यूक्रेन में फंसी नेतरहाट की आदिम जनजाति की लतिका ठिठियो, परिवार का रो- रो कर बुरा हाल

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झारखंड। झारखंड के लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट थाना क्षेत्र के दौना गांव की आदिम जनजाति परहिया समुदाय के इसहाक ठिठियो की एक इकलौती बेटी लतिका ठिठियो (30 वर्ष) भी अन्य भारतीय छात्रों की तरह यूक्रेन में फंस गयी है। वह पिछले चार साल से मेडिकल की पढ़ाई के सिलसिले में यूक्रेन में रह रही थी, अभी उसकी पढ़ाई के दो साल और बाकी रह गये हैं।

लतिका ठिठियो

लतिका ठिठियो जिस जगह पर फंसी है उसका पता – 1.B कुचमईन यार स्ट्रीट क्वीव 03035 है, लतिका का मोबाइल नंबर +380634508879 जिस पर अंतिम बार 24 फरवरी को बात हुई थी, उसके बाद उसका नंबर स्विच ऑफ आ रहा है। यूक्रेन से उसने माता पिता को बताया था, कि वह फ्लाईट से भारत वापसी का टिकट करवाई थी। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट कीव भी पहुंच चुकी थी। लेकिन ऐन वक्त पर फ्लाईट रद्द हो जाने से वो फंस गई है, इस खबर के बाद मां फोलोरा विराजिया का रो-रो कर बुरा हाल है, परिवार वाले किसी बड़ी अनहोनी की आशंका से घबराये हुए हैं। जब से बेटी को विपत्ति मे फंसे होने की खबर सुनी है, तब से घर में न ठीक से खाना बन रहा है न कोई काम कर पा रहे हैं।

लतिका ठिठियो के माता- पिता

वहीं जब कोई घर पर आकर बेटी की खबर-खैरियत पूछता है, तब हाल बताते हुए पिता इसहाक रो पड़ते हैं, उन्होंने उपायुक्त व झारखण्ड सरकार से गुहार लगायी है कि उनकी बेटी को सुरक्षित लाने में आवश्यक कदम उठाये जाएं।

लतिका ठिठियो के माता- पिता की सरकार से गुहार

महुआडांड़ एसडीओ नीत निखिल सुरीन ने कहा है कि लतिका ठिठियो के संबंध में उपायुक्त महोदय को जानकारी दी जा चुकी है, राज्य सरकार ने इस संबंध में हेल्प लाइन नंबर जारी किया है और सिस्टर लतिका के परिजनों को भी जानकारी दी गई है, छात्रा की जल्द वतन वापसी की उम्मीद है।

लतिका ठिठियो के पिता इसहाक ठिठियो 26 फरवरी को महुआडांड़ अनुमंडल कार्यालय पहुंचे एवं एसडीओ नीत निखिल सुरीन से मुलाकात कर अपनी बच्ची को वापस भारत लाने की गुहार लगाई।

इसहाक ठिठियो ने बताया कि उनकी बात बेटी से 24 फरवरी रात को आखिरी बार हुई थी, बेटी ने फ्लाइट रद्द होने की बात बताई थी। फिर बात नहीं हो पाई है, वाट्सएप्प के माध्यम से भेजे मैसेज में लतिका ठिठियो ने बताया था कि वह यूक्रेन की राजधानी कीव में है। अभी सुरक्षित जगह पर है। उसने बताया है कि यहां हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं, बमों के आक्रमण से लोग घबराए हुए हैं। अपने वतन भारत आने को व्याकुल हूं। इसहाक ने बताया कि वाट्सएप पर ही पता चला है कि इस दौरान अब तब भारतीय एम्बेसी या संबंधित किसी भी अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं की है।

लतिका ठिठियो मूलत: लातेहार जिला के महुआडांड़ प्रखंड व नेतरहाट थाना अंतर्गत अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र दुरुप पंचायत के ग्राम दौना की रहने वाली है। बता दें कि जिला मुख्यालय से दूरूप पंचायत 150 किलोमीटर दूर है। लतिका ठिठियो आदिम जनजातीय विरिजिया समुदाय की लड़की है। दौना गांव आदिम जनजातीय बहुल गांव है, जो विकास से कोसों दूर है। गांव पहाड़ के नीचे बसा है। लतिका ठिठियो के पिता गरीब मजदूर हैं, बेटी पढ़ाई में तेज थी और वह मिशनरी स्कूल में पढ़ती थी। यूक्रेन उसे मिशनरी संस्था द्वारा ही भेजा गया है, पढ़ाई का सारा खर्च संस्था उठाती है, लतिका का सपना है कि वह कामयाब बने और गरीबों की सेवा करे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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