ग्राउंड रिपोर्ट: पुरोला कांड के आरोपियों और पुलिस में गठजोड़ का हुआ खुलासा, महापंचायत को नहीं मिली इजाजत

Estimated read time 0 min read

उत्तरकाशी। पुरोला थाना पुलिस ने 28 मई को तोड़फोड़ करने और मुस्लिम समुदाय की दुकानों पर आपत्तिजनक पोस्टर लगाने के मामले में अज्ञात लोगों को खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया है। खास बात यह है कि प्रदर्शन और दुकानों के बोर्ड तोड़ने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें ऐसे लोगों की पहचान करना कठिन नहीं है।

समुदाय विशेष के लोगों को जिहादी कहकर उन्हें 15 जून तक पुरोला छोड़ने के जो पोस्टर चस्पा किये गये वो देवभूमि रक्षा अभियान की ओर से लगाये गये हैं। खास बात यह है कि पुलिस ने पुरोला में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन देवभूमि रक्षा अभियान के फेसबुक पेज पर स्वामी दर्शन भारती नामक व्यक्ति ने डीजीपी के साथ अपना फोटो शेयर किया है और लिखा है कि उन्होंने डीजीपी से मिलकर कहा कि पुलिस पुरोला में जबरन मुसलमानों की दुकानें न खुलवाये है। यानी कि जो व्यक्ति पुरोला थाना पुलिस के अनुसार अज्ञात है, वह देहरादून पुलिस मुख्यालय में डीजीपी के साथ है।

देवभूमि रक्षा अभियान और अन्य हिन्दूवादी संगठनों की ओर से 15 जून में पुरोला में महापंचायत बुलाई गई है और इसके बाद राज्यभर में चक्का जाम की भी चेतावनी दी गई है। मांग यही है कि मुस्लिम समुदाय के लोग पुरोला से और पूरे उत्तरकाशी जिले से चले जाएं। इस महापंचायत को रोकने के लिए लगातार मांग उठ रही है, लेकिन पुलिस और प्रशासन की ओर से अब तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है।

चारों तरफ से दबाव आने के बाद 12 जून को उत्तरकाशी के डीएम और एसएसपी पुरोला पहुंचे। मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें खोले जाने को लेकर दोनों अधिकारियों ने आम सहमति बनाने का प्रयास किया। इसके लिए तहसील परिसर के सभागार में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक पर मुस्लिम समुदाय से वहां रह गये 6 प्रतिनिधि शामिल थे, जबकि पूरा सभागार दूसरे पक्ष के लोगों से भरा हुआ था।

सूत्रों के अनुसार मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें खोले जाने को लेकर आपसी सहमति लगभग बन चुकी थी, इसी दौरान कुछ युवक बैठक में पहुंच गये और दुकानों के खोले जाने पर आपत्ति जताई। बताया जाता है कि डीएम और एसपी ने युवकों के रवैये का मामूली विरोध तो किया, लेकिन न तो उनके साथ सख्ती की गई और न ही उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज किया गया। मामूली विरोध के बाद डीएम और एसपी बैठक से उठकर चले गये और बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। 12 जून को ही देहरादून में मुस्लिम समुदाय से जुड़े कुछ प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और पुरोला में मुस्लिम समुदाय के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।

12 जून की बैठक में प्रशासन की ओर से 15 जून के महापंचायत के आयोजक ग्राम प्रधान संघ की बैठक बुलाकर महापंचायत ने करने के लिए भी सहमति बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन इस बारे में भी सहमति नहीं बनी। ग्राम प्रधान संघ महापंचायत करने पर अड़ा रहा। आखिरकार 13 जून की शाम को प्रशासन ने इस तरह के महापंचायत को आयोजित करने की अनुमति न देने की बात कही।

दरअसल इस महापंचायत के जवाब में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी 10 जून को देहरादून में महापंचायत करने का ऐलान किया था। सरकार के सामने अब समस्या यह थी कि यदि पुरोला में हिन्दू संगठनों की पंचायत को इजाजत देती है तो देहरादून में मुस्लिम समुदाय के लोगों की पंचायत को भी इजाजत देनी होगी। ऐसे में सरकार ने पुरोला की महापंचायत पर रोक लगाकर एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है।

ऐसा नहीं है कि पुरोला का हर व्यक्ति मुसलमानों के खिलाफ हो, कई लोग भाईचारा और सौहार्द्र बनाये रखने के पक्ष में हैं। लेकिन, हिन्दूवादी संगठनों के डर से फिलहाल वे कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। पुरोला में पास के एक गांव में रहने वाले नैन सिंह (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि पुरोला में मुसलमानों की कुछ दुकानें पिछले कुछ सालों में खुली हैं, लेकिन कुछ दुकानें तब से हैं, जब पुरोला गांव बाजार बनने लगा था। ये लोग यहां के समाज में ही रहे हैं। कभी नहीं लगा कि वे किसी दूसरे धर्म के हैं। उनका व्यवहार भी ग्राहकों के साथ अच्छा होता है और सामान भी कुछ सस्ता मिल जाता है। ऐसे में आसपास के गांवों के लोग और पुरोला में रहने वाले ज्यादातर लोग उन्हीं से सामान खरीदना पसंद करते हैं।

पुरोला पुलिस ने लड़की के अपहरण के मामले में की जा रही जांच को लेकर अब तक कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। घटना के बाद लड़की का मेडिकल करवाया गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार यह एक युवती के भविष्य से जुड़ा सवाल है, इसलिए पुलिस नहीं चाहती कि मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक हो। लड़की के परिजनों को भी पुलिस ने यह बात कहकर मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी है। मजिस्ट्रेट के सामने लड़की ने क्या बयान दिये हैं, इस पर भी पुलिस अभी कुछ नहीं कह रही है। दोनों आरोपी युवक अब भी जेल में बंद हैं।

(पुरोला से वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की ग्राउंड रिपोर्ट।)

You May Also Like

More From Author

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments