तन्मय के तीर

(दोस्तों, कार्टून का पत्रकारिता के साथ चोली दामन का रिश्ता रहा है। और एक दौर में यह अखबारों का अभिन्न हिस्सा हुआ करता था। सुबह हाथ में अखबार आने पर पाठकों की सबसे पहली निगाह मुख्य पृष्ठ पर नीचे बाएं साइड के कोने पर पड़ती थी। लेकिन मीडिया जैसे-जैसे सरकार की गोदी में गया व्यंग्य की यह विधा भी उससे दूर होती गयी। लेकिन इसकी मारक क्षमता आज भी बरकरार है। लिहाजा ‘जनचौक’ ने भी अब इस दिशा में सोचना शुरू किया है। और उसी सिलसिले में चर्चित कार्टूनिस्ट और लेखक तन्मय त्यागी से बात हुई और उन्होंने सहर्ष इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। लिहाजा अब से समसामयिक विषयों पर आपको भी तन्मय के कार्टून मिलते रहेंगे। इसके लिए अलग से एक कॉलम बनाया गया है जिसका शीर्षक है ‘तन्मय के तीर’-संपादक)

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