यूरोपीय देशों में निलंबित कोविशील्ड के टीके के बाद भारत में हो चुकी हैं दर्जनों मौतें

कोविशील्ड वैक्सीन के टीकाकरण के बाद कुछ लोगों में खून का थक्का जमने की ख़बरों के बाद डेनमार्क, नार्वे और आइसलैंड के स्वास्थ्य प्राधिकरणों ने एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को निलंबित कर दिया है। इससे पहले ऑस्ट्रिया ने एस्ट्राजेनेका के एक बैच के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। बता दें कि डेनमार्क में कोविशील्ड टीका लगने के बाद 60 वर्षीय महिला के खून में थक्का जमने से उसकी मौत हो गई। उसे उसी बैच का टीका लगा था, जिसका प्रयोग ऑस्ट्रिया में हो रहा था।

मामला सामने आने के बाद डेनमार्क ने दो हफ्ते के लिए टीके का इस्तेमाल को रोक दिया है। नार्वे और आइसलैंड ने भी इसी तरह का कदम उठाया है। वहीं इटली में भी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का एक बैच निलंबित किये जाने की सूचना है। इस बीच, यूरोपीय यूनियन के दवा नियामक यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) का कहना है कि वैक्सीन के फायदे इससे होने वाले ख़तरों की तुलना में बहुत ज्यादा हैं और इसका प्रयोग जारी रखा जा सकता है।

वहीं यूरोपीय यूनियन दवा नियामक का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद खून का थक्का जमने वालों का अनुपात लगभग वही है, जितना कि आम आबादी में होता है। टीका लगवाने वाले 30 लाख लोगों में से 22 में थक्का जमने की बात सामने आई है। ईएमए ने कहा कि डेनमार्क और नार्वे ने सतर्कता के तौर पर टीके को निलंबित करने का फैसला लिया है।

जाहिर है खून का थक्का जमने और हर्ट अटैक का आपस में प्रत्यक्ष संबंध है। गौरतलब है कि भारत में कोविशील्ड टीके लगाये जाने के बाद हुई तमाम मौतों का कारण पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में हर्ट अटैक ही बताया गया है। वहीं कोविशील्ड टीके से हुई तमाम मौतों के मामले में एक समानता और इत्तफाक यह है कि सभी को टीके लगाए गए थे। और टीका लगाए जाने के बाद उनके सीने में दर्द उठा और बाद में सभी हृदयाघात के शिकार हो गए। 

गोरखपुर निवासी व ऋषिकेश एम्स में मेडिकल ट्रेनी

24 वर्षीय डॉ. नीरज सिंह की 14 फरवरी को मौत हो गई थी। उन्हें तीन फरवरी को कोविशील्ड का टीका लगाया गया था। 

इससे पहले 22 जनवरी को गुड़गांव की राजवंती (58 वर्ष) नामक स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो गई थी। राजवंती को 16 जनवरी को कोविशील्ड वैक्सीन दी गई थी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भांगरौला में कार्यरत थी। 

लाल सिंह का आरोप है कि उनकी संगिनी राजवंती को 16 जनवरी को पीएचसी भांगरौला में कोविड 19 की वैक्सीन दी गई थी, जिस कारण से उसकी मौत हुई है। दूसरी ओर मृतका के भतीजे दीपक ने बताया कि उनकी बुआ राजवंती को ब्लड प्रेशर, कार्डिक, शुगर आदि जैसी कोई दिक्कत नहीं थी। 2-3 साल पहले घुटनों में दर्द होता था, इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर विटामिन की गोली लेती रहती थीं। रेगुलर चेकअप होता रहता था। 

 कर्नाटक के शिवमोगा जिले में जेपी हॉस्पिटल के मालिक व 59 वर्षीय ऑर्थोपेडिक सर्जन की 20 जनवरी, 2021 को मौत हो गई थी। ठीक दो दिन पहले उन्हें कोविशील्ड टीका लगाया गया था।  मृत्यु की वजह को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि संबंधित चिकित्सक की मृत्यु माईकार्डियल इनफ्रैक्शन (एमआई) की वजह से हुई है। चिकित्सकीय टर्म एमआई को आम प्रचलित रूप में हार्ट अटैक कहा जाता है।  

