छत्तीसगढ़ में सरकार से नाराज आदिवासियों ने महाबंद कर नेशनल हाईवे किया जाम

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बस्तर। सोमवार को सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर बस्तर के जिला मुख्यालय बन्द रहे। नेशनल हाईवे 30 पर जिले के मचांदुर से लेकर माकड़ी तक जगह-जगह आदिवासियों ने चक्कजाम कर दिया। बीजापुर जिले में भी आदिवासियों ने दुकानें बंद करा कर प्रदर्शन किया, कोंडागांव जिले में भी आदिवासियों ने चक्क जाम कर प्रदर्शन किया, इधर बालोद जिले में भी आदिवासियों का प्रदर्शन हुआ। कांकेर के भानुप्रतापपुर के कच्चे में दुर्गुकोंदल, कोयलीबेड़ा अन्तागढ़ में भी आदिवासियों ने स्टेट हाईवे जाम कर रखा था।

सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा कि हमारे समाज के 30 आदिवासी विधायक होने के बावजूद हमें सड़क की लड़ाई लड़नी पड़ रही है इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है। अगर 30 आदिवासी विधायक चाहते तो छत्तीसगढ़ में पंजाब की तरह मुख्यमंत्री बदल देते और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री आदिवासी होता।

इस दौरान छत्तीसगढ़ के सभी जिलों और ब्लॉकों में प्रदर्शन किया गया। अपनी प्रमुख मांगों में एडेसमेटा, सारकेगुड़ा सहित विभिन्न मुद्दों में कार्यवाही को लेकर आदिवासियों ने बन्द बुलाया। जिले के अन्य इलाकों में भी दो और चार पहिए वाले वाहनों के पहिए थमे रहे।

बता दें कि सुकमा के सिलगेर के मृतकों के परिजनों को 50 लाख और घायलों को 5 लाख और परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दी जाए। आदिवासी इसकी मांग कर रहे हैं।

बस्तर संभाग की नक्सल समस्या के स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों से समन्वय स्थापित कर स्थाई समाधान और राज्य सरकार द्वारा शीघ्र पहल की मांग की जा रही है।

पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जब तक माननीय उच्च न्यायालय का स्थगन समाप्त नहीं हो जाता तब तक किसी भी हालत में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदोन्नत रिक्त पदों को नहीं भरे जाने की मांग भी शामिल है।

शासकीय नौकरी में बैकलॉग और नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए। इसके अलाव पांचवी अनुसूची क्षेत्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में मूलनिवासियों की शत-प्रतिशत आरक्षण लागू किए जाने की मांग है।

संभाग एवं जिलास्तर पर भर्ती करायी जाए। प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाया जाए। गांव की सामुदायिक गौण खनिज का उत्खन्न एवं निकासी का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए।

ग्राम सभा द्वारा स्थानीय आदिवासी समिति के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को खनिज पट्टा दिया जाए। फर्जी जाति मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि में सुधार कर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण- पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर दंडात्मक कार्रवाई किया जाए। छात्रवृत्ति योजना में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आय की 2.50 लाख की पात्रता सीमा समाप्त किया जाए।

आदिवासी समाज की लड़कियों से अन्य गैर आदिवासी व्यक्ति से शादी होने पर उक्त महिला को जनजाति समुदाय के नाम से जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर जनप्रतिधिनित्व, शासकीय सेवा तथा जनजाति समुदाय की जमीन खरीदी पर रोक लगाने के लिए संबंधित अधिनियमों में आवश्यक संशोधन किया जाए।

वन अधिकार कानून 2006 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए। पेसा कानून के क्रियान्वयन नियम तत्काल बनाकर अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए। अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों को नियम विरुद्ध नगर पंचायत बनाया गया है। इन नगर पंचायतों को विखण्डित कर दोबारा से ग्राम पंचायत में परिवर्तित किया जाए।

इन 13 बिन्दुओं पर राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर 15 दिवस के अन्दर निर्णय कर समाज को समुचित माध्यम से सूचित करे ऐसी आंदोलनरत इन आदिवासियों की मांग है।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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