अमरोहा में 61 गोवंशीय पशुओं की मौत, 130 गम्भीर रूप से घायल

अमरोहा। अमरोहा में शुक्रवार के दिन जब 61 गायों की मौत और 130 गायों की गम्भीर हालत के बारे में सुना तो हर कोई सन्न रह गया। यह घटना अमरोहा जिले की तहसील हसनपुर के साधलपुर गांव में 1 करोड़ रुपए की लागत से बनी गौशाला में चारा खाने से घटी। पुलिस के मुताबिक, “गोशाला में 188 रजिस्टर्ड गोवंशीय पशु मौजूद थे। गोशाला में चारा लाने का ठेका 4-5 दिन पहले ग्राम प्रधान राम अवतार की मदद से ताहिर नाम के व्यक्ति ने लिया था। ठेका लेने के बाद 3 अगस्त को ताहिर खेत से हरा चारे के तौर पर बाजरा काटकर लाया था , जिसे जाफर अली निवासी ग्राम खैलिया पट्टी थाना रहरा जनपद अमरोहा ने 4 अगस्त को मशीन से काटा और सभी कर्मचारियों समेत गोवंशीय पशुओं को डाल दिया। जिसको खाने से गोशाला में 61 गोवंशीय पशुओं की मौत हो गई और 130 गम्भीर रूप से घायल हो गईं।”

हरे चारे में नाइट्रेट पाए जाने से हुई 61 गायों की तड़प-तड़पकर मौत

भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआई) इज्जतनगर (बरेली) के निदेशक डॉ त्रिवेणी सिंह ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए बताया कि आइवीआरआई के वैज्ञानिक डाक्टर एजी तैलंग, डाक्टर स्वामीनाथन और डॉ आर रघुवरण की टीम ने अमरोहा के गांव साधलपुर स्थित गौशाला का गहन निरीक्षण किया । उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने गायों के दो शवों का पोस्टमार्टम किया। गौशाला के गहन निरीक्षण में पता चला कि गायों की नांद में हरा चारा मिला था और जांच में सामने आया है कि गायों ने हरा बाजरा ज्यादा खाया था, जिसमें नाइट्रेट/नाइट्राइट ज्यादा पाई जाती है। उन्होंने बताया कि पेट में अधिक मात्रा में यह पहुंचने के बाद हीमोग्लोबिन में मिलकर नुकसान करता है, इसके बाद हीमोग्लोबिन शरीर के ऊतकों तक आक्सीजन नहीं पहुंचने देता जिसके कारण वह तड़पने लगती हैं और इससे पशुओं की मौत हो जाती है।

वैज्ञानिकों ने मीडिया को बताया कि इन गायों के साथ भी ऐसा ही हुआ । आइवीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ के पी सिंह ने बताया कि “गायों की मृत्यु नाइट्रेट/नाइट्राइट की अधिकता वाले चारे को जरूरत से अधिक खाने से हुई। उन्होंने बताया कि अब उनके किडनी, यकृत, दिल और फेफड़ों का बिसरा सुरक्षित किया गया है, जिसकी जांच रिपोर्ट आने पर पूरी स्थिति साफ हो जाएगी।”

गोवंशीय हानि पर क्या बोले पशु मंत्री धर्मपाल सिंह और स्वतंत्र प्रभार मंत्री गुलाब देवी ?

