मध्यप्रदेश में कन्यादान अनुदान के लिए ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ पर बवाल, कलेक्टर ने कहा ‘गलतफहमी’

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मध्य प्रदेश। कन्या विवाह योजना में विवाह के लिए पहुंची महिलाओं के वर्जिनिटी टेस्ट पर बवाल खड़ा हो गया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार ने प्रति जोड़े 55,000 रुपये का कन्यादान अनुदान देने वाली योजना के लिए उनकी पात्रता की जांच करते हुए 200 से अधिक महिलाओं का ‘प्रेगनेंसी टेस्ट’ कराया। जबकि राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

एक स्थानीय भाजपा नेता का कहना है कि महिलाओं का केवल ‘फिटनेस टेस्ट’ किया गया था, जिसके दौरान कुछ महिलाएं गर्भवती पाई गईं। कन्यादान योजना के तहत, सरकार विवाह के लिए पात्र प्रत्येक महिला को 49,000 रुपये देती है, और एक सामूहिक विवाह समारोह की व्यवस्था के लिए प्रति जोड़े 6,000 रुपये खर्च करती है। डिंडोरी जिले के एक कस्बे में शनिवार को सामूहिक विवाह समारोह से पहले टेस्ट किए गए।

कांग्रेस के स्थानीय विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने कहा कि उन्हें खबर मिली थी कि महिलाओं का प्रेगनेंसी टेस्ट किया गया था। मरकाम ने कहा कि ‘मुझे जानकारी मिली है कि जो चार महिलाएं इस परीक्षा को पास नहीं कर पाईं, उन्हें योजना के तहत लाभ नहीं दिया गया। यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है और उनकी निजता पर आक्रमण है। मैं इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री के सामने भी उठाऊंगा। उन्होंने ये भी कहा कि ‘सरकार को साफ करना चाहिए कि क्या इस तरह के परीक्षणों के लिए कोई कानून है।‘

एक वीडियो में, भाजपा जिला प्रमुख अवध राज बिलैया ने कहा कि जांच सिकल सेल एनीमिया जैसे स्वास्थ्य मुद्दों के लिए किए गए थे। उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत, लड़कियों की फिटनेस की जांच के लिए एक टेस्ट किया जाता है। हमारे जिले में सिकल सेल एनीमिया जैसी कई समस्याएं हैं। इसलिए आमतौर पर सभी तरह के टेस्ट किए जाते हैं। जब टेस्ट किया गया तो कुछ महिलाएं गर्भवती पाई गईं और ऐसे में हमने मान लिया कि वे शादीशुदा हैं और हमने उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं दी।

जबकि डिंडोरी के कलेक्टर विकास मिश्रा का कहना है कि गर्भावस्था परीक्षण पांच महिलाओं पर किया गया था, जबकि उनका सिकल सेल एनीमिया के लिए परीक्षण किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि ‘यहां गलतफहमी हुई है। हमारे जिले में सिकल सेल एनीमिया एक बड़ी बीमारी है और भारत सरकार की तरफ से उसके लिए खून जांच करने के दिशानिर्देश हैं। इसलिए जब भी हम ऐसी शादियां करते हैं तो यह टेस्ट जरूर करते हैं। इस मामले में, जब परीक्षण किए जा रहे थे, तो पांच महिलाओं ने कहा कि उनके पीरियड्स मिस हो गए हैं। फिर, डॉक्टर ने प्रेगनेंसी टेस्ट किया और सभी पांच मामलों में टेस्ट पॉजीटीव निकले। जिसके बाद महिलाओं ने कहा कि वे पहले से ही शादीशुदा हैं।‘

विकास मिश्रा ने कहा कि ‘योजना का लाभ उठाने वाली गर्भवती महिलाओं पर कोई रोक नहीं है। नियम यह है कि महिला पहले से शादीशुदा नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी ऐसा होता है कि जोड़े शादीशुदा होते हैं और योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं, इसलिए वे लाभ उठाने के लिए फिर से शादी करने की कोशिश करते हैं।‘ उन्होंने कहा कि ‘जो महिलाएं इस योजना का लाभ उठाना चाहती हैं, उनका प्रशासन कोई ‘वर्टिनिटी’ या प्रेगनेंसी टेस्ट नहीं करता है। हमारी तरफ से ऐसा कोई टेस्ट नहीं किया गया है। महिलाओं ने खुद कहा कि उनके पीरियड्स मिस हो गए हैं।‘

(कुमुद प्रसाद जनचौक में सब एडिटर हैं।)

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