नये आईटी रूल्स से सरकार का मीडिया पर व्यापक कब्जा

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सरकार ने नये आईटी नियमों को अधिसूचित किया है जिसके तहत वह उन शिकायतों के निवारण के लिए अपीलीय पैनल स्थापित करेगी जो उपयोगकर्ताओं को विवादास्पद सामग्री की मेजबानी पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के फैसलों के खिलाफ हो सकती हैं।

राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को आईटी नियमों के नवीनतम संशोधन के लिए केंद्र पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह “मीडिया पर व्यापक कब्जा” है,

कपिल सिब्बल ने आईटी नियमों में संशोधन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने पहले टीवी नेटवर्क्स पर कब्जा किया, अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कब्जा करने वाले हैं। यह एक प्रकार से देश की मीडिया पर व्यापक कब्जा है। देखा जाए तो हम एक आचार संहिता, एक राजनीतिक दल, एक शासन प्रणाली और किसी के प्रति जवाबदेही न होने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

आईटी नियमों में संशोधन को लेकर उन्होंने कहा, सरकार के लिए सुरक्षित और दूसरों के लिए असुरक्षित, इस सरकार की हमेशा से यही नीति रही है। आम नागरिकों के लिए सोशल मीडिया ही एकमात्र मंच बचा था। अब ‘मानहानिकारक’ बयान देने पर लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा।

हालांकि पीआईबी फैक्ट चेक ने पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री सिब्बल के उस दावे को खारिज किया है जिसमें उन्होंने कहा कि आईटी के संशोधित नियमों के तहत मानहानिकारक बयान देने वालों के विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा।

सिब्बल ने कहा कि हमें सोशल मीडिया की ताकत को समझना होगा। किसी भी सरकार के पास इसकी ताकत का अंदाजा नहीं है और न ही वो ये जानती हैं कि इससे कितना संबंध रखा जाए। हालांकि, सरकार को इसका इस्तेमाल जनता को और ताकत देने में करना चाहिए, न कि कमजोर करने में।

शुक्रवार को, सरकार ने नियमों को अधिसूचित किया जिसके तहत वह उन शिकायतों के निवारण के लिए अपीलीय पैनल स्थापित करेगी जो उपयोगकर्ताओं को विवादास्पद सामग्री की मेजबानी करने पर ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के फैसलों के खिलाफ हो सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दावा किया कि आईटी नियमों में संशोधन से सोशल मीडिया कंपनियों पर और अधिक निश्चित ड्यू डिलिजेंस दायित्व आ जाएंगे ताकि वे यह प्रयास कर सकें कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत सूचना पोस्ट न की जाए।

तीन सदस्यीय शिकायत अपील समितियों (जीएसी) के गठन पर, मंत्री ने कहा कि इस कदम की आवश्यकता थी क्योंकि सरकार नागरिकों के लाखों संदेशों से अवगत है जहां शिकायतों के बावजूद सोशल मीडिया फर्मों द्वारा शिकायतों का जवाब नहीं दिया गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां “डिजिटल नागरिकों” के हितों को सुनिश्चित करने के लिए भागीदार के रूप में काम करें।

उन्होंने कहा कि पहले बिचौलियों का दायित्व नियमों के उपयोगकर्ताओं को सूचित करने तक सीमित था, लेकिन अब प्लेटफार्मों पर और अधिक निश्चित दायित्व होंगे। बिचौलियों को प्रयास करना होगा कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री मंच पर पोस्ट न की जाए।

मोदी सरकार ने आईटी रूल्स में कई अहम बदलाव किए हैं,जिसके तहत अब सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्‍टाग्राम और यूट्यूब को भारतीय नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। सरकार नए नियमों को जनता के हक में बता रही, लेकिन विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं।

नए नियमों के तहत अब विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारतीय नियमों का पालन करना होगा। इसके अलावा यूजर्स को शिकायत के लिए एक व्यवस्था प्रदान की जाएगी। अभी तक ये नियम था कि अगर किसी का कंटेंट या अकाउंट ब्लॉक हुआ तो वो यूजर कहीं अपील नहीं कर सकता था, लेकिन अब इन कंपनियों को एक यूजर शिकायत अपीलीय समिति बनानी होगी। जिसमें यूजर अपना पक्ष रख सकता है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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