने हाथ में लें।

खंडपीठ ने कहा कि बालिग होने के कारण युवती को अधिकार है कि वह जहां चाहे और जिसके साथ चाहे, रह सकती है। खंडपीठ ने निर्देश दिया कि युवती को व्यक्ति (पति) के साथ रहने की अनुमति है। खंडपीठ ने पुलिस से उसे व्यक्ति के घर ले जाने को कहा।

खंडपीठ ने पाया कि युवती तकरीबन 20 साल की है, और वयस्क है। ऐसी स्थिति में परिजन उस पर अपना कोई भी फैसला थोपने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि युवती बालिग होने के कारण जहां चाहे, जिसके साथ चाहे रह सकती है। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि युवती को वादी संख्या 3 के साथ रहने की अनुमति है। हम पुलिस प्रशासन को निर्देश देते हैं कि वह युवती को व्यक्ति के घर छोड़कर आए। खंडपीठ ने पुलिस से कहा कि वह युवती के माता-पिता और बहन को समझाए कि वे ‘कानून अपने हाथ में ना लें और युवती या युवक को धमकी ना दें।

खंडपीठ ने कहा कि युवती और उसके पति को उनके निवास स्थान के संबंधित थाना क्षेत्र के एक अधिकारी का मोबाइल नंबर दिया जाए ताकि वे जरुरत पड़ने पर पुलिस से संपर्क कर सकें। खंडपीठ ने युवती की बहन द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

युवती के परिवार का दावा था कि वह गायब हो गई है।परिवार की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि यह बच्ची 12 सितंबर से घर से लापता है। याचिका में परिजनों ने संदेह जताया था कि उसे कोई लड़का बहला-फुसलाकर ले गया है। लेकिन इस मामले में खुद युवती ने कोर्ट के सामने पेश होकर बताया कि वह अपने परिवार और घर को छोड़कर अपनी मर्जी से आई है और फिलहाल शादी करके एक व्यक्ति के साथ रह रही है। युवती ने सेक्शन 164 के तहत अपना बयान भी दर्ज कराया है।

इसी सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार मामले के फैसले में कहा है कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। अदालत ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है ।

पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और अब दिल्ली हाईकोर्ट के इन फैसलों से लव जिहाद के मामले में नये कानून बनाने की घोषणा करने वाले यूपी सहित इन भाजपा शासित राज्यों को जोर से झटका लगा है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि किसी भी बालिग को अपना जीवन साथी चुनने का हक है, भले ही वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। मंगलवार को यूपी सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020′ को मंजूरी दे दी। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब लव जिहाद अपराध होगा। कानून के तहत 10 साल तक की सजा दी जा सकती है।

उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी है। 20 नवंबर को राज्य की होम मिनिस्ट्री ने न्याय व विधि विभाग को इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा था। प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसे मामलों में गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा। यूपी के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी इस मसले पर कानून बनाने की तैयारी चल रही है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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