जन नायक त्रिदिब घोष को दी गई अंतिम विदाई

विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के केंद्रीय संयोजक कॉ. त्रिदिब घोष का अंतिम संस्कार उनके पुत्र टुकून घोष द्वारा किया गया। अंतिम संस्कार रांची के हरमू मुक्ति धाम में दिन के 12:30 बजे किया गया। विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के झारखंड इकाई के संयोजक कॉ. दामोदर तुरी ने बताया कि अंतिम संस्कार में त्रिदिब दा के परिवार के सदस्यों एवं विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इसमें प्रमुख रूप से लोक जनवादी मंच के अरुण ज्योति, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन के अशोक राम, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के दामोदर तुरी आदि शामिल थे। दामोदर तुरी ने बताया कि त्रिदिब घोष, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक नेता थे। जन संगठनों के निर्माण एवं कुशल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। ऐसे में उनका जाना हमारे लिए अपूर्णीय क्षति है। इनकी कमी हमेशा खलेगी। विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन, झारखंड इकाई और अन्य जन संगठनों, सामाजिक संगठनों, मजदूर संगठनों, मानवाधिकार संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में 19 दिसंबर, 2020 को रांची में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।

त्रिदिब घोष की कल 15 दिसंबर को 82 साल की उम्र में कोरोना संक्रमण से रांची के राम प्यारी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। उन्होंने जर्मनी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। जब 15 नवंबर, 2000 को झारखंड अलग राज्य बना और झारखंड सरकार जल, जंगल, जमीन और समस्त प्राकृतिक संपदाओं को पूंजीपतियों के हाथों बेचने के लिए समझौता पत्र ( एमओयू) पर हस्ताक्षर करने लगी और धरातल पर लागू करने के लिए पोटा जैसे जन विरोधी काला कानून लाया गया, तो कामरेड त्रिदिब घोष और अन्य सदस्यों की मदद से झारखंड विस्थापन विरोधी समन्वय समिति नामक संगठन बना कर विरोध किया गया था।

22-23 मार्च, 2007 में विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन का स्थापना सम्मलेन पटेल भवन, लालपुर, रांची में अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित किया गया था। इस मोर्चा को बनाने में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन का दूसरा केंद्रीय सम्मलेन हैदराबाद में 9-10 फरवरी 2016 को आयोजित किया गया था, इस में त्रिदिब घोष को केंद्रीय संयोजक बनाया गया था और वह इसी रूप में कार्य कर रहे थे।

‘ऑपरेशन ग्रीन हंट विरोधी नागरिक मंच’ के भी वे संयोजक थे। 2017 में महान नक्सलबाड़ी सशस्त्र किसान विद्रोह की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर झारखंड में बने ‘महान नक्सलबाड़ी सशस्त्र किसान विद्रोह की अर्द्धशताब्दी समारोह समिति के संयोजक की भूमिका भी उन्होंने बखूबी निभाई थी। 2017 में ही झारखंड में बने ‘महान बोल्शेविक क्रांति की शताब्दी समारोह समिति के भी संयोजक मंडली में ये शामिल थे और इनके नेतृत्व में झारखंड के 16 जिले में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। झारखंड में लोक स्वतंत्र संगठन (पीयूसीएल) का निर्माण करने में भी भूमिका निभाई थी।

(झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की रिपोर्ट।)

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