किसान आंदोलन में हुई शादी, अग्नि की जगह अंबेडकर और सावित्री को साक्षी मान लिए गये फेरे

अभी तक किसान आंदोलन स्थलों से किसानों की मौत और मैय्यत उठने की ख़बरें आती थीं। लेकिन पहली बार किसान आंदोलन स्थल से शादी के फेरों और डोली उठने की ख़बर आ रही है। इस एक शादी के बाद महीनों से धरने पर बैठे किसानों ने तय किया है कि वो घर परिवार के सारे मांगलिक काज आंदोलन स्थल से ही पूरे करेंगे।

इस कड़ी में 18 मार्च को मध्य प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामजीत सिंह के बेटे सचिन सिंह और छिरहटा निवासी विष्णुकांत सिंह की बेटी आसमा की शादी वैवाहिक गीतों और क्रांतिकारी नारों की जुगलबंदी के बीच संपन्न हुई। इस शादी समारोह में कोई सजावट नहीं की गई थी और ना ही बैंड-बाजा था। इस जोड़े ने अग्नि की जगह संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सावित्रीबाई फुले को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। शादी बौद्ध धर्म के अनुसार हुई। इतना ही नहीं शादी के बाद वर-वधू ने संविधान की शपथ भी ली। शादी समारोह बहुत सादा रखा गया और विवाह की सारी रस्में धरना स्थल पर ही पूरी हुईं। इस दौरान रामजीत सिंह के बेटे सचिन की शादी छिरहटा के रहने वाले विष्णुकांत सिंह की बेटी आसमा सिंह के साथ हुई है। सचिन और आसमा की शादी के दौरान दोंनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संविधान की शपथ भी ली और तीन कृषि कानूनों का विरोध भी किया।

गौरतलब है कि ये उन किसानों के बेटे-बेटी की शादी थी, जो रीवा की करहिया मंडी में 75 दिन से धरने पर बैठे हैं। सभी किसानों ने मिलकर बेटी को शगुन दिया। शगुन की इस राशि से आंदोलन को आगे जारी रखा जाएगा। इस मौके पर किसानों ने कहा कि कृषि कानून वापस लेने तक सभी यहीं डटे रहेंगे और पारिवारिक कार्यक्रम भी यहीं करेंगे।

जानकारी के मुताबिक, यह शादी पहले ही तय थी लेकिन दोनों परिवार किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते नहीं हो पाया। बता दें कि रीवा की करहिया मंडी में 75 दिन से किसान धरना दे रहे हैं।

किसान नेता और दूल्हे के पिता रामजीत ने मीडिया को बताया कि प्रदर्शन की जिम्मेदारी की वजह से वह शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे। यह बात बेटे सचिन और होने वाली बहू आसमा को पता थी। दोनों ने धरनास्थल पर शादी का सुझाव दिया। यह बात हमने अन्य किसानों से बताई। सबकी एकमत राय थी कि इससे एक अच्छा संदेश जाएगा।

समधी किसान रामजीत और किसान विष्णुकांत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस शादी में दूल्हा-दुल्हन को जो उपहार दिए गए हैं, वो आंदोलन में ही इस्तेमाल किए जाएंगे। इस शादी से किसान एक संदेश देना चाहते थे कि किसान झुकने वाले नहीं हैं इसलिए यहां शादी तय की गई। दूसरा संदेश जो किसान देना चाहते थे वो ये कि लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से पीछे नहीं हैं, इसलिए दूल्हे की जगह यहां दुल्हन बारात लेकर आई। रामजीत सिंह ने कहा कि इस शादी के फैसले से हमने सरकार को साफ कर दिया है कि हम किसी भी कीमत पर धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।

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