इससे पहले आंध्र प्रदेश के निर्मल जिले में, कर्नाटक के ही बेल्लारी जिले और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में ऐसी मौतें हुई हैं। तेलंगाना के निर्मल जिले में 20 जनवरी, 2021 को 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत हुई थी जबकि 19 जनवरी की सुबह उसे कोविशील्ड का वैक्सीन दिया गया था। वो प्राइमरी हेल्थ सेंटर में एंबुलेंस ड्राइवर था। 

निर्मल जिले के स्वास्थ्य अधिकारी चेरुपल्ली धनराज के मुताबिक एंबुलेंस ड्राइवर को 19 जनवरी, 2020 को 11:30 बजे सुबह टीका लगाया गया था। उसे किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई थी और न ही उसने अपनी ड्यूटी छोड़ी थी। वह शाम को 5 बजे घर गया लेकिन आधी रात के बाद 2.30 बजे उसे सीने में दर्द महसूस हुआ और वह जिला अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि, अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित घर दिया गया। उसे स्पष्ट तौर पर हृदयाघात, जिसे मेडिकल भाषा में मायोकैरडियल इंफ्रैक्शन (एमआई) के लक्षण थे और उसकी मृत्यु के टीके से कोई संबंध नहीं है। बातचीत के दौरान तक पोस्ट मार्टम रिपोर्ट नहीं आई थी, हालांकि चिकित्सकों का जोर था कि यह मौत एमआई के कारण हुई है। वहीं, तेलंगाना जैसा मामला उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के बेल्लारी में भी हुआ। 

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग के 43 वर्षीय कर्मचारी को भी टीकाकरण के बाद सीने में दर्द हुआ और बाद में वह हृदयाघात का शिकार हो गया।

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने 19 जनवरी, 2020 को जारी अपने बयान में कहा कि 16 जनवरी, 2020 को कर्मचारी को दोपहर एक बजे टीका लगाया गया था। 20 जनवरी, 2020 को सुबह 09:30 सुबह बजे हृदयाघात का शिकार हो गया। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां सुबह 11:15 बजे उसकी मृत्यु हो गई। वहीं, विभाग ने कहा कि उच्च स्तरीय उपचार उसे मुहैया कराया गया लेकिन इसके बावजूद उसकी जिंदगी बचाई नहीं जा सकी।

कर्नाटक के बेल्लारी जिला स्तरीय एईएफआई टीम ने बिना पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के अपनी रिपोर्ट में कहा कि मृत्यु का कारण मायोक्रैडियल इंफ्रैरक्शन था। संबंधित व्यक्ति को भी कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थी। 

वहीं यूपी के मुरादाबाद जिले में 52 वर्षीय वृद्ध और जिला अस्पताल में वार्ड ब्वॉय की मौत को पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से हार्ट अटैक और कार्डियोपल्मनरी डिजीज की वजह बताई गई है। संबंधित व्यक्ति की मृत्यु 17 जनवरी को हुई थी और एक दिन पहले उसे कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थी।  

वहीं 26 जनवरी को ओडिशा के नौपाड़ा जिला मुख्यालय अस्पताल में नानिकाराम कींट की मौत कोविशील्ड वैक्सीन लगाने के तीन दिन बाद हो गई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि उनकी मौत का टीकाकरण से कोई संबंध नहीं है। ओडिशा स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि टीकाकरण का मौत से कोई संबंध नहीं है। 

ओड़िशा स्वास्थ्य विभाग के बयान के मुताबिक नौपाड़ा जिले के एक 27 वर्षीय पुरुष की बुरला के वीआईएमएसएआर में गंभीर एनीमिया और इंट्रासेरेब्रल रक्तस्राव (जानलेवा आघात का एक प्रकार जो मस्तिष्क के ऊतकों के भीतर रक्तस्त्राव से होता है) के कारण रक्तस्राव विकार से मृत्यु हो गई।

26 फरवरी के सरकार के बयान के मुताबिक  COVID-19 टीकाकरण के बाद 46 लोगों की मौत हुई है। जबकि 51 लोग अस्पताल में भर्ती किये गये थे। ये स्वास्थ्य सेवा और अन्य फ्रंटलाइन कार्यकर्ता थे। इसके बाद, सरकार ने COVID-19 टीकाकरण के बाद लोगों की गंभीर AEFI (मौतों या अस्पताल में भर्ती) की रिपोर्ट नहीं दिया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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