वार्ता में पहुंचे किसान।

किसान अपनी मांगों पर अडिग! दूसरा दौर भी रहा बेनतीजा, 5 दिसंबर को फिर वार्ता

आज दोपहर 12 बजे से शुरू हुई 40 किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच 8 घंटे तक चली वार्ता का भी कोई नतीजा नहीं निकला। किसान अपनी मांगों पर अडिग रहे। जबकि सरकार का रवैया बिल्कुल ढुलमुल भरा रहा। पूरी बैठक के दौरान कम से कम एक बात जरूर दिखी कि सरकार बेहद दबाव में है। और वह मामले की गंभीरता को समझ रही है। लेकिन उसके साथ ही यह भी दिख रहा था कि वह अपना कदम पीछे खींचने के लिए तैयार नहीं है। इसी कशमकश और इस सहमति के साथ वार्ता खत्म हुई कि शनिवार 5 दिसंबर को दोनों पक्ष एक बार फिर बैठेंगे।

आज़ाद किसान संघर्ष समिति के हरजिंदर सिंह टांडा ने बैठक से निकलने के बाद मीडिया को बताया कि  “वार्ता ने बहुत कम प्रगति की है। हाफ टाइम में ऐसा लग रहा था कि आज की मीटिंग का कोई नतीजा नहीं निकलेगा, दूसरे हाफ में ऐसा लगा कि किसान आंदोलन का दबाव है। वार्ता अनुकूल माहौल में हुई।”

सिरसा किसान नेता बलदेव सिंह ने मीडिया को बताया कि “हमने सरकार के समक्ष सभी कमियां सूचीबद्ध कीं, उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि कमियां हैं और वे संशोधन करेंगे। हमने कहा कि हम संशोधन नहीं चाहते हैं लेकिन कानूनों को वापस लेना चाहते हैं। हमने यह भी मांग की है कि MSP को निश्चित और कानून के लिए लागू किया जाना चाहिए।”

 वहीं बैठक खत्‍म होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया में सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि बातचीत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई। किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है। दो-तीन बिंदुओं पर किसानों की चिंता थी, हम हर मुद्दे पर खुले मन से बात कर रहे हैं, हमारा कोई अहम नहीं है। APMS को सशक्‍त बनाने पर विचार हुआ। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) के बारे में किसानों की चिंता है। यह पहले भी जारी था, जारी है और आगे भी रहेगा। मंडी के बाहर ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करेंगे। परसों यानी 5 दिसंबर को दोपहर को दोनों पक्षों की फिर बातचीत होगी और उम्‍मीद है कि हम किसी सर्वसम्‍मत समाधान पर पहुंचेंगे।

पूरी बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दो बार गृहमंत्री अमित शाह को फोन कर बैठक की जानकारी साझा की थी।

बता दें कि बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के अलावा पीयूष गोयल और सोम प्रकाश भी इस बैठक में सरकार की ओर से मौजूद थे। वहीं किसानों की ओर से बैठक के बाद मीडिया में कहा गया है कि हम एमएसपी पर कानून चाहते हैं। सरकार विशेष सत्र बुलाकर तीनों कृषि कानून रद्द करे। जबकि किसान संगठनों के नेता 8 घंटे की मैराथन बैठक में सरकार द्वारा की गयी खाने और चाय की पेशकश को नकार दिया।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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