केंद्र कृषि कानून वापस लेने के मूड में नहीं, किसान फैसला होने तक डटे रहने पर अडिग

मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़ शुरू हुए किसानों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और फिर दिल्ली घेराव के बाद सरकार को मजबूरन बातचीत के लिए झुकना तो पड़ा, किंतु अब तक इस बातचीत से कोई हल या समाधान नहीं निकला है। यही वजह है कि किसानों का आंदोलन अब भी जारी है और वे दिल्ली को तीनों ओर से घेर कर बैठे हैं। मंगलवार, एक दिसंबर की वार्ता भी बेनतीजा ही रही। सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत का अगला दौर गुरुवार, 3 दिसंबर को शुरू होगा।

इस बैठक में दिल्ली सीमा को घेर कर बैठे हुए 35 किसान यूनियनों के प्रतिनिधिओं के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बात की।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वार्ता के बाद कृषि मंत्री तोमर ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकेत से विज्ञान भवन में बात की। कृषि मंत्री ने कहा, भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत यहां आए और उनसे कृषि कानून और किसानों की जरूरत पर बात हुई और हमने उनसे कहा कि अपनी मांगों और आपत्तियों को आप लिख कर दें।

1 दिसंबर की वार्ता में सरकार की ओर से किसानों से अपनी आपत्तियों को लिख कर आज देने को कहा गया था। मंगलवार की बैठक के बाद किसानों ने साफ शब्दों में कह दिया था कि तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक ये तीनों कानून सरकार वापस नहीं ले लेती या उन्हें स्थगित नहीं करती। दूसरी ओर मोदी सरकार ने भी कह दिया है कि वह किसी भी हाल में ये कानून वापस नहीं लेगी। ऐसे में यह गतिरोध कब तक चलेगा यह आने वाला समय ही बताएगा।

1 दिसंबर की बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन (पंजाब) के जनरल सेक्रेटरी जगमोहन सिंह ने कहा, “हमने सरकार से कहा कि इन कानूनों में बहुत से ऐसे प्रावधान हैं जो कि किसानों के खिलाफ़ हैं। इस पर सरकार ने कमेटी बनाने की बात कही, लेकिन यह कमेटी/कमीशन की प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि कभी खत्म नहीं होती और हमने सरकार के इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया। कमेटी बनाने के प्रस्ताव पर अखिल भारतीय किसान सभा के पंजाब के महासचिव मेजर सिंह पूनावाल ने कहा कि कमेटी बनाने का मतलब, मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहती है सरकार।

सरकार ने कहा कि आप अपनी शिकायतों को लिख कर दें, जिसके जवाब में हमने कहा कि सब कुछ पहले ही लिख कर दिया है हमने। कृषि मंत्री ने कहा, आप अपनी विशेष आपत्तियों को लिख कर हमें दें, उन पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि 3 दिसंबर की वार्ता के बाद कोई न कोई समाधान निकल आएगा और नहीं निकलता तो आगे और वार्ता होगी।

जगमोहन सिंह ने कहा, “हमने सरकार से साफ़ कह दिया कि कृषि, किसानों की रीढ़ की हड्डी है और जब तक हमारी शिकायतों का कोई हल नहीं निकलता हम बातचीत तो करेंगे किंतु हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”

जनसत्ता की रिपोर्ट के मताबिक, जम्मुरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार पहले सिर्फ पंजाब के किसान यूनियनों से बात करना चाहती थी, पर हमने कहा कि यह देशव्यापी आंदोलन है और सभी प्रतिनिधियों से बात करनी होगी।

किसानों का मुख्य मुद्दा एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य है। सरकार इस मुद्दे पर शायद कोई हल निकालने पर विचार करे, किन्तु वह इन कानूनों को वापस लेने के मूड में नहीं है।

(पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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