पंजाब में बिजली संकट गहराया

पंजाब के तकरीबन तमाम थर्मल प्लांटों में कोयले की भारी कमी के चलते बिजली संकट लगातार गहरा रहा है। आपूर्ति न होने के चलते थर्मल प्लांटों के पास कोयले का स्टॉक खत्म हो रहा है। नतीजतन सूबे में बड़ा बिजली संकट पैदा हो गया है। शहरों से लेकर गांवों तक कई-कई घंटे के कट लग रहे हैं। हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में बिजली और पानी को लेकर जबरदस्त हाहाकार मचना तय है।

पावरकॉम को कई जगह उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है और कई जगह बार-बार लोड घटाना पड़ रहा है। बिजली सप्लाई को यकीनी बनाने के लिए पावर कॉम को महंगे दाम पर बिजली खरीदने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है। दस रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है जो कि एक बड़े घाटे का सौदा है। शुक्रवार से रविवार तक आलम यह रहा कि पंजाब भर में 6-6 घंटे के बिजली कट लगाए गए। खेती-बाड़ी मोटरों के लिए भी बिजली में कटौती की गई है। गौरतलब है कि इसके विरोध में किसानों ने पावर कॉम के पटियाला स्थित मुख्यालय का घेराव भी किया और मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया।

इस वक्त पंजाब में बिजली की मांग 9000 मेगावाट तथा सप्लाई 7100 मेगावाट है। दिन का ऊंचा तापमान भी बिजली की मांग में इजाफा कर रहा है। कृषि क्षेत्र के लिए अतिरिक्त बिजली की जरूरत है। पावर कॉम को फिलहाल 3400 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ रही है।
राज्य के श्री हरगोइंदवाल प्लांट में कोयले का स्टॉक लगभग खत्म है। तलवंडी साबो थर्मल प्लांट के पास एक दिन और नाभा थर्मल प्लांट राजपुरा के पास दो दिनों का कोयला बचा है। लहरा मुहब्बत रोपड़ थर्मल प्लांट के पास हफ्ते भर का कोयला है। दोनों के चार-चार यूनिट हैं। पंजाब में रोज कोयले के करीब 15 रैकों की खपत होती है। वैसे, पंजाब के लिए कोयले के नौ रैक चल चुके हैं। संभवत ये 3 या 4 दिन तक पहुंच जाएंगे। इससे संकट कुछ कम होगा पर इस खेप के पहुंचने में देरी हुई तो पंजाब को बहुत बड़े बिजली संकट का सामना करना पड़ेगा। यानी अब से भी कहीं ज्यादा। कोयले की कमी का सिलसिला डेढ़ महीने से बदस्तूर जारी है। तब प्लांटों के पास 20 से 45 दिनों तक के लिए कोयला था। निरंतर खपत ने तथा ऊपर से आपूर्ति न होने के चलते अब स्टॉक खत्म होने को है।

पावरकॉम के सीएमडी ए वेणु प्रसाद का कहना है कि कोयले के कम उत्पादन के कारण देश के तमाम थर्मल प्लांटों में ऐसी स्थिति बनी हुई है। कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को लिखा गया है। इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कोल इंडिया लिमिटेड की अलग-अलग सहायक कंपनियों द्वारा पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड के समझौतों के मुताबिक कोयले की मुनासिब आपूर्ति न करने के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार निर्धारित कोटा भी पूरा नहीं कर रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हर संभव कोशिश करेंगे कि पंजाब में ब्लैकआउट की स्थिति न आए। उधर, धान की रोपाई के लिए तैयार बैठे सूबे के किसानों की पेशानी पर भी बल हैं। औद्योगिक जगत में भी गहरी चिंता है। बिजली-पानी न मिलने के चलते आम लोग त्राहि-त्राहि कर ही रहे हैं।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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