झारखण्ड समेत 14 राज्यों में ‘अगेंस्ट द वेरी आइडिया ऑफ़ जस्टिस : यू.ए.पी.ए. एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़’ पुस्तिका का विमोचन

रांची। मूवमेंट अगेंस्ट यूएपीए एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़ (एमयूआरएल) –राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्थाओं का साझा मंच के तहत झारखण्ड में पुस्तिका ‘अगेंस्ट द वेरी आइडिया ऑफ़ जस्टिस: यू.ए.पी.ए एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़’ का विमोचन हुआ। अधिवक्ता अंसार इन्दौरी और सादिक कुरैशी (एम.यू.आर.एल. राष्ट्रीय संयोजक) ने यह मीटिंग ऑनलाइन माध्यम से रखी। दामोदर तुरी (एम.यू.आर.एल. राज्य प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर) ने पुस्तिका का विमोचन किया।

पुस्तिका में यू.ए.पी.ए और देश की अन्य दमनकारी कानूनों का जिक्र किया गया है जो साधारण जनता को उत्पीड़ित करने के लिए सरकार द्वारा इस्तेमाल की जा रही है। स्वतंत्र पत्रकार रुपेश सिंह जो खुद भी यू.ए.पी.ए. केस से लड़ रहे हैं ने अपने जेल में बंद रहने के दौरान यह अनुभव किया है कि उपलब्ध आंकड़ों से कहीं ज़्यादा संख्या में लोग जेल में बंद हैं।

अधिवक्ता रोहित (ह्युमन राइट्स लॉ नेटवर्क) जो बोकारो क्षेत्र में कार्यरत हैं ने बताया की झारखण्ड में नाबालिग युवाओं और छात्र –छात्राओं पर भी यू.ए.पी.ए लगाया जा रहा है। अधिवक्ता श्याम ने भी अनेक ऐसे केसों को जाहिर किया जो किसानों–चरवाहों पर मनगढ़ंत रूप से थोपे गए हैं। अधिवक्ता सोनल (ह्युमन राइट्स लॉ नेटवर्क) के अनुसार ऐसे केसेस में सजा सिर्फ 2% प्रतिशत केसेस में मिली हैं जो साबित करता है कि इन कानूनों का इस्तेमाल सिर्फ लोगों को उत्पीड़ित करने के लिए बनाया गया है।

रिषित नियोगी, सामाजिक कार्यकर्त्ता और शोधकर्ता ने मीटिंग में बताया किस तरह सरकार पूंजीवादी विकास को बढ़ावा देने के लिए उसके विरोध को आतंकवाद के नाम पर कुचल रही है। बच्चा सिंह, मजदूर नेता को भी इस कानून के तहत जेल में क़ैद किया गया था। उन्होंने मीटिंग में आह्वान किया की यू.ए.पी.ए. और अन्य दमनकारी कानूनों को जनवादी आन्दोलन खड़ा कर के चुनौती दिया जाए।

अधिवक्ता शिव कुमार जो कई साल झारखण्ड में रहे और अनेक ऐसे केसेस में राहत दिलाने का काम किया ने विभिन्न सामाजिक राजनीतिक संगठनों को एकजुट हो कर मुकाबला करने की बात रखी। उन्होंने यह समझा है की झारखण्ड राज्य के गठन के बाद से ऐसे दमन का सिलसिला काफी बढ़ गया है।

झारखण्ड जनाधिकार महासभा से अलोका कुजूर ने पुस्तिका का स्वागत किया और बताया की आज के दौर में फादर स्टेन जैसे सम्मानित व्यक्तित्व की गिरफ़्तारी ऐसे कानूनों की असलियत बयां करता है। उनके अनुसार झारखण्ड के कई गाँवों में सी.आर.पी.एफ़. कैम्प बनाने को लेकर जो ग्रामीणों का विरोध है उसे भी इन्ही कानूनों के इस्तेमाल से दबाया जा रहा है। मीटिंग का समापन राज्य प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, राष्ट्रीय संयोजक और अधिवक्ता अंसार इन्दौरी ने किया।

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