गोवंश की भारी क्षति होने पर पशुपालन मंत्री धरम पाल सिंह ने कहा कि, “मुख्यमंत्री के निर्देश के मुताबिक पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और मुरादाबाद क्षेत्र सहित एक तीन सदस्यीय कमेटी को इस मामले की जांच सौंपी गयी है इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।”

वहीं शुक्रवार दोपहर को माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी भी गोशाला पहुंची। उन्होंने गोशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “पूरे प्रकरण में जो भी दोषी होगा। उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी।” आगे उन्होंने कहा कि, “जिस गाय की हम पूजा करते हैं,

उनके साथ जो कुछ भी हुआ है। वह गलत हुआ है। ऐसा नहीं होना चाहिए था जांच के बाद सब पता आता है। उसकी जांच और जिसका खेत है उसकी तलाश की जा रही चिकित्सीय है। आरोपियों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी।”

नसीमुद्दीन बोले, बड़ों को बचाने के लिए छोटों का नाम आगे कर रही सरकार

कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अमरोहा की गौशाला में हुई 61 गायों की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “बड़ों को बचाने के लिए छोटे लोगों का नाम आगे किया गया है। दरअसल, अमरोहा की गौशाला में गुरुवार शाम हुई पांच दर्जन से भी अधिक गायों की मौतों को लेकर हड़कम्प मचा हुआ है। जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पशुधन मंत्री को भी अमरोहा भेजा था।

आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें गठित

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं। एडीजी बरेली जोन भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने गायों को चारा देने वाले आरोपी ताहिर की गिरफ्तारी के लिए पांच-पांच टीमें गठित की हैं। गौशाला पर भारी पुलिस बल और प्रशासनिक अमला मौजूद है क्योंकि अब तक 61 गायों की मौत हो चुकी है। इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक आदित्य कुमार ने बताया कि गौशाला संचालक की ओर से तहरीर मिली है जिसमें मुकदमा दर्ज कर लिया है और पिछले 2 दिनों से जो लोग इस गौशाला में आ रहे थे ऐसे 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है। 

कब रूकेगा प्रदेश में गायों की मौत का सिलसिला?

प्रदेश में आवारा पशुओं का मुद्दा सबसे बड़ी समस्याओं में एक है। हर सरकार समस्या से निजात दिलाने का वादा तो करती है लेकिन आय-बाय कर जाती है।

22 फरवरी, 2022 को बहराइच में छुट्टा पशुओं की समस्या पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 मार्च के बाद यूपी के किसानों से इस समस्या से निजात दिलाने का वादा किया था लेकिन करीब 5 महीने बीत जाने पर समस्या जस की तस बनी हुई है। आवारा पशु पूरी की पूरी फसल चर जा रहें हैं और किसान बेचारा हाथ मलकर रह रहा है। वर्तमान सन्दर्भ में उपरोक्त घटना को देखकर लगता है कि योगी सरकार गो-संरक्षण के नाम पर कितनी ही पुंगी क्यों ना बजा ले अभी हालात सुधरने वाले नहीं हैं। गौशाला में चारा खाने से इतनी बड़ी तादाद में गायों की मौत होना महज कर्मचारियों पर ही सवाल खड़े नहीं करता बल्कि प्रशासन की साख पर भी सवाल दागता है। 

दिसंबर 2020 में यूपी कांग्रेस के प्रदेश सचिव और एआईसीसी के सदस्य अमित सिंह ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि साल 2019 में हर रोज़ के हिसाब से 25 गायों की मौत हुई हैं। कांग्रेस उस दौरान यूपी में ‘गाय बचाओ-किसान बचाओ’ रैली निकाल रही थी। प्रदेश सचिव का आरोप था कि यूपी के काऊ शेल्टर हाउस में बड़ी संख्या में गायों की मौत हुई हैं। 24 फरवरी, 2020 को विधानसभा सदस्य सुषमा पटेल ने यह मामला सदन में उठाया था। उन्होंने पूछा था कि गाय आश्रय स्थल पर पूरे साल में कितनी गायों की मौत हुई? तब इन गायों की मौत पर परदा डालते हुए पशुपालन मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा था कि आश्रय स्थलों पर जिन 9261 गायों की मौत हुई है वो स्वभाविक है। उसमें किसी की कोई गलती नहीं थी इसीलिए किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

(अमरोहा से प्रत्यक्ष मिश्रा की रिपोर्ट।)

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