सोशल मीडिया में जहां रोज स्त्रियों को ट्रोल किया जा रहा है, वहीं स्त्रियों ने अपनी आवाज़ खुद बुलंद करनी शुरू कर दी है और इसके लिए अपना डिजिटल प्लेटफार्म बनाया है। इन स्त्रियों ने कई डिजिटल प्लेटफार्म बनाकर अपनी अस्मिता को स्थापित किया है और पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष किया है। “स्त्री दर्पण” भी एक ऐसा ही मंच है जिसने इतिहास के भूली बिसरी लेखिकाओं के अलावा वर्तमान की प्रतिष्ठित लेखिकाओं को भी याद किया है। आज से करीब 112 साल पहले मोतीलाल नेहरू परिवार की विदुषी लेखिका रामेश्वरी नेहरू ने “स्त्री दर्पण” नामक पत्रिका निकालकर स्त्रियों की आवाज़ बुलंद की थी। आज हिंदी की लेखिकाओं ने “स्त्री दर्पण” डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये साहित्य में स्त्रियों की रचनाओं के प्रचार प्रसार का आन्दोलन शुरू किया है। इससे ममता कालिया, मृदुला गर्ग, रोहिणी अग्रवाल, सुधा अरोड़ा, मैत्रेयी पुष्पा, सविता सिंह, सुधा सिंह, अल्पना मिश्र, वन्दना राग समेत अनेक लेखिकाएं जुड़ी हैं।
आपने शायद देखा होगा कि कोरोना काल में “स्त्री दर्पण” ने हिंदी की भूली बिसरी लेखिकाओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर याद करने और उनके जन्मदिन पर सेमिनार करने का एक साल तक अनोखा अभियान चलाया।
ऐसा अभियान हिंदी की दुनिया मे पहले कभी नहीं चलाया गया। इसके तहत पिछले एक साल में करीब 100 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये गए जिनमें करींब 35 श्रेष्ठ लेखिकाओं के जन्मदिन समारोह पर कार्यक्रम आयोजित हुए। इनमें 1909 में निकली पत्रिका स्त्री दर्पण की संपादक एवं मोतीलाल नेहरू के परिवार की रामेश्वरी नेहरू, उमा नेहरू, कस्तूरबा गांधी, प्रेमचंद की पत्नी एवम प्रसिद्ध लेखिका शिवरानी देवी, हिंदी की पहली महिला कथाकार राजबाला घोष , पद्मविभूषण एवं ज्ञानपीठ से सम्मनित छायावाद की स्तम्भ महादेवी वर्मा से लेकर 300 कहानियां लिखने वाली चन्द्रकिरण सोनरेक्सा, उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती, निर्मला जैन, मन्नू भंडारी, गिरीश रस्तोगी, मेहरुन्निसा परवेज, मृदुला गर्ग, ममता कालिया, सुधा अरोड़ा, रोहिणी अग्रवाल, मधु कांकरिया और अलका सरावगी तथा अनामिका जैसी लेखिकाएं शामिल हैं।
फेसबुक पर गत वर्ष महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर स्थापित ‘स्त्री दर्पण’ नामक इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का एक साल 11 सितम्बर को पूरा हो रहा है। इस अवसर पर “परिन्दे” पत्रिका के 21वीं सदी की 25 युवा कवयित्रियों की कविताओं के विशेषांक का लोकार्पण हो जा रहे हैं। समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात कवि आलोचक अशोक वाजपेयी कर रहे हैं जबकि मुख्य अतिथि हिंदी अकादमी की पूर्व उपाध्यक्ष तथा जानी-मानी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा हैं।
समारोह में राजधानी की आठ कवयित्रियों का कविता पाठ भी होगा। इनकी कविताये परिंदे के अंक में छपी है। “स्त्री दर्पण डिजिटल प्लेटफार्म” ने कस्तूरबा गांधी इस्मत चुगताई महाश्वेता देवी, परवीन शाकिर, अमृता प्रीतम, ऊषा गांगुली जैसी हस्तियों पर भी जन्मदिन समारोह आयोजित कर उन पर व्याख्यान आलेख वीडियो आदि पोस्ट किए जिससे हजारों लोगों ने देखा और टिप्पणियां की।
इनमें कई लेखिकाओं के जन्मदिन पर पहली बार हिंदी साहित्य में कार्यक्रम हुए। राजधानी में राजेंद्र यादव का जन्मदिन हर साल मनाया जाता था लेकिन उनकी पत्नी और प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी पर कोई आयोजन नहीं होता रहा। रामेश्वरी नेहरू, उमा नेहरू, राजबाला घोष, शिवरानी देवी, चन्द्र किरण सोनरेक्सा आदि पर भी कभी कोई आयोजन हिंदी समाज में नहीं होता रहा है।
इस प्रयोग को सफल बनाने से पहले मैला आंचल डिजिटल ग्रुप बनाकर पिछले साल प्रख्यात लेखक और “तीसरी कसम” के कहानीकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्मशती पर 60 लेक्चर आयोजित किए थे और इस ग्रुप पर 100 से अधिक लेख फोटो दुर्लभ सामग्री पोस्ट की गई थी जिसे एक साल में कम से कम 5 लाख लोगों ने देखा था।
गौरतलब है कि रेणु की जन्मशती में 16 पत्रिकाओं ने उन पर विशेषांक निकाले और 500 से अधिक लोगों ने उन पर लेख लिखे। स्त्री दर्पण के डिजिटल साहित्य जागरूकता अभियान में हिंदी के प्रख्यात कवि रघुवीर सहाय, केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण, विष्णु खरे, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी जैसे कवियों की स्त्री पर लिखी कविताओं के भी पाठ आयोजित किये गए। इसके अलावा 24 अफ्रीकी कवयित्रियों की कविताओं और 25 युवा कवयित्रियों पर भी पाठ आयोजित किए गए। स्त्री दर्पण अब विश्व की जानी मानी कवयित्रियों की कविताओं के पाठ आयोजित कर रहा है तथा बंगला की कवयित्रियों के अनुवाद की भी श्रृंखला चला रहा है जिससे काफी लोगों ने पसंद किया है।
स्त्री दर्पण सुभद्रा कुमारी चौहान आशापूर्णा देवी, शिवानी, कुर्तुलेन हैदर आदि पर भी कार्यक्रम करेगा। आपको बता दूं डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए पहली बार रेणु और महादेवी पर मोबाइल के जरिये ऑडियो नाटक भी तैयार किया जो आज तक देश में नहीं हुआ।
यह सब टीम भावना से हुआ। करीब दस लोग इस टीम में शामिल हैं कभी वे पोस्टर बनाते हैं। कभी वीडियो कभी रचना पाठ कभी लेख कभी बातचीत कभी इंटरव्यू करते हैं। इसमें सभी महिलाएं हैं। युवा लोग हैं। साहित्य में गहरी रुचि रखने वाली। यह किसी व्यक्ति विशेष का मंच नहीं। यह एक स्त्रियों का एक सामूहिक मंच है।
(विमल कुमार वरिष्ठ पत्रकार और कवि हैं। आजकल दिल्ली में रहते हैं।)